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धर्मेन्द्र की पहली पत्नी के बारे में क्या सोचती हैं हेमा मालिनी? आखिर क्यों शादी के बाद कभी नहीं गईं पति के घर
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ऑथर राम कमल मुखर्जी की किताब 'हेमा मालिनी : बियॉन्ड ड्रीम गर्ल' में एक्ट्रेस की शादीशुदा जिंदगी से जुड़े कई रोचक खुलासे किए गए हैं। बुक के मुताबिक़, धर्मेन्द्र से शादी से पहले हेमा मालिनी कई सेरेमनीज में प्रकाश कौर से मिली थीं। लेकिन शादी के बाद दोनों कभी नहीं मिलीं।
हेमा के हवाले से बुक में लिखा है, "मैं किसी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी। धरम जी ने जो मेरी बेटियों के लिए किया, उससे मैं बेहद खुश हूं। उन्होंने एक पिता की भूमिका बखूबी निभाई है। आज मैं काम करती हूं और अपने आपका ख्याल रखने में सक्षम हूं। क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी को आर्ट और कल्चर से जोड़ रखा है। मुझे लगता है कि अगर स्थिति इससे थोड़ी भी अलग होती तो मैं आज वहां ना होती, जहां हूं।"
हेमा ने इस बुक में यह भी बताया है कि वे प्रकाश कौर के बेहद सम्मान करती हैं। उन्होंने कहा है, "मैंने कभी प्रकाश के बारे में बात नहीं की। लेकिन मैं उनका बहुत सम्मान करती हूं। मेरी बेटियां भी धरम जी की फैमिली का पूरा सम्मान करती हैं। दुनिया मेरी जिंदगी के बारे में ज्यादा जानना चाहती है। लेकिन दूसरों को बताने के बारे में नहीं है। इससे किसी का कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए।"
हेमा के मुताबिक़, शादी के बाद वे कभी धर्मेन्द्र के घर नहीं गईं। उनकी फैमिली से सिर्फ उनकी बेटी ईशा देओल धर्मेन्द्र के यहां गई हैं। राम कमल मुखर्जी की बुक के मुताबिक़, हेमा मालिनी का बंगला आदित्य धर्मेन्द्र के 11th रोड हाउस से महज 5 मिनट की दूरी पर है। लेकिन ईशा को वहां पहुंचने में 34 साल का वक्त लग गया था।
1981 में जन्मी ईशा देओल 2015 में उस वक्त धर्मेन्द्र और प्रकाश कौर के घर गई थीं, जब उनके चाचा और अभय देओल के पिता अजीत सिंह देओल बीमार थे और वे उनका हाल जानना चाहती थीं। ईशा के मुताबिक़, अजीत उन्हें और उनकी बहन अहाना को बेहद चाहते थे। धर्मेन्द्र के घर तक ईशा को पहुंचाने में सनी देओल ने उनकी मदद की थी। इस दौरान ईशा ने प्रकाश कौर से भी मुलाक़ात की थी और उनके पैर छुए थे। प्रकाश ने उन्हें आशीर्वाद दिया और वहां से चली गईं।
हेमा मालिनी की मानें तो धर्मेन्द्र की मां सतवंत कौर ने उन्हें आशीर्वाद दिया था। उन्होंने राम कमल की बुक में बताया है, "धरम जी की मां बेहद मॉडर्न महिला थीं। मुझे याद है कि एक बार जुहू स्थित डबिंग स्टूडियो में मेरी उनसे मुलाक़ात हुई थी। ईशा मेरे गर्भ में थी। मैंने उनके पैर छुए और उन्होंने कहा- बेटा सदा खुश रहो। यह देखकर मैं बेहद खुश हुई थी।"
21 अगस्त 1979 को धर्मेन्द्र और हेमा ने इस्लाम अपनाकर शादी की थी। इस दौरान धर्मेन्द्र का नाम दिलावर खान और हेमा का नाम आयशा बी रखा गया था। 2 मई 1980 को धर्मेन्द्र और हेमा ने दोबारा शादी की और वापस अपने मूल धर्म में लौट आए। पंडितों ने उनकी हिंदू धर्म में वापसी कराई थी।
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