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C.I.D के 66 साल: वहीदा रहमान की इस बॉलीवुड डेब्यू फिल्म से सेंसर बोर्ड ने वल्गर कहकर हटवा दिया था एक गाना
एंटरटेनमेंट डेस्क. आज भारतीय सिनेमा के इतिहास की बेहतरीन थ्रिलर फिल्मों में से एक फिल्म 'सी.आई.डी' (C.I.D) को रिलीज हुए 66 साल पूरे हो चुके हैं। देव आनंद (Dev Anand), शकीला (Shakila), जॉनी वॉकर (Johnny Walker) और केएन सिंह (K.N.Singh) स्टारर इस फिल्म से वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया था। इससे पहले वे दो तेलुगु और दो तमिल फिल्में कर चुकी थीं। बतौर डायरेक्टर यह राज खोसला (Raj Khosla) के करियर की और देव आनंद के साथ भी उनकी दूसरी फिल्म थी। इस फिल्म को गुरु दत्त (Guru Dutt) ने प्रोड्यूस किया था। बतौर प्रोड्यूसर यह उनकी दूसरी फिल्म थी। 1956 में रिलीज हुई यह फिल्म उस साल सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी। दर्शकों को सिर्फ फिल्म की कहानी ही नहीं बल्कि इसके गाने भी बेहद पसंद आए। इस खबर में हम आपको पता रहे हैं फिल्म से जुड़े कुछ मशहूर किस्से...
| Published : Jul 30 2022, 09:12 AM IST / Updated: Jul 30 2022, 12:44 PM IST
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गुरु दत्त ने असिस्टेंट राज खोसला को दिया ब्रेक
इस फिल्म के जरिए गुरुदत्त ने अपने असिस्टेंट राज खोसला को बतौर डायरेक्टर ब्रेक दिया था। 'सीआईडी' के बाद खोसला ने तीन और फिल्मों में देव साहब के साथ काम किया लेकिन 1960 में रिलीज हुई 'बंबई का बाबू' के बाद दोनों ने 13 साल तक एक-दूसरे के साथ काम नहीं किया। फिर 1973 में दोनों की साथ में छठवीं फिल्म 'शरीफ बदमाश' रिलीज हुई। अपने पूरे करियर में खोसला ने देव साहब के साथ 6 फिल्मों में काम किया। दोनों की जोड़ी बेहद हिट रही।
देव साहब संग पूरा किया वादा
देवानंद और गुरुदत्त स्ट्रगलिंग वक्त से दोस्त थे। दोनों ने एक दूसरे से वादा किया था कि जब देव साहब कोई फिल्म बनाएंगे तो उसे गुरुदत्त को डायरेक्ट करने का मौका देंगे। वहीं जब गुरदत्त कोई फिल्म बनाएंगे तो वे साहब को ही हीरो के तौर पर कास्ट करेंगे। इस फिल्म को गुरुदत्त ने डायरेक्ट नहीं किया था पर उन्होंने इसे प्रोड्यूस करके अपना आधा वादा जरूर निभाया। 'सीआइडी' की कहानी मशहूर एक्टर और फिल्मेकर टीनू आनंद के पिता इंदर राजा आनंद में लिखी थी।
बनी वहीदा रहमान की बॉलीवुड डेब्यू फिल्म
इस फिल्म के जरिए गुरु दत्त वहीदा रहमान को हिंदी फिल्मों में लेकर आए थे। उन्होंने एक तेलुगू फिल्म में वहीदा का डांस देखा था। इसके बाद उन्होंने वहीदा को मुंबई बुलाया। स्क्रीन टेस्ट लेकर उन्हें अपनी अगली फिल्म 'प्यासा' (1957) के लिए फाइनल कर लिया पर उन्हें 'सीआईडी' में भी एक सपोर्टिंग रोल दिया ताकि वे 'प्यासा' के लिए तैयारी कर सकें। फिल्म में मशहूर कॉमेडियन एक्टर महमूद भी एक छोटे से नेगेटिव रोल में नजर आए थे।
सेंसर बोर्ड को वल्गर लगा गाना
सेंसर बोर्ड ने फिल्म से गीता दत्त पर फिल्माया गया गाना, 'जाता कहां है दीवाने..' हटवा दिया गया था। बोर्ड का कहना था कि यह गाना वल्गर है।
