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हीरो-हीरोइन की फीस में आखिर क्यों होता है इतना गैप, 10 प्वाइंट में इसे ऐसे समझें
मुंबई। अनिल कपूर (Anil Kapoor) हाल ही में करीना कपूर के चैट शो 'व्हाट वुमन वॉन्ट' में पहुंचे थे। इस दौरान करीना (Kareena) ने अनिल से बॉलीवुड में एक्टर और एक्ट्रेस के बीच फीस में अंतर को लेकर सवाल पूछा। इस पर अनिल कपूर ने कहा कि तुमने एक फिल्म के लिए मुझसे बहुत ज्यादा पैसा लिया था। वैसे, फिल्म इंडस्ट्री में फीमेल एक्टर्स की तुलना में मेल एक्टर्स को हमेशा ही ज्यादा फीस मिलती है और ऐसा सिर्फ बॉलीवुड में ही नहीं, बल्कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी देखने को मिलता है। बॉलीवुड की तरह ही यहां बनने वाली ज्यादातर फिल्में मैन-सेंट्रिक (पुरुष केंद्रित) होती हैं और इनमें मेल एक्टर की फीस फीमेल एक्टर की तुलना में कई गुना ज्यादा होती है। फीमेल की तुलना में मेल स्टार को मिलने वाली फीस में इतना गैप क्यों होता है, इसकी पड़ताल जब हमने की तो इसकी एक नहीं बल्कि कई वजहें सामने आई हैं। इस पैकेज में हम बता रहे हैं हीरो-हीरोइन की फीस में भारी अंतर की 10 वजहें।
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फिल्म इंडस्ट्री में फीमेल प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स, स्क्रिप्ट राइटर्स और टेक्निशियंस बेहद कम हैं। इसलिए ऐसी कम ही फिल्में बनती हैं, जो वुमन सेंट्रिक हों या जिनमें हीरोइन को हीरो से ज्यादा स्क्रीन शेयर करने का मौका मिले। यही वजह है कि एक्ट्रेस और उसके काम को कम आंका जाता है और उसके मुताबिक उन्हें फीस भी कम ही दी जाती है। साउथ फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो तेलुगु की टॉप एक्ट्रेस नयनतारा और अनुष्का शेट्टी को एक फिल्म के लिए 1.5 से 2 करोड़ रुपए मिलते हैं। समांथा रूथ, काजल अग्रवाल और रकुलप्रीत की फीस तो और कम महज 1 करोड़ रुपए के आसपास है। वहीं, प्रभास, विजय, अजीत कुमार जैसे मेल एक्टर्स की फीस 20 से 30 करोड़ रुपए तक होती है।
फिल्म इंडस्ट्री में कुछ स्टार्स की फीस जेंडर के अलावा ऑडियंस में उनकी पॉपुलैरिटी, प्रोड्यूसर्स के साथ उनकी रिलेशनशिप और बॉक्स ऑफिस पर हालिया रिलीज उनकी फिल्मों की परफॉर्मेंस के आधार पर तय होती है। हालांकि अच्छी फैन बेस वाले कुछ स्टार्स का कहना है कि अगर हमारी लास्ट रिलीज कुछ फिल्में फ्लॉप रहती हैं तो फीस उसके मुताबिक कम या ज्यादा भी हो जाती है।
एक्टर और एक्ट्रेसेस की फीस इस बात पर भी डिपेंड करती है कि वो किस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। मसलन, सीनियर एक्टर मोहनलाल मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के हाइएस्ट पेड एक्टर हैं और उनकी फीस 2 करोड़ रुपए से ज्यादा है। वहीं उनसे कम एक्सपीरियंस वाले तेलुगु एक्टर राणा दग्गुबती को एक फिल्म के लिए 5 करोड़ से ज्यादा मिलते हैं, जबकि राणा दग्गुबती तेलुगु फिल्मों के टॉप एक्टर्स की लिस्ट में भी शामिल नहीं हैं।
