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जब सरोज खान ने सरेआम निकाल दी थी सलमान की हेकड़ी, कहा- रोटी तुम नहीं अल्लाह देता है
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दरअसल, सरोज खान जब 1994 में रिलीज हुई फिल्म 'अंदाज अपना अपना' के गाने 'ये चांद और ये दूरी' कोरियोग्राफ कर रही थीं, तब सलमान खान उनसे खफा हो गए थे। सलमान को शूटिंग के दौरान ऐसा लगा कि सरोज खान फिल्म के ही दूसरे एक्टर आमिर खान को उनसे ज्यादा अच्छे स्टेप्स दे रही हैं।
सलमान इसी बात पर भड़क गए और उन्होंने सरोज खान को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि जब मैं सुपरस्टार बन जाऊंगा तो तुम्हारे साथ कभी काम नहीं करूंगा। इस पर सरोज खान ने भी सलमान को करारा जवाब दिया था।
इंटरव्यू में सरोज खान ने कहा था- मैं तो गाने की सिचुएशन के हिसाब से सलमान को स्टेप्स सिखा रही थी। डायरेक्टर ने मुझे किरदारों के बारे में जैसा बताया था, मैंने वैसे ही स्टेप्स सभी के लिए तैयार किए थे।
सरोज खान के मुताबिक, जब सलमान ने मुझसे कहा कि वो मेरे साथ कभी काम नहीं करेगा तो मैंने भी उससे कह दिया था कि रोटी तुम नहीं, अल्लाह देता है। अगर मुझमें हुनर होगा तो तुम नहीं कोई और मेरे साथ काम कर लेगा।
करियर की शुरुआत में शाहरुख खान जब कई शिफ्टों में काम करके थक गए थे तो एक दिन उन्होंने सरोज से कहा- इतना काम है कि थक जाता हूं। तब सरोज खान ने उन्हें थप्पड़ लगाते हुए कहा था कि ये कभी मत कहना कि ज्यादा काम है। इस फील्ड में काम कभी ज्यादा नहीं होता।
2000 से भी ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ कर चुकीं सरोज खान का जन्म 22 नवंबर, 1948 को हुआ था। किशनचंद सद्धू सिंह और नोनी सद्धू सिंह के घर जन्मी सरोज का असली नाम निर्मला नागपाल है।
बंटवारे के बाद सरोज का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था। महज 3 साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट सरोज ने करियर की शुरुआत फिल्म 'नजराना' से की थी। सरोज खान ने 13 साल की उम्र में इस्लाम कबूल कर 43 साल के डांस मास्टर बी सोहनलाल से शादी की थी।
सरोज खान की सबसे छोटी बेटी सुकैना नागपाल ने एक इंटरव्यू में उनसे जुड़ी कई यादें शेयर की थीं। सुकैना ने बताया था कि उनकी मां बहुत खुद्दार थी। उन्होंने कभी किसी का एक पैसा भी खुद पर बाकी नहीं रखा। यहां तक कि उनका अंतिम संस्कार भी उन्हीं के पैसों से ही हुआ था।
सुकैना ने बताया था- मां के अंतिम संस्कार के बाद कब्रिस्तान में पैसे देने का वक्त आया। जल्दबाजी में मैं और मेरे पति पैसे रखना भूल गए थे। गाड़ी और ड्राइवर भी पास में नहीं थे। तभी अचानक मैंने पर्स चेक किया तो उसमें 3 हजार रुपए निकले। इत्तेफाक से ये रुपए मां के ही थे। उन्होंने लॉकडाउन से पहले ये पैसे किसी काम से दिए थे। वह इतनी खुद्दार थीं कि कफन के पैसे भी खुद देकर गईं।