- Home
- Career
- Education
- सिर्फ हाउस वाइफ बन नहीं करनी थी जिंदगी बर्बाद, वर्दी पहनने का जुनून चढ़ा और गांव की छोरी बन गई IPS
सिर्फ हाउस वाइफ बन नहीं करनी थी जिंदगी बर्बाद, वर्दी पहनने का जुनून चढ़ा और गांव की छोरी बन गई IPS
हरियाणा. किसान परिवार में जन्मी एक बेटी ने अपने दादा की इच्छा को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया। बचपन में दादा अपनी पोती को सच्चाई और ईमानदारी की सीख देते थे। वो कहते थे देश और समाज की सेवा करना ही सच्चा धर्म होता है। दादा की बातों को पोती ने हमेशा दिल में रखा और देश सेवा का जज्बा दिल में जगा लिया। पर लड़की होने की वजह से उस पर जल्दी शादी कर घर बसाने का भी प्रेशर था। वो हाउस वाइफ बनकर बच्चों को पालने पोसने में अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहती थी। वो चाहती थी कुछ बड़ा करना जिससे नाम रोशन हो पूरे गांव का। और ये हुआ भी वो हरियाणा के एक छोटे से गांव सांपला की पहली महिला IPS अफसर बनी और परिवार का नाम रोशन किया। गांव से कॉलेज जाने के लिए वो बस के धक्के खाती थीं। दादी पोती के इंतजार में गांव के बस स्टॉप पर खड़ी रहती थीं लेकिन पोती ने हार नहीं मानी और एक दिन अफसर बनकर ही दम लिया। हम बात कर रहे हैं दिल्ली की DSP मोनिका भारद्वाज के बारे में। IAS-IPS सक्सेज स्टोरी में आज हम आपको मोनिका के संघर्ष की प्रेरणात्मक कहानी सुना रहे हैं।
110

मोनिका हरियाणा के उस क्षेत्र से आती हैं जहां बेटियों को पैदा होते ही गला घोंटकर मार दिया जाता है। मोनिका हरियाणा के एक गांव सांपला की रहने वाली हैं। दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर देवीदत्त भारद्वाज मोनिका के पिता हैं। पर परिवार में दादा-दादी से वो ज्यादा जुड़ी हुई थीं।
210
पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी मोनिका शादी के बाद साधारण महिलाओं जैसी हाउस वाइफ वाली जिंदगी नहीं जीना चाहती थीं। वो चाहती थीं वो कुछ अलग करें। ऐसे में लिंगानुपात व भ्रूण हत्या जैसी समस्याओं से जूझ रहे हरियाणा के गांव की इस लड़की ने कम उम्र में ही आईपीएस अफसर बनने का सपना देख लिया था।
310
इच्छाशक्ति व लगन के बूते मोनिका ने हर कठिनाई का सामना किया। मोनिका के नक्शेकदम पर चलकर गांव की दूसरी लड़कियां आईएएस व आईपीएस बन रही हैं। गांव की लड़कियों के लिए मोनिका एक प्रेरणा बन चुकी है। पर मोनिका का सफर इतना आसान नहीं रहा।
410
जब मोनिका ने आईपीएस का एग्जाम पास किया तो गांव के लोगों को इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि उनके गांव की मोनिका अब कोई साधारण लड़की नहीं, बल्कि बड़ी अफसर बन गई है। गांव वालों के साथ भारद्वाज परिवार भी अपनी लाडली की उपलब्धि से खुश था। एक तो गांव की किसी लड़की ने पहली बार इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की।
510
मोनिका ने पढ़ाई गांव में ही रहकर पूरी की। दसवीं तक सांपला और 12वीं की पढ़ाई रोहतक से करने के बाद बीएससी के लिए दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिल लिया, लेकिन गांव से यहां तक की दूरी कोई कम नहीं थी।
610
रोज आना जाना होता था लेकिन बस इतनी आसानी से नहीं मिलती थी। चाहे डीटीसी हो या हरियाणा रोडवेज की बस, लंबा इंतजार रोजाना की बात होती। कई बार तो गांव में स्टैंड नहीं होने के कारण बस हाथ देने पर भी नहीं रुकती। किसी तरह बस मिल भी जाती तो उसके बाद दिल्ली का जाम।
710
एक घंटे का सफर कम से कम ढाई घंटे में पूरा होता था। कभी-कभी तो उससे भी अधिक। लौटते समय जब अधिक देर हो जाती तो गांव के बस स्टॉप पर दादी इंतजार करतीं। बावजूद कॉलेज की क्लास कभी मिस नहीं होती थी। वो पढ़ने हमेशा टाइम पर निकलती थीं। मोनिका ने प्राइवेट नौकरी भी की और पैसा भी कमाया लेकिन सिविल सर्वेंट बनकर वो समाज की सेवा करना चाहती थीं।
810
इसी लक्ष्य के साथ मोनिका ने दिन-रात मेहनत कर खुद को इस काबिल बनाया कि वो यूपीएससी का एग्जाम दें। साल 2009 में उन्हें सफलता मिली और मोनिका आईपीएस ऑफिसर बन गईं। मोनिका वेस्ट और साउथवेस्ट डिस्ट्रिक्ट में एडिशनल DCP की भूमिका निभा चुकी हैं। PCR (पुलिस कंट्रोल room) की यूनिट में भी काम कर चुकी हैं।
910
मोनिका अपने गांव की पहली ऐसी लड़की हैं जो इतने बड़े ओहदे तक पहुंची। मोनिका के संघर्ष की कहानी से प्रेरित होकर गांव में बाकी लड़कियां भी सिविल सर्विस की तैयारी कर रही हैं।
1010
मोनिका की दो छोटी बहनें सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटी हैं। मोनिका कहती हैं कि, किसी भी बच्चे का देश और समाज के लिए काम करने का फर्ज बनता है। जो आपको मिला है वो आप लौटाएं। लोगों की सेवा करें अपनी जिंदगी का एक लक्ष्य जरूर रखें।
Latest Videos