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बेहद दर्दनाकः एक कतार में पति-पत्नी और 3 बच्चों ने लगाई फांसी, 7 दिन से घर में कैद था परिवार
सुपौल (बिहार). पिछले साल 2020 से लेकर अबतक लाखों लोगों को कोरोना ने मौत के मुंह में सुला दिया। कुछ लोगों ने लॉकडाउन के चलते आई आर्थिक तंगी की वजह सुसाइड कर लिया। ऐसा ही एक दिल को झकझोर देने वाला मामला बिहार के सुपौल जिले से सामने आया है। एक ही परिवार के 5 सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली। घटना के बाद से इलाके में हड़कंप मच गया।
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यह दर्दनाक घटना सुपौल जिले के राघोपुर थाना के गद्दी गांव की है, जहां मिश्री लाल साह, उनकी पत्नी रेणु ने अपने दो नाबालिग बेटी और एक बेटा के साथ शुक्रवार देर रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस फिलहाल मामले की छानबीन कर रही है।
हैरानी की बात यह है कि पांचों शव एक ही कतार में लटके मिले। अगल-बगल मां बाप थे तो बीच में तीन मासूम नाबालिग बच्चे लटक रहे थे। परिवार ने यह कदम किस वजह से उठाया है, इस बात का खुलासा अभी तक पुलिस नहीं कर पाई है।
पड़ोसियों ने बताया- मृतक परिवार के मुखिया का नाम मिश्रीलाल साह था। वह पूरे परिवार के साथ आखिरी बार एक सप्ताह पहले घर के बाहर देखा गया था। इसके बाद परिवार के किसी भी सदस्य को आते-जाते नहीं देखा गया है। शुक्रवार देर रात जब मृतक के घर से तेज बदबू आई तो पड़ोस के लोगों ने गांव के सरपंच को जानकारी दी। ग्रामीणों ने रात 9 बजे घर की खिड़की खोली तो सबकी आंखे फटी की फटी रह गईं।
राघोपुर के एसपी मनोज कुमार भी घटना स्थल पर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली। पड़ोस के लोगों ने बताया है कि परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। उन्होंने पेट भरने के लिए अपनी सारी जमीन तक बेच दी थी। इतना ही नहीं, रिश्तेदार और आस-पड़ोस से पैसा उधार लेकर गुजारा कर रहे थे।
परिवार कोयला बेचने का कारोबार करता था जो लॉकडाउन में बंद हो गया। कई दिन तक उन्होंने गांववालों की मदद ली, फिर उनसे ही बात करना बदं कर दिया। मृतक मिश्रीलाल तनाव में रहने लगा था। किसी से बात करने पर भी कुछ नहीं बोलता था। परिवार में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं था। बस बेटा ही पढ़ाई कर रहा था, बेटियां पढ़ी हुई नहीं थी।
पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है।