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म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों के लिए जानना है जरूरी, SEBI ने किया नियमों में बदलाव
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स्टॉक्स की नई लिस्ट होगी पब्लिश
बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) के आधार पर टॉप 100 कंपनियों के स्टॉक्स लार्ज कैप (Large-Cap) में आते हैं। इसके बाद के अगले 150 स्टॉक्स मिड कैप्स (Mid-Caps) और अगले 250 स्टॉक्स स्मॉल कैप्स (Small-Caps) की कैटेगरी में आते हैं। मौजूदा स्कीम्स को जनवरी 2021 तक इसका पालन शुरू कर देना होगा। दिसंबर 2020 तक एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) लॉर्ज, मिड और स्मॉल कैप्स कैटेगरी में आने वाले स्टॉक्स की नई लिस्ट पब्लिश करेगा।
(फाइल फोटो)
क्या है अभी नियम
फिलहाल, मल्टी कैप फंड्स में एलोकेशन को लेकर सेबी का नियम यह तय नहीं करता है कि लॉर्ज, मिड और स्मॉल कैप्स में कितना फीसदी निवेश करना है। इस तरह के फंड्स को उच्च स्तर की फ्लेक्सिबिलिटी दी गई है कि वे इन मार्केट कैप्स में अपने हिसाब से हिस्सेदारी को कम या ज्यादा करें।
(फाइल फोटो)
किस कैटेगरी में शामिल होंगे ये स्टॉक्स
पराग पारिख फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड (PPFAS) लॉन्ग टर्म इक्विटी में अपने पोर्टफोलियो का 35 फीसदी तक हिस्सा इंटरनेशनल स्टॉक्स (International Stocks) में भी निवेश करते हैं। हालांकि, नए सर्कुलर में ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है कि इस तरह के स्टॉक्स किस कैटेगरी में शामिल होंगे।
(फाइल फोटो)
एक्सपर्ट्स ने कहा बेहतर कदम
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि मल्टी कैप को लेकर नया सर्कुलर बेहतर है। फिलहाल, इन फंड्स में ज्यादातर हिस्सा लॉर्ज कैप का ही है। यही वजह है कि मल्टी कैप और लार्ज कैप में फर्क कर पाना मुश्किल हो जाता है। फिलहाल, हर मल्टी कैप में औसतन 70 फीसदी लॉर्ज कैप स्टॉक्स हैं।
(फाइल फोटो)
हो सकती है लिक्विडिटी की समस्या
मिड कैप के लिए यह आंकड़ा 22 फीसदी और स्मॉल कैप के लिए 8 फीसदी है। हालांकि, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि छोटी अवधि में मिड और स्मॉल कैप्स में लिक्विडिटी की समस्या खड़ी हो सकती है।(फाइल फोटो)
एसेट अंडर मैनेजमेंट भी होगा बदलाव
फिलहाल, मल्टी कैप का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 1.46 लाख करोड़ रुपए का है। ऐसे में, इस सर्कुलर के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि इसमें से करीब 30 हजार करोड़ रुपए अगले कुछ महीनों में मिड व स्मॉल कैप्स में शिफ्ट हो जाएंगे। सेबी के नए नियमों के तहत इन फंड्स को एलोकेशन 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाना है।
(फाइल फोटो)