जब देव साहब बोले, 'फ्लॉप हो जाएगी यह फिल्म'
देव साहब को जब पता चला कि वह फिल्म में कोई गाना नहीं गाएंगे तो वह चौंक गए। देव ने फिल्म को साइन करने से पहले यही शर्त रखी कि वह कम से कम फिल्म में आधा दर्जन गाने तो गाएंगे ही। उन्होंने डायरेक्टर राज खोसला को खूब मनाया और समझाया लेकिन राज का कहना था कि एक सीआईडी इंस्पेक्टर को गाना गाते हुए देखना बिल्कुल ही बेवकूफाना लगेगा। देव साहब का तर्क था कि कॉलेज की पब्लिक मुझे ना गाता हुआ देख कर नाराज हो जाएगी और आपकी फिल्म फ्लॉप हो जाएगी। बाद में तय हुआ कि देव साहब 'आंखों ही आंखों में...' गाने के मुखड़े की कुछ लाइन गाएंगे।
म्यूजिकली भी रही सुपरहिट
फिल्म म्यूजिकली भी हिट थी। इसमें 'ये है बंबई मेरी जान...', 'लेके पहला पहला प्यार...', 'आंखों ही आंखों में इशारा...' और 'कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना...' जैसे सुपरहिट गाने थे। म्यूजिक ओ पी नय्यर साहब ने कंपोज किए था और गाने मजरूह सुल्तानपुरी और जान निसार अख्तर ने लिखे थे। वहीं फिल्म का गाना, 'आंखों ही आंखों में इशारा हो गया...' खुद गुरुदत्त ने पिक्चराइज किया था।
अमेरिकन फोक सॉन्ग से ली गई थी इस गाने की धुन
एक इंटरव्यू में मशहूर हारमोनियम प्लेयर मिलन गुप्ता ने फिल्म के गाने 'यह है मुंबई मेरी जान..' की कंपोजिशन के बारे में बात की थी। गुप्ता उस वक्त ओपी नैयर के लिए म्यूजिक अरेंजर का काम करते थे। उन्होंने बताया कि एक दिन वे गुरु दत्त, ओपी नय्यर और मजरूह सुल्तानपुरी एक फेमस स्टूडियो में बैठे हुए थे। इस दौरान नय्यर साहब ने गुप्ता से वही धुन बजाने के लिए कहा जो उन्होंने पहले उन्हें बजाकर सुनाई थी। गुप्ता ने वो धुन बजाई और सुल्तानपुरी ने तुरंत उसके ऊपर गाना लिख दिया। इस ओरिजिनल गाने में गुप्ता ने ही हारमोनियम बजाया था। हालांकि, यह धुन ओरिजिनल नहीं थी। इसे अमेरिकन फोक सॉन्ग 'ओ माय डार्लिंग' से लिया गया था।
बाद में कॉपी हुई थी इस गाने की धुन
40 साल बाद 1996 में रिलीज हुई गोविंदा स्टारर फिल्म 'साजन चले ससुराल' का गाना 'राम नारायण बाजा बजाता...' इसी फिल्म के गाने 'कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना...' की धुन पर आधारित था।
भानु अथैया की भी डेब्यू फिल्म थी
फिल्म के लिए जरिए मशहूर कॉस्टयूम डिजाइनर भानु अथैया ने भी बॉलीवुड डेब्यू किया था। आगे चलकर 1983 में भानु ने फिल्म 'गांधी' की कॉस्टयूम डिजाइनिंग के लिए ऑस्कर अवार्ड जीता। भानु ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय थीं।
गुरु दत्त ने डायरेक्टर को गिफ्ट की थी फॉरेन कार
30 जुलाई 1956 को एक ग्रैंड सेरेमनी के साथ इस फिल्म को रिलीज किया गया। फिल्म कमर्शियली और क्रिटिकली के साथ-साथ म्यूजिकली भी हिट रही। यह उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। रिपोर्ट्स की मानें तो इस को मिली सफलता के बाद गुरुदत्त ने राज खोसला को एक फॉरेन कार भी गिफ्ट की थी।
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