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गर्भ में ही 7 महीने का बच्चा खो चुकीं Bindu, इस हादसे के बाद दोबारा कभी मां नहीं बन पाई एक्ट्रेस
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हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बिंदू ने कहा- मेरे पति (व्यवसायी चंपक लाल झावेरी) मेरे पड़ोसी थे। मैं लगभग 14-15 साल की थी, जब हमारा रोमांस शुरू हुआ था। मैं उन दिनों फिल्म 'अनपढ़' की शूटिंग कर रही थी। शुरुआत में हमें विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन बाद में, मेरा परिवार भी राजी हो गया था। फिर हमने शादी कर ली।
बिंदू के मुताबिक, उस वक्त मैं स्कूल में पढ़ाई करती थीं, जब मेरी मुलाकात बिजनेसमैन चंपक जावेरी से हुई। बिंदू ने एक इंटरव्यू में कहा था, "वे तारादेव (मुंबई) स्थित सोनावाला टैरेस में मेरे पड़ोसी थे। हमारे बीच पांच साल का अंतर था। मुझे उनसे आसानी से प्यार नहीं हुआ। मैंने उन्हें बहुत सताया।
वे मुझसे आउटिंग का कहते थे और मैं उनसे कुछ वक्त मांगकर फिर जवाब नहीं देती थी। मैंने कई बार ऐसा किया। जाहिरतौर पर उन्हें गुस्सा आता था, लेकिन वे कभी इसे जाहिर नहीं करते थे। मुझे अहसास हो गया था कि यह सिर्फ आकर्षण नहीं है, बल्कि वे मुझसे सच्चा प्यार करते हैं। बाद में हमें अपने परिवारों का विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन हम अड़े रहे और शादी कर ली।
1977 से 1980 के बीच का दौर बिंदू के लिए बेहद दुखद रहा। बिंदू ने एक इंटरव्यू में कहा था, "हमने बेबी प्लान किया और मैं प्रेग्नेंट भी हुई। प्रेग्नेंसी के तीन महीने बाद मैंने काम करना बंद कर दिया। लेकिन सातवें महीने में मेरा मिसकैरेज हो गया। मैं पूरी तरह टूट गई। मेरे हसबैंड भी बहुत निराश हुए। बता दें कि इस हादसे के बाद बिंदू दोबारा कभी मां नहीं बन पाईं।
बिंदू ने बताया था कि कैसे उनके मन में एक्ट्रेस बनने का ख्याल आया। मां को स्टेज पर परफॉर्म करते देख उनके मन में भी एक्ट्रेस बनने का ख्याल आने लगा था। लेकिन उनके पिता नानूभाई देसाई उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे। बिंदू के मुताबिक, 7 बहनों और 1 भाई में वे सबसे बड़ी थीं। इसलिए जब उनके पिता बीमार पड़े तो परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी।
बिंदू के मुताबिक, पिताजी कहते थे- तुम मेरा बेटा हो। पिता के निधन के बाद फैमिली के सपोर्ट के लिए मैं मॉडलिंग करने लगी थी। शारीरिक बनावट के कारण मैं 11 की उम्र में ही 16 साल की लगती थी। जब तक मोहन कुमार की फिल्म 'अनपढ़' मुझे नहीं मिली थी, तब तक मैंने कुछ डॉक्युमेंट्रीज में भी काम कर लिया था।
बिंदू ने पहली बॉलीवुड फिल्म 'अनपढ़' (1962) तब की थी, जब वे महज 11 साल की थीं। इस फिल्म में उन्होंने माला सिन्हा की बेटी का रोल किया था। उनके असली बॉलीवुड करियर की शुरुआत शादी के बाद ही हो पाई थी। शादी के एक साल बाद उन्होंने राजेश खन्ना के साथ 'दो रास्ते' (1969) साइन की। जब वे इस फिल्म की शूटिंग कर रही थीं, तभी उनके हाथ में 'इत्तेफाक', 'डोली' और 'आया सावन झूम के' जैसी फिल्में आ गईं।
1973 में डायरेक्टर प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर' ने न सिर्फ अमिताभ बच्चन को पहचान दिलाई बल्कि बिंदू को भी नया नाम दिया। फिल्म में उनके किरदार का नाम मोना था, जिसे विलेन अजीत 'मोना डार्लिंग' कहकर बुलाते थे। आज भी बिंदू को कई लोग इसी नाम से जानते हैं। मोना डार्लिंग बनने से पहले बिंदू शब्बो के नाम से मशहूर थीं। यह नाम उन्हें राजेश खन्ना की फिल्म 'कटी पतंग' (1971) में उनके किरदार शबनम के कारण मिला था।
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