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इस IPS ने बचाई थी भीख मांगने वाले 67 बच्चों की जान, अब कोरोना वॉरियर्स को पिला रही हैं चाय
चुरू. भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। कोरोनो से जंग में हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी, सफाई कर्मचारी और पुलिस विभाग दिन-रात तैनात हैं। देश के कोने-कोने से इनकी नेकी और साहस की कहानियां सुनने और जानने को मिल रही हैं। आईएएस, आईपीएस अधिकारी इस आपदा में अपनी सूझबूढ के साथ देशसेवा का भी परिचय दे रहे हैं। ऐसे ही एक हमारे देश के पुलिस विभाग में सुपरहीरो और सुपरवीमेन कही जाने वाली योद्धा हैं जिनका जन्म ही लोगों की मदद और जान बचाने के लिए हुआ है। ये अपने कामों और जज्बे से हमेशा चौंका देती हैं। कभी भीख मांगने वाले बच्चों को बचाती हैं तो कभी कोरोना वॉरियर्स को आधी रात में चाय पिलाती हैं। कोरोना से जंग में जुटी इस महिला पुलिस अफसर के प्रेरणादायक कामों के साथ आज हम आपको उनके अफसर बनने के संघर्ष के बारे में भी बताएंगे। आईएएस सक्सेज स्टोरी ( IAS Success Story) में आइए जानते हैं राजस्थान के चुरू जिले की पुलिस अधीक्षक (एसपी) तेजस्विनी गौतम के बारे में।
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एसपी तेजस्विनी गौतम कोरोना से भारत की जंग के खिलाफ पूरे जी जान से जुटी हैं। पूरा दिन काम करने के बाद, यह आईपीएस अफसर रात को ड्यूटी कर रहे अपने पुलिसकर्मियों तक चाय पहुंचाती हैं। अपने पति के साथ मिलकर वह घर से ही चाय बनाकर ले जाती हैं और अलग-अलग जगहों पर तैनात पुलिसकर्मियों से जाकर मिलती हैं। उन्हें चाय देती हैं और साथ ही, उनका हौसला बनाए रखती हैं। इसके अलावा, वह घर से बेसहारा जानवरों के लिए खाना भी लेकर जाती हैं और रात को जहां भी उन्हें कोई बेजुबान दिखता है, उसे खाना खिलाती हैं।
एसपी तेजस्विनी गौतम रात को 1 बजे से 4 बजे राउंड लेकर ड्यूटी पर तैनात जवानों को चाय देती हैं और साथ ही, बेसहारा जानवरों को खाना। इसके अलावा, उन्होंने और उनकी टीम ने कुछ लोगों की मदद से अब तक गरीब और ज़रूरतमंद लोगों में 7 हज़ार पैकेट सूखा राशन और 2500 फ़ूड पैकेट बांटे हैं। उन्होंने पुलिस विभाग की वर्दियों में से बचे हुए कपड़े से फेस मास्क बनवाए हैं ताकि पुलिस कर्मियों को परेशानी न हो। और स्पाइरल बाइंडिंग में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की शीट से फेस शील्ड।
तेजस्वनी के करियर की बात करें तो उनके नाम कई कारनामें और समाज में बदलाव के नियम जुड़े हैं। वो जब किसी समस्या को देख सुन लेती हैं तो उसको निपटाकर ही दम लेती हैं। वो हाथ में ठपली लेकर लोगों को नुक्कड़ नाटक के जरिए जागरूक भी करती हैं।
IPS तेजस्विनी दिल्ली की रहने वाली हैं। उनके करियर की बात करें तो उन्होंने के लेडी श्रीराम कॉलेज से बीए ऑनर्स करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की। तेजस्विनी का चयन 2013 में पहले प्रयास में IPS के लिए हुआ। स्कूल-कॉलेज के समय से ही महिलाओं और गरीब बच्चों को मार्गदर्शन देने के लिए खुद के लिखे नुक्कड़ नाटकों का मंचन और थिएटर करती आ रहीं हैं। तेजस्विनी ने यह क्रम IPS बनने के बाद भी जारी रखा। पिछले 12 साल में वह हजारों महिलाओं और बच्चों को सही राह दिखा चुकी हैं।
करीब 67 बच्चे रोजाना कचरा बीनने जाते, उससे थोड़ा बहुत पैसा मिलता, उससे व्हाइटनर खरीद लेते। रात तक घर लौटते तो व्हाइटनर सूंघकर बेहोश हो जाते। वो इसका नशा करते थे। तेजस्विनी ने अजमेर में शुरू की गई एक योजना “प्रेरणा’ के दौरान एक सप्ताह में 67 बच्चों को नशे की लत छुड़ाकर उनका पुनर्वास कराया। तेजस्विनी को रेलवे स्टेशन के पास ये बच्चे व्हाइटनर का नशा करते मिले तो उन्होंने बच्चों से पहले खुद काउंसलिंग की। फिर घंटों तक समझा कर बच्चों को सामाजिक संस्था की मदद से नशे की जद से बाहर निकाला। इन 67 बच्चों को नशे की आदत छुड़ाकर तेजस्वनी ने जिंदगी की नई राह दिखाई। उनके प्रयासों से उन बच्चों की जिंदगी संवर गई वे सभी अब पढ़-लिखकर अच्छे इंसान बन रहे हैं।
इतना ही नहीं तेजस्विनी ने नौसर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से इतना जागरुक कर दिया कि अब कोई जरा भी छींटाकशी करके दिखाए। गांव में अब किसी की हिम्मत नहीं कि महिलाओं पर फब्ती कस सके। कोई भी यौन शोषण की घटना होने पर गांव की लड़कियां और महिलाएं मैडम से शिकायत करतीं और समाधान हो जाता।
IPS तेजस्विनी पुलिस महकमे में भी महिलाओं के उत्पीड़न पर आवाज उठाती हैं। उन्होंने खुद महिला उत्पीड़न को जड़ से मिटाने का संदेश देने वाले नुक्कड़ नाटक का निर्देशन किया। महिला कांस्टेबलों के बीच मुख्य किरदार भी खुद ने ही निभाया। उनके कामों को देशभर में सराहना मिली। ऐसी पुलिस अधिकारी मिलने पर चुरू क्षेत्र के लोग खुद को काफी सौभाग्यशाली मानते हैं। हालांकि तेजस्वनी गौतम सुपरवीमेन के रूप में सबकी रोल मॉडल बनी हुई हैं।