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अर्थी उठने की थी तैयारी, तभी मुर्दा की चलने लगी सांसें, खुलीं आंखें तो डर गए लोग, लेकिन अभी भी है जिंदा
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परिजन बताते हैं कि सौरभ (17) सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था। जिसे कंकड़बाग के एक निजी अस्पताल में 7 तारीख की रात दस बजे उसे भर्ती कराया गया था। जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। 2 दिनों में निजी अस्पताल में लगभग दो लाख रुपये का बिल चुकाने के बाद अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए। बाद में वेंटिलेटर से उतार कर उसकी बॉडी को पैक करके एंबुलेंस में डाला गया। (प्रतीकात्मक फोटो)
परिजनों के मुताबिक मृत घोषित करने के बाद निजी अस्पताल ने युवक को परिजनों को सौंप दिया। धोखे से डेथ सर्टिफिकेट की बजाय रेफर का कागज थमा दिया। लाचार परिजन क्या करते, शव समझ युवक को घर ले आए। हरदास बिगहा के कटौना गांव स्थित घर पर दाह संस्कार की तैयारी चल रही थी। उसकी अर्थी पूरी तरह सज गई थी। (प्रतीकात्मक फोटो)
हिंदुस्तान के समाचार के मुताबिक घर में उसकी मां और परिजन दहाड़ मारकर रो रहे थे। कुछ ही देर बाद उसकी अर्थी को गंगा किनारे घाट पर जलाने ले जाने वाले थे। लेकिन, अचानक अर्थी पर पड़े सौरभ की ऊंगलियां हिलने लगीं और धड़कन चलने लगीं। (प्रतीकात्मक फोटो)
परिजनों के मुताबिक सौरभ की आंखें भी कुछ देर के लिए खुलीं। इतना देख मौजूद लोग पहले डर गए। हालांकि रोना-धोना रुक गया। परिजन उसे पीएमसीएच लेकर आए। पीएमसीएच की इमरजेंसी में भर्ती सौरव का इलाज चल रहा है।(प्रतीकात्मक फोटो)
इमरजेंसी के प्रभारी डॉ अभिजीत सिंह सिंह ने कहा कि सौरभ की कहानी सुन बहुत अजीब लगा। उन्होंने बताया कि जब वह यहां पहुंचा तो उसकी सांसें चल रही थी। हालांकि लड़का बेहोश था। लेकिन, शरीर में हल्की हलचल थी। उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों की टीम उसे बचाने में लगी हुई है। हालांकि उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। (प्रतीकात्मक फोटो)