साउथ में तेलुगु और तमिल फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो ये दोनों मलयालम और कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से काफी बड़ी हैं। ये भी एक वजह कि तेलुगु और तमिल फिल्मों के स्टार्स को ज्यादा फीस, जबकि मलयालम और कन्नड़ फिल्मों के एक्टर्स को कम पैसे मिलते हैं। तेलुगु और तमिल एक्टर्स की डिमांड भी हमेशा ज्यादा रहती है।
तमिल फिल्मों के टॉप स्टार जैसे जोसेफ विजय और अजीत कुमार जहां एक फिल्म के 30 करोड़ रुपए तक चार्ज करते हैं, वहीं तेलुगु फिल्मों के लिए पवन कल्याण, महेश बाबू और जूनियर एनटीआर को 17 से 22 करोड़ रुपए मिलते हैं। वहीं कन्नड़ के टॉप एक्टर यश को एक फिल्म के लिए 10 करोड़ तो पुनीत राजकुमार को 8 करोड़ तक मिलते हैं। दर्शन और सुदीप जैसे एक्टर 6 करोड़ तक चार्ज करते हैं।
मलयालम के टॉप एक्टर मोहनलाल को एक फिल्म के 2 करोड़, जबकि ममूटी को 5 करोड़ तक मिलते हैं। नवीन पॉली को 1 करोड़ और दुलकीर सलमान को 70 लाख रुपए में ही काम चलाना पड़ता है। हालांकि फीस के अलावा भी कुछ स्टार्स फिल्म में प्रॉफिट शेयरिंग और दूसरे राइट्स के जरिए पैसा लेते हैं।
ज्यादातर फिल्में मेन सेंट्रिक होती हैं, जो सिर्फ मेल एक्टर की वजह से ही चलती हैं। मसलन थेरी सिर्फ एक्टर विजय की फिल्म थी। इसमें समांथा के होने के बावजूद उन्हें कुछ खास क्रेडिट नहीं मिला। इसी तरह मलयालम फिल्म पुलिमुरुगन पूरी तरह से एक्टर मोहनलाल पर बेस्ड मूवी है। इसमें एक्ट्रेस कमलिनी मुखर्जी के रोल को महत्व नहीं दिया गया। इस तरह जब प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को मालूम होता है कि ये मेन सेंट्रिक फिल्म है तो उसमें वो मेल एक्टर्स को पैसों के साथ ही रोल में भी तवज्जो देते हैं। एक्ट्रेस का काम सिर्फ और सिर्फ एक्साइटमेंट क्रिएट करने का होता है।
नयनतारा ऐसी इकलौती एक्ट्रेस हैं, जिन्हें तमिल फिल्मों में काम करने के लिए करीब 4 करोड़ रुपए मिलते हैं। मलयालम और तेलुगु फिल्मों की कई एक्ट्रेस तो तमिल फिल्मों में एक्टिंग के लिए महज 30 से 50 लाख में ही तैयार हो जाती हैं। कई बार प्रोड्यूसर्स को लगता है कि कुछ एक्ट्रेस की डिमांड इतनी कम होती है और इसीलिए वो उन्हें कम पैसों में ही कास्ट करना चाहते हैं। अगर कोई एक्ट्रेस ना कहती है तो वो दूसरी को कास्ट करने के लिए तैयार रहते हैं।
ऐसी फिल्में जो वुमन ओरएंटेड हैं, इनका बजट काफी कम होता है। प्रोड्यूसर्स को लगता है कि हीरो सेंट्रिक फिल्म के कम्पेरिजन में ये फिल्में कम कमाई कर पाती हैं। ऐसी फिल्में आज भी महज प्रयोग के तौर पर ही बनाई जा रही हैं। मसलन अनुष्का शेट्टी की रुद्रमादेवी और प्रभास की बाहुबली इसके सबसे सटीक उदाहरण हैं।
बॉलीवुड की बात करें तो पिंक और दंगल जैसी फिल्मों में लीड रोल में वुमन ही हैं। लेकिन फिल्म का सारा क्रेडिट मेल स्टार अमिताभ बच्चन और आमिर खान ले जाते हैं। यहां यह मायने नहीं रखता कि किसने सबसे ज्यादा काम किया बल्कि यह बात मायने रखती है कि लोगों के सामने किसकी मार्केटिंग हो सकती थी।