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टेक्नालजी से कुछ इस तरह कोरोना की महामारी से जंग लड़ रहा है एशिया, भारत भी इसमें शामिल

बिजनेस डेस्क: दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण के केस लगातार बढ़ रहे हैं. एशिया के भी ज्यादातर देश इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है। वैज्ञानिकों से लेकर सरकारें तक इस खतरनाक वायरस को रोकने की कोशिश कर रही हैं। अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों में इस वायरस ने कहर भरपाया है। वहीं, भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या अब 11,933 पहुंच गई है। वहीं, इस महामारी से अब तक 392 लोगों की मौत हो चुकी है। 

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Asianet News Hindi
Published : Apr 15 2020, 07:33 PM IST| Updated : Apr 15 2020, 07:36 PM IST
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ऐसे में दुनिया और एशिया के कई देश कोरोना पर जल्द से जल्द काबू पाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत भी इस मुहीम में कहीं से भी पीछे नहीं है। आज हम आपको ऐसी ही कुछ तकनीक के बारे में बताएंगे जिनका इस्तेमाल करके भारत और एशिया के कई मुल्क इस महामारी से लड़ रहे हैं। 
 
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रोबोट के जरिए भोजन की सप्लाई 

सिंगापुर में रोबोट कोरोना मरीजों को अस्पताल में भोजन दे रहे हैं। वहीं, सिंगापुर की सरकार ने कोरोना पर काबू पाने के लिए बहुत ही विस्तृत मैपिंग की है जिससे कोरोना के मरीजों का पता लगया जा सके। 
 
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रोबोट के जरिए अस्पताल की सफाई 

चीन में भी कुछ ऐसा ही देकने को मिला वहां भी कोरोना मरीजों के अस्पताल को साफ करने के लिए रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है और दवाई के सप्लाई के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। 
 
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मोबाइल फोन ट्रैकिंग 

वियतनाम ने भी अपने देश में कोरोना को रोकने के लिए अपने देश के लोगों और विदेशियों का मोबाइल फोन ट्रैक कर रहा है ताकि लोगों की ट्रेवल हिस्ट्री जान कर संक्रमितों की संख्या पर काबू पाया जा सके। वहीं, थाईलैंड ने भी अपने देश में संक्रमितों को चिन्हित करने के लिए मास सर्विलांस कर रहा है।  
 
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कोरोना वायरस को रोकने के लिए बेहतर विकल्प इसलिए है, क्योंकि इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहेगी और वायरस को रोकने में भी मदद मिलेगी। आपको बता दें कि लॉकडाउन के चलते अधिकतर लोग काम के सिलसिले में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बिजनेस मीटिंग कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ भारत सरकार ने भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की थी।
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वर्क फ्रॉम होम 

वर्क फ्रॉम होम का इस्तेमाल लॉकडाउन के चलते अधिकतर लोग अपने घर से काम कर रहे हैं। इनमें सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। सरकार और निजी कंपनियों ने यह कदम इसलिए उठाया है, जिससे आम जनता को कोरोना वायरस से बचाया जा सके। आपको बता दें कि वर्क फ्रॉम होम की शुरुआत सबसे पहले चीन से हुई थी। कोरोना वायरस के ताजा मामले सामने आते ही चीन की अलीबाबा कंपनी ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का आदेश दिया था।
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ड्रोन के जरिए लॉक डाउन और सुरक्षा की निगरानी

ड्रोन का उपयोगदुनिया के अधिकतर देश ड्रोन के जरिए लोगों तक दवाइयों से लेकर जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं। हालांकि, भारतीय सरकार ड्रोन के जरिए लोगों और संक्रमित क्षेत्रों की निगरानी कर रही है। आपको बता दें कि चीनी सरकार ड्रोन से लोगों तक फेस मास्क और दवाईयां पहुंचा रही हैं। साथ ही संक्रमित क्षेत्रों में सैनिटाइजर का छिड़काव भी किया छिड़काव भी किया जा रहा है।
 
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मोबाइल एप से संक्रमितों की ट्रैकिंग

भारत सरकार ने हाल ही में कोरोना कवच और आरोग्य सेतु मोबाइल एप लॉन्च किए थे। सरकार इन एप्स के जरिए वायरस से संक्रमित लोगों की लोकेशन ट्रैक कर रही है। वहीं, इन एप्स में कोरोना वायरस से जुड़ी अहम जानकारी उपलब्ध है, जो कि यूजर्स के बहुत काम आएगी।
 
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बता दें कि दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या आधिकारिक रूप से 20 लाख पार कर गई है। एएफपी ने यह जानकारी बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह दस बजे तक आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर दी। इसके मुताबिक दुनियाभर में कुल संक्रमितों की संख्या 20, 00,576 है जिनमें से 1,26,871 लोगों की मौत हुई है।

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