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गुलशन कुमार को गोली मारने के बाद शूटर ने चीखें सुनाने अपने मालिक को किया था फोन, ये है पूरा घटनाक्रम
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आखिर क्या हुआ था 12 अगस्त को :
- रंगदारी नहीं देने पर अबू सलेम के शूटर ने 12 अगस्त 1997 को मुंबई के अंधेरी इलाके में गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
- हत्या के वक्त गुलशन कुमार जीतेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने के बाद घर लौट रहे थे। तभी शूटर राजा ने गुलशन कुमार के शरीर में 16 गोलियां दाग दी थीं।
- इसके बाद उसने अबू सलेम को गुलशन कुमार की चीखें सुनाने के लिए फोन भी किया और 10 मिनट तक ऑन रखा था। इस घटना का जिक्र एस हुसैन जैदी की किताब 'माई नेम इज अबू सलेम' में किया गया है।
गुलशन कुमार ने ठुकराई थी अंडरवर्ल्ड की मांग :
5 मई, 1956 को नई दिल्ली में जन्मे गुलशन कुमार ने अंडरवर्ल्ड की जबरन वसूली की मांग के सामने झुकने से इंकार कर दिया था, जिसकी वजह से उनकी हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि अबु सलेम ने गुलशन कुमार से जब हर महीने 5 लाख रुपए देने के लिए कहा तो गुलशन कुमार ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि इतने रुपए देकर वो वैष्णो देवी में भंडारा कराएंगे।
डॉन अबू सलेम ने जान के बदले मांगे थे 10 करोड़ :
एस हुसैन जैदी की किताब 'माई नेम इज अबू सलेम' में जिक्र है कि अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम ने गुलशन कुमार को जान के बदले 10 करोड़ देने को कहा था। गुलशन कुमार ने कहा कि उसे रुपए देने के बजाय उन रुपयों से वो वैष्णो माता के मंदिर में भंडारा कराएंगे। जम्मू में आज भी गुलशन कुमार के नाम से भंडारा चलता है।
कभी पिता के साथ जूस बेचते थे गुलशन कुमार :
गुलशन कुमार दुआ का जन्म एक पंजाबी परिवार में 1956 में दिल्ली में हुआ था। गुलशन ने दिल्ली के देशबंधु कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की थी। दिल्ली के दरिया गंज इलाके में उनके पिता चंद्रभान की एक जूस की दुकान थी, जहां गुलशन उनके साथ काम करते थे। गुलशन कुमार जूस की दुकान पर अपने पिता का हाथ बंटाते थे और यहीं से बिजनेस में उनका इंटरेस्ट जगा।
ऐसे खड़ी की थी करोड़ों की कंपनी :
जूस की दुकान में काम करते-करते गुलशन ऊब गए थे। ऐसे में एक दिन उनके पिता ने एक दुकान और खरीद ली, जिसमें सस्ती कैसेट्स और गाने रिकॉर्ड कर बेचे जाते थे। यहीं से आगे चलकर उन्होंने नोएडा में अपनी कंपनी खोली और म्यूजिक इंडस्ट्री में बड़ा नाम बन गए।
खुद भक्ति गाने रिकॉर्ड करते थे गुलशन कुमार :
इस दौरान उन्होंने भक्ति गानों को भी रिकॉर्ड करना शुरू किया और वो खुद भी ये गाने गाया करते थे। 70 के दशक में गुलशन कुमार के कैसेट्स की डिमांड बढ़ती गई और वो म्यूजिक इंडस्ट्री के सफल बिजनेसमैन में शुमार हो गए।
बेवफा सनम को किया डायरेक्ट :
ऑडियो कैसेट्स में सफलता के बाद गुलशन कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री की ओर कदम रखा और मुंबई चले आए। मुंबई आने के बाद गुलशन की किस्मत बदल गई। उन्होंने तकरीबन 15 से ज्यादा फिल्में प्रोड्यूस कीं, जिनमें एक फिल्म 'बेवफा सनम' को उन्होंने डायरेक्ट भी किया।
फिल्में और सीरियल भी किए प्रोड्यूस :
वे म्यूजिक और बॉलीवुड फिल्मों के अलावा हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित फिल्मों और सीरियल्स को भी प्रोड्यूस करने लगे। गुलशन कुमार की पहली प्रोड्यूस की गई फिल्म 1989 में आई 'लाल दुपट्टा मलमल का' थी। लेकिन उन्हें असल पहचान साल 1990 में आई फिल्म 'आशिकी' से मिली।
24 से ज्यादा देशों में फैली है टी-सीरिज :
24 साल पहले जब गुलशन कुमार की हत्या हुई तो उससे पहले ही वो म्यूजिक की दुनिया के इंटरनेशनल ब्रान्ड बन चुके थे। रिपोर्ट्स की मानें तो टी-सीरीज का बिजनेस 24 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है। फिल्म इंडस्ट्री में सफल होने के बाद गुलशन कुमार ने अपनी कमाई का एक हिस्सा सोशल काम में खर्च किया। धर्म में उनकी काफी रुचि थी और वे वैष्णो देवी के भक्त थे।