- Home
- Entertianment
- Bollywood
- FACTS: नशीली आंखें, चेहरे पर रोब और पान चबाने के स्टाइल ने इस शख्स को बना दिया था बॉलीवुड का विलेन
FACTS: नशीली आंखें, चेहरे पर रोब और पान चबाने के स्टाइल ने इस शख्स को बना दिया था बॉलीवुड का विलेन
- FB
- TW
- Linkdin
एक रात प्राण पान की दुकान के पास बैठकर बड़े स्टाइल से सिगरेट पी रहे थे और पान भी खा रहे थे। उनकी नशीली आंखें और स्टाइल देखकर पास में खड़े एक आदमी ने उनका नाम पूछा तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
उस आदमी ने फिर पूछा, इस बार प्राण ने गुस्से में कहा- आपको मेरे नाम से क्या करना है? फिर आदमी ने बताया- मैं वली मोहम्मद हूं, मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर दलसुख एम. पंचोली का राइटर। मैं एक फिल्म की कहानी लिख रहा हूं, जिसका नाम यमला जट है। उसका किरदार तुम्हारी तरह ही बात करता है, पान चबाता है, क्या तुम ये रोल करोगे?
हालांकि, प्राण ने उस आदमी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और मना कर दिया। मोहम्मद वली ने उन्हें अगले दिन स्टूडियों आने के लिए कहा। सुबह हुई तो प्राण ने सोचा, रात को वो आदमी पान की दुकान पर लोगों के सामने अपना इम्प्रेशन जमाने की कोशिश कर रहा होगा, कौन जाए स्टूडियो। और वे स्टूडियो नहीं गए। कई दिनों बाद जब प्राण एक दिन फिल्म देखने गए तो वहां फिर उनकी मुलाकात वली मोहम्मद से हुई।
प्राण को देखते ही वो आगबबूला हो गए और डांटने लगे। इसके बाद प्राण ने कहा कि वे स्टूडियो आने के लिए तैयार है। प्राण की बात सुनकर वली ने कहा- मुझे अपना पता दो, मैं साथ लेकर चलूंगा तुम्हें, क्योंकि मुझे तुम पर भरोसा नहीं है।
अगले दिन प्राण स्टूडियो पहुंचे तो पंचोली साहब ने उन्हें साइन करना चाहा। प्राण ने कहा- मेरे परिवार में किसी ने भी फिल्मों में काम नहीं किया है। मैं अपने घरवालों से इजाजत तो ले लूं। प्राण की बात सुनकर पंचोली साहब भड़क गए और कहा कि अगर कॉन्ट्रेक्ट साइन करना है तो अभी करों नहीं तो जाओ। और इस तरह उन्होंने 50 रुपए महीने पर काम करना शुरू किया।
प्राण ने बंटवारे से पहले कुछ पंजाबी और हिंदी फिल्मों में बतौर लीड एक्टर काम किया। प्राण ने लाहौर में 1942 से 46 तक यानी 4 सालों में 22 फिल्मों में काम किया। इसके बाद विभाजन हुआ और वो भारत आ गए और फिर यहां उन्हें फिल्मों में बतौर विलेन पहचान मिली।
1950 से 1980 यानी 4 दशकों तक प्राण फिल्म इंडस्ट्री के खूंखार विलेन के तौर पर मशहूर रहे। प्राण अपने कैरेक्टर में इतने ढल चुके थे कि रियल लाइफ में भी लोग उन्हें उसी तरह का समझते थे। एक बार प्राण दिल्ली में अपने दोस्त के घर चाय पीने गए। उस वक्त उनके दोस्त की छोटी बहन कॉलेज से वापस आई तो दोस्त ने उसे प्राण से मिलवाया।
करीब 22 फिल्मों में काम करने के बाद प्राण बंटवारे के बाद पत्नी और एक साल के बेटे अरविंद को लेकर अगस्त 1947 में मुंबई आ गए। मुंबई में उनके पास कोई काम नहीं होने की वजह से पैसों की तंगी होने लगी। इसके बाद उन्होंने 8 महीने तक मरीन ड्राइव के पास स्थित एक होटल में काम किया। इसके बाद उन्हें देव आनंद स्टारर फिल्म जिद्दी में काम मिला।
प्राण ने 1945 में शुक्ला अहलूवालिया से शादी की थी। उनके 3 बच्चे हैं। दो बेटे अरविंद और सुनील सिकंद और एक बेटी पिंकी है। 1960 से 70 के दशक में प्राण की फीस 5 से 10 लाख रुपए होती थी। केवल राजेश खन्ना और शशि कपूर को ही उनसे ज्यादा फीस मिलती थी।
अमिताभ बच्चन के करियर को संवारने वाली फिल्म 'जंजीर' पहले धर्मेंद्र, देव आनंद और राजकुमार को ऑफर हुई थी। लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर प्रकाश मेहरा इस फिल्म को इन तीनों में से किसी के साथ भी फ्लोर पर नहीं ला पाए। जब तीन लोगों ने जंजीर को ठुकरा दिया तो एक दिन प्राण ने प्रकाश मेहरा को अमिताभ बच्चन को फिल्म में लेने की सलाह दी। प्रकाश मेहरा के मुताबिक, प्राण ने मुझसे कहा कि अमिताभ को बॉम्बे टू गोवा में देखने के बाद मुझे लगता है कि वह फ्यूचर स्टार है।
प्राण अपने मेकअप पर बहुत काम करते थे। वो अपने घर पर इसके लिए आर्टिस्ट रखते थे और वह वो स्केच बनाता था जैसा प्राण चाहते थे। उसके बाद मेकअप मैन और विग मेकर उस पर काम करते थे। प्राण अपने गेट अप्स, मेकअप और उच्चारण को लेकर हमेशा प्रयोग करते रहते थे। 2013 में मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में सांस लेने की समस्या के बाद 93 साल की आयु में निधन हुआ।