- Home
- Entertianment
- Bollywood
- पाकिस्तान सरकार ने दे दिया था ग्रीन सिग्नल, फिर भी अधूरी रह गई दिलीप कुमार की वो ख्वाहिश
पाकिस्तान सरकार ने दे दिया था ग्रीन सिग्नल, फिर भी अधूरी रह गई दिलीप कुमार की वो ख्वाहिश
- FB
- TW
- Linkdin
बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने 2018 में दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेली को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था। उनकी पुश्तैनी हवेली को औपचारिक संरक्षण देने की प्रक्रिया चल ही रही थी लेकिन उससे पहले ही दिलीप साहब दुनिया को अलविदा कह गए।
खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत की सरकार ने दिलीप साहब की पुश्तैनी हवेली को म्यूजियम बनाने की पहल की थी। इसके मौजूदा मालिकों को इस काम के लिए 18 मई तक का वक्त दिया था। बता दें कि 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले दिलीप कुमार का ज्यादातर वक्त इसी हवेली में गुजरा है।
बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार ने दिलीप कुमार के पुश्तैनी घर को 80 लाख रुपए में खरीदकर उसे म्यूजियम में बदलने का प्लान बनाया था। पाकिस्तान सरकार चाहती थी कि इसके माध्यम से दुनिया को दिखाया जा सके कि बॉलीवुड के लिए पेशावर ने क्या किया है।
दिलीप कुमार की हवेली के बगल में ही राज कपूर की पुश्तैनी हवेली भी है। दिलीप कुमार की हवेली के मालिक गुल रहमान मोहम्मद ने कहा था कि सरकार को इसे मार्केट रेट यानी करीब 3.50 करोड़ रुपए में खरीदना चाहिए। वहीं राज कपूर की हवेली के मालिक अली कादिर ने हवेली के लिए 20 करोड़ की मांग की थी।
दिलीप कुमार की पुश्तैनी हवेली और कपूर हवेली आस-पास ही हैं। ये दोनों इमारतें करीब 100 साल पुरानी हैं। इन हवेलियों के मालिकों ने कई बार इन्हें गिराकर यहां कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की कोशिश की, लेकिन सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी
बता दें, पाकिस्तान के जिस मोहल्ले में दिलीप कुमार और राज कपूर का पैतृक घर है, उसी मोहल्ले से शाहरुख खान का गहरा नाता है। शाहवाली कताल में शाहरुख खान के पिता ताज मुहम्मद खान का जन्म हुआ था।
शाहरुख खान के पिता ताज मुहम्मद खान पेशे से वकील और एक्टिविस्ट थे। 1947 के विभाजन के बाद से शाहरुख के पिता अपने पूरे परिवार को लेकर भारत चले आए थे।