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लकड़ी काटने वाली मशीन से चीरा, आंखें निकाल पहनाया चश्मा; कश्मीरी पंडितों से हुई बर्बरता सुन कांप उठेगा कलेजा
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इस शो में सरला नाम की कश्मीरी हिंदू महिला ने 1990 की उस काली रात की घटना बयां की, जब इस्लामी आतंकियों ने उनके परिवार और रिश्तेदारों का बड़ी ही बेरहमी से कत्ल कर दिया था।
सरला के मुताबिक, उनका परिवार अपनी जान बचाने के लिए अप्रैल, 1990 में ही कश्मीर छोड़कर जम्मू चला गया था। उन्होंने अपना सारा सामान वहीं छोड़ दिया था। 10 दिन बाद जब वो पति के साथ अपना सामान लेने कश्मीर गईं तो उन्हें खुलेआम धमकियां दी गईं।
कश्मीर घाटी में भयानक मंजर देख उन्होंने वहां रुकना ठीक नहीं समझा और एक परिचित की मदद से वहां से अपनी जान बचाकर भागे। सरला ने रोते हुए बताया कि उस वक्त हमारे पैरों में चप्पल तक नहीं थी। मैं जब तक मैं जिंदा रहूंगी, उस रात को कभी नहीं भूल सकती।
सरला के मुताबिक, 10 दिन बाद हमें खबर मिली कि मेरे मामा जिंदलाल कौल और चचेरी बहन के पति जगन्नाथ की आतंकियों ने बेरहमी से हत्या कर दी। आतंकियों ने मेरे मामा को पहले एक पेड़ से बांधकर लटका दिया और फिर शरीर के अंगों को काट डाला। इतना ही नहीं, उनकी दोनों आंखें निकाल लीं और चश्मा पहना दिया था।
सरला ने रोते हुए कहा कि उनकी एक चचेरी बहन थी, वो दोनों पति-पत्नी लेक्चरर थे। उन दोनों का आज तक कहीं पता नहीं चला। इतना ही नहीं, आतंकियों ने मेरी दूसरी बहन के बेटे का सिर काटकर उनके घर से सामने फेंक दिया था।
आतंकियों ने गिरिजा टिक्कू के साथ भयानक बर्बरता की थी। गिरिजा टिक्कू, एक यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरियन थीं। कश्मीर में नरसंहार के दौरान वो जम्मू चली गई थीं। वहां कुछ दिनों बाद उनके पास फोन आया कि सैलरी मिल रही है, आप ले जाइए। इसके बाद वो अपनी सैलरी लेने के लिए बांदीपोरा गई थीं।
बांदीपोरा से लौटते वक्त गिरिजा टिक्कू, जिस बस में बैठी थीं, उसे रोक दिया गया और इसके बाद जो हुआ, उसे सोचकर भी लोगों की रूह कांप उठती है। गिरिजा टिक्कू की भतीजी सीधी रैना ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में बुआ के साथ हुई बर्बरता का जिक्र भी किया है।
सीधी रैना के मुताबिक, मेरी बुआ गिरिजा टिक्कू को आतंकियों ने बस से उतार अगवा कर लिया था। इसके बाद वो उन्हें एक टैक्सी में ले गए थे। उसमें 5 लोग थे, जिनमें से एक उनका सहयोगी था। इन सभी ने मिलकर उनका गैंगरेप किया। इसके बाद लकड़ी काटने वाली आरी से उन्हें जिंदा ही काट डाला था।