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गोल्ड से भी कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, जानें अपनी जरूरत के मुताबिक कहां और कैसे करें निवेश
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मोटी कमाई का जरिया बन गया सोना
कोरोनावायरस महामारी के इस दौर में जब हर तरफ आर्थिक संकट गहराता जा रहा है और निवेश को लेकर अनिश्चिचतता का माहौल बना हुआ है, गोल्ड में निवेश मोटी कमाई का एक जरिया बन गया है। निवेशक फाइनेंशियल सिक्युरिटी के लिहाज से गोल्ड में निवेश करते हैं। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि गोल्ड की कीमत में आगे भी बढ़ोत्तरी होती रहेगी।
गोल्ड में निवेश के हैं कई ऑप्शन
फिलहाल, गोल्ड में निवेश के कई ऑप्शन मौजूद हैं। गोल्ड खरीदने से लेकर पेपर गोल्ड में भी निवेश किया जा सकता है। पेपर गोल्ड में गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (Gold ETFs) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) में भी निवेश किया जा सकता है। इसके अलावा भी दूसरे विकल्प हैं। गोल्ड में निवेश करने के पहले इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि कौन-सा विकल्प आपके लिए बेहतर हो सकता है।
लिक्विडिटी
किसी भी तरह के निवेश में लिक्विडिटी को काफी महत्वपूर्ण फैक्टर माना जाता है। ज्यादातर लोग ऐसी स्कीम में निवेश करना पसंद करते हैं, जिसमें वे जब चाहें अपना रिटर्न ले सकें। जहां तक गोल्ड में निवेश की बात है, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETFs) बेहतर विकल्प साबित होता है।
जब चाहें खरीद या बेच सकते
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में दूसरे गोल्ड फंड्स की तरह एग्जिट लोड नहीं होता। इसका मतलब है कि बाजार खुले रहने के समय निवेश करने वाला जब चाहे, इस खरीद या बेच सकता है। गोल्ड इन्वेस्टमेंट की दूसरी स्कीम में यह सुविधा नहीं मिलती।
सॉवरेन गोल्ड फंड
सॉवरेन गोल्ड फंड में निवेश करने से भी काफी फायदा मिलता है। सॉवरेन गोल्ड फंड में 8 साल के लिए निवेश किया जाता है। इसमें निवेश करने के 5 साल के बाद ही एग्जिट करने की सुविधा मिलती है।
सॉवरेन गोल्ड फंड में ज्यादा रिटर्न
अगर ज्यादा रिटर्न हासिल करना हो तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) सबसे बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है। इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स भी ज्यादा रिटर्न पाने के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में ही निवेश की सलाह देते हैं। इसमें सोने की कीमत बढ़ने पर फायदा तो मिलता ही है, इन्वेस्टमेंट पर सालाना 2.5 फीसदी का रिटर्न हासिल होता है।
टैक्स के नियम
फिजिकल गोल्ड में निवेश करने पर दूसरे कैपिटल एसेट की तरह ही टैक्स देना होता है। अगर 3 साल के लिए सोना रखा जाता है, तो इस पर 20 फीसदी के हिसाब से ल़न्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) देना होता है। इसमें एजुकेशनल सेस और दूसरे सरचार्ज भी देने होते हैं। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स स्लैब के मुताबिक ही टैक्स लगता है।
गोल्ड ईटीएफ पर भी टैक्स
फिजिकल गोल्ड की तरह गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड म्यूचुअल फंड्स पर भी टैक्स देना होता है। वहीं, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स देना होता है। अगर इस बॉन्ड को मेच्योरिटी पूरी होने तक रखा जाए तो कैपिटल गेन्स पर टैक्स में राहत मिलती है।