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- 'लगता था पढ़ने नहीं शादी में जाना है' 10 फोटो में जानिए लड़कियों की कॉलेज वाली पढ़ाई क्यों रोक दी तालिबान ने
'लगता था पढ़ने नहीं शादी में जाना है' 10 फोटो में जानिए लड़कियों की कॉलेज वाली पढ़ाई क्यों रोक दी तालिबान ने
काबुल। कुछ देर से ही सही मगर तालिबानी शासन वाले अफगगानिस्तान से वो खबर सामने आ ही गई, जिसका काफी पहले से अंदेशा था। दरअसल, तालिबानी सरकार ने अफगानिस्तान में लड़कियों के कॉलेज वाली पढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। यही नहीं, तालिबानी सरकार ने अपने इस फैसले को जायज ठहराते हुए बचकानी दलील भी दी है। वहीं, अफगानी लड़कियों और कुछ महिला संगठनों की कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का विरोध किया है। आइए तस्वीरों के जरिए जानते है वहां आखिर चल क्या रहा है।
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तालिबानी सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम ने कहा कि जेंडर मिक्सिंग की वजह से लड़कियों की कॉलेज वाली पढ़ाई पर रोक लगाई गई है।
मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम ने यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि यहां इस्लामिक मूल्यों का उल्लंघन किया जा रहा था।
नदीम ने अपनी बचकानी दलील में लड़कियों के पहनावे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जो छात्राएं घर से यूनिवर्सिटी आ रही थी, वे हिजाब नहीं पहन रही थीं।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि लड़कियां कॉलेज आते वक्त ऐसे कपड़े पहन रही थीं, मानों वे पढ़ने नहीं शादी समारोहों में शामिल होने जा रही हैं।
नेदा मोहम्मद नदीम ने कहा कि इस्लामिक अमीरात के कुछ प्लान रिफॉर्म्स हायर एजुकेशन सेक्टर में पहले लागू नहीं हुए थे। ऐसे में उन्हें अब लाया जा रहा है।
बहरहाल, तालिबानी शासन के इस फैसले का वहां की लड़कियों, महिला संगठनों और दूसरे सामाजिक संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
कॉलेज जाने वाली लड़कियां और महिला संगठन से जुड़ी कार्यकर्ता सड़कों पर निकल रही हैं और अपनी मांगों के समर्थन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रही हैं।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तालिबानी फैसले का विरोध हो रहा है और इसकी कड़ी निंदा की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस पर संज्ञान लिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने अपने बयान में कहा कि यह महिलाओं को अफगानी समाज से मिटाने की साजिश है। वहां की सरकार को तुरंत यह रोक हटानी चाहिए।
वहीं, अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का भी इस पर बयान आया है। उन्होंने कहा कि तालिबान जब तक लोगों और उनके अधिकारों का सम्मान नहीं करेगा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सदस्य नहीं बन सकेगा।