दोस्त की पिटाई के प्रतिशोध में डकैत बना अंग्रेजी शिक्षक, लूट लिया था बैंक से 52 लाख
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डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय अचानक एसएसपी ऑफिस पहुंच गए। मौके पर आइजी संजय सिंह भी थे। डीजीपी ने एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा के नेतृत्व में गठित एसआइटी में शामिल सभी अफसरों और जवानों को बुलाया। मीटिंग हॉल में एसएसपी सहित 23 पुलिसकर्मियों पर पहले पुष्पवर्षा की, फिर एसआइटी को 2.30 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया।
गिरफ्तार आरोपियों में गैंग सरगना अमन शुक्ला जक्कनपुर की बैंक कलोनी, हरिनारायण आरके नगर, कंपाउंडर प्रफुल्ल आनंदपुरी, सेंटरिंग मिस्त्री सोनेलाल गोसाईं टोला, और गणेश बुद्धा कॉलोनी का रहने वाला है। अमन के साथ में कर्राटा शिक्षक हरिनारायण, क्लीनिक का कंपाउंडर प्रफुल्ल, मैकेनिक सोनेलाल एक शूटर और दो शराब तस्कर भी शामिल थे।
पुलिस ने बताया कि शिक्षक अमन ने ही 6 माह पूर्व बोरिंग केनाल रोड स्थित कंपाउंडर के क्लीनिक पर डकैती की योजना बनाई थी। इतना ही नहीं पकड़े गए लोगों में एक आरोपी ने तो अपने हिस्से में रुपए से एक लाख रुपए की शराब खरीद ली।
पुलिस के अनुसार बैंक डकैती में कहीं फोन का इस्तेमाल नहीं किया गया था। घटना के दिन सुबह नौ बजे गांधी मैदान के पास मिले। यहां से सभी बोरिंग रोड स्थित प्रफुल्ल के क्लिनिक पर गए थे। वहां से अनीसाबाद स्थित माणिकचंद तालाब आ गए जहां सभी को हथियार दिया गया। डकैती के बाद सभी तीन दिशा में चले गए थs।
पुलिस के मुताबिक अमन शुक्ला और हरिनारायण काफी शातिर हैं। इन दोनों ने गैंग में ऐसे लोगों को रखा, जिनका कोई पुलिस रिकॉर्ड न हो। हालांकि पकड़े गए लोगों के पास से 33.13 लाख कैश बरामद किए हैं। साथ ही 6 लाख की ज्वेलरी, एक लाख की शराब, 5 पिस्टल, 16 राउंड जिंदा कारतूस और घटना में इस्तेमाल तीनों बाइक बरामद किया है।
एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने बताया कि पुलिस टीम 27 जून को इस नतीजे पर पहुंच गई थी कि घटना में अमन शामिल है। पुलिस को अमन के घर से 23 लाख, हथियार और 3 बाइक मिली। लूट की रकम में 25 लाख रुपए अमन रखे थे। 23 लाख उसके यहां से बरामद हुए। दो लाख उसने खर्च कर दिए। उसे नए फ्लैट में शिफ्ट करना था।
प्रफुल्ल के हिस्से दो लाख आया था, जिसमें से एक लाख की उसने शराब खरीदी थी और 50 हजार उसके पास से बरामद हुए। गणेश ने एक लाख खर्च कर दिए और उसके पास से एक लाख बरामद हुए। सोनेलाल को चार लाख मिले जिसमें उसने एक लाख अपनी बहन को कर्ज दिया था। सोनेलाल ने सीढ़ी के नीचे पैसे छिपाकर रखा था।
हरिनारायण के पास से तीन लाख मिले। बाकी 10 लाख फरार तीन शातिरों के पास हैं। पुलिस को अब शक है कि यह गिरोह मुजफ्फरपुर और वैशाली में पिछले दो तीन सालों में हुए लूटकांड में शामिल हो सकता है। इन जिलों के कई कांडों का खुलासा नहीं हुआ है। क्योंकि, अमन दो साल पहले मुजफ्फरपुर के एक बड़े कोचिंग संस्थान में एचओडी था।