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12 साल की नौकरी में कुछ नहीं कमाया, लेकिन एक 'आइडिया' ने 5 साल में बना दिया करोड़पति
प्रधानमंत्री मोदी ने 'आत्मनिर्भर भारत' पर जोर दिया है। इसके पीछे मंशा है कि लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरे। वे खुद का काम-धंधा शुरू करके अच्छा-खासा कमा सकें। यह कहानी यूपी के गौतम बुद्ध नगर के रहने वाले दुर्लभ रावत की है। 36 वर्षीय दुर्लभ मैकेनिकल इंजीनियर हैं। डिग्री के बाद ये भी एक समय नौकरी के लिए मारे-मारे फिरते थे। जैसे-तैसे करके एक प्राइवेट कंपनी में जॉब मिल गई। करीब 12 साल नौकरी की, लेकिन मजा नहीं आया। न काम में और न सैलरी को लेकर। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ने की ठानी। शुरुआत में परिजनों और दोस्तों आदि ने हैरानी जताई। लेकिन दुर्लभ अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते थे। 2016 में नौकरी छोड़ने के बाद दुर्लभ ने अपनी डेयरी शुरू की। शुरुआत में दिक्कतें हुईं, लेकिन आज इनकी डेयरी का टर्न ओवर 2.5 करोड़ रुपए है। इनके पास आज 7000 से ज्यादा कस्टमर्स हैं। इन्होंने कइयों को जॉब दे रखा है।
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दुर्लभ का परिवार किसान है। 12th तक गांव में पढ़ने के बाद वे इंजीनियरिंग करने शहर चले गए। जैसा कि आमतौर पर हो रहा है। गांव का कोई युवा जब शहर पढ़ने जाता है, तो वो वहीं का होकर रह जाता है। दुर्लभ के साथ भी यही हुआ। हालांकि 12 साल नौकरी के बाद जब वे गांव लौटे, तब तय नहीं था कि आगे क्या करना है। हालांकि यह ठान लिया था कि खेती-किसानी करेंगे।
दुर्लभ ने रिसर्च की, तो पाया कि लोग दूध का बिजनेस का तो करते हैं, लेकिन उसकी शुद्धता और क्वालिटी पर फोकस नहीं करते। यहीं से उन्हें डेयरी खोलने का विचार आया। शुरुआत 50 पशुओं के साथ की।
दुर्लभ ने शुरुआत में करीब 6 महीने तक अपना दूध समीप की एक डेयरी को बेचा। लेकिन कमाई कुछ नहीं हुई। इसके बाद उन्हें अपना खुद का ब्रांड शुरू करने का आइडिया आया। 2016 में दुर्लभ ने बारोसी नाम से अपना ब्रांड यानी स्टार्टअप शुरू किया।
दुर्लभ अपने ब्रांड का बोतलबंद दूध लोगों के घरों तक पहुंचाने लगे। लोगों को दूध की क्वालिटी और शुद्धता पंसद आई। इस तरह धीरे-धीरे कस्टमर्स बढ़ते चले गए। इसके बाद दुर्लभ गुड़, शहद, घी आदि सामान भी सप्लाई करने लगे।
आज दुर्लभ के स्टार्टअप के साथ 15 से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं। साथ ही 55 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इन्होंने एक वाट्सऐप ग्रुप का ऐप लॉन्च किया है। ये 1800 से ज्यादा घरों में दूध और अन्य प्रोडक्ट्स सप्लाई करते हैं। वहीं, कुल मिलाकर 7000 ग्राहक जुड़े हुए हैं।
दुर्लभ बताते हैं कि जैसे ही उनका प्रोडक्ट्स कस्टमर्स के घर तक पहुंचता है, अकाउंट से पैसा कट जाता है। अगले दिन कस्टमर्स को क्या चाहिए या दूध नहीं चाहिए, तो इसके लिए रात 10 बजे तक ऐप पर अपडेट कर देते हैं।
दुर्लभ बताते हैं कि उनके प्रोडक्ट्स की डिमांड दिल्ली, नोएडा और मुंबई से तक आने लगी है। मार्केटिंग के लिए वे सोशल मीडिया की मदद लेते हैं।
दुर्लभ के सभी प्रोडक्ट्स ईको फ्रेंडली हैं। यानी दूध और अन्य लिक्विड चीजें कांच या स्टील की बॉटल में सप्लाई करते हैं। वहीं, आटा और अन्य सूखी चीजें जूट के बैग में पैक करते हैं। दुर्लभ कहते हैं कि कोई भी ऐसा स्टार्टअप शुरू कर सकता है, जरूरत सही मार्केटिंग और प्रोडक्ट्स की क्वालिटी और शुद्धता पर फोकस रखने की है।