देश सेवा का जज्बा था..डॉक्टर से बन गई IAS, आज 'अफसर जीजी' को सलाम करते हैं लोग
उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर में एक महिला आईएएस अधिकारी ने लोगों की सेवा कर इतना प्यार जुटा लिया कि गांव की महिलाएं उन्हें 'अफसर जीजी' कहकर बुलाती हैं। ये महिला अधिकारी हैं न सिर्फ आईएएस हैं बल्कि स्त्री रोग विशेषज्ञ भी हैं। इनका नाम है डॉ. मंजू जाखड़। मंजू पिछड़े आदिवासी इलाके में प्रशासनिक दायित्वों के साथ ही आदिवासी महिलाओं के कल्याण के लिए बेहतरीन काम कर रही हैं। उनके काम को इतना सराहा जा रहा है कि वो देशभर में छा गई हैं। IAS सक्सेज स्टोरी में हम आपको डॉक्टर से अफसर बनीं इस महिला अधिकारी के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं...
| Published : Feb 29 2020, 05:55 PM IST / Updated: Feb 29 2020, 06:08 PM IST
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मंजू आदिवासी महिलाओं को स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा और रोजगार तक के अवसर मुहैया कराने में जुटी हैं। जिस आदिवासी इलाके में चिकित्सक और शिक्षक ड्यूटी करने से कतराते हैं, वो वहां अपनी एक सहकर्मी के साथ प्रशासनिक कामकाज के साथ ही महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल भी करती हैं और उन्हें पढ़ाती भी हैं। अपने कामकाज के कारण ये इतनी फेमस हो गईं कि आदिवासी महिलाएं इन्हें अपने परिवार का सदस्य मानती हैं।
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2016 बैच की आइएएस अधिकारी डॉ. मंजू जाखड़ राजस्थान के ही झुंझुनू जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही आदिवासियों के बीच काम करने का सपना देखा था। मेडिकल की शिक्षा ग्रहण करने के बाद पहले तो दिल्ली के तेग बहादुर अस्पताल में चिकित्सक की नौकरी करने लगी थीं।
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नौकरी के साथ ही उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम देने की सोची और इसके लिए तैयारी भी करने लगीं। साल 2016 में अलसीसर की डॉ. मंजू ने यूपीएससी परीक्षा में पहले प्रयास में ही बाजी मार ली। 59वीं रैंक हासिल करके उन्होंने इतिहास रच दिया। पेशे से गायनी स्पेशलिस्ट मंजू अफसर बन गईं।
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प्रशासनिक ढांचे में सुधार करने के लिए उसने आईएएस का फील्ड चुना है। मंजू चाहती है कि वह एक ईमानदार आईएएस के रूप में अपनी पैठ बनाए। मंजू अपनी सफलता का श्रेय ससुर भगवानाराम जाखड़ पति डॉ. सुरेश जाखड़ (शिशु रोग विशेषज्ञ) को देती है। मंजू के बड़े भाई अनिल श्योराण भी आईएएस हैं। मंजू देश सेवा करना चाहती थीं और आज वो इसकी मिसाल भी पेश कर रही हैं।
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आइएएस में चयन होते ही डॉ. मंजू जाखड़ ने आदिवासी महिलाओं के बीच काम करने का संकल्प लिया। सरकार ने भी उनकी पहली पोस्टिंग उदयपुर जिले के आदिवासी इलाके लसाड़िया में की। यहां बतौर खंड अधिकारी पदस्थ मंजू बताती हैं कि जब वह पहली बार लसाड़िया गईं तो यह देखकर दंग रह गईं कि आदिवासियों के अंगूठे लगवाकर राशन डीलर उन्हें आधी राशन सामग्री ही उपलब्ध करा रहे हैं।
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बैंक के कर्मचारी आदिवासियों के हिस्से का पैसा खुद हजम कर रहे हैं, चिकित्सक कई-कई दिन तक अस्पताल में जाते ही नहीं हैं। उन्होंने एक-एक कर समस्याओं का समाधान शुरू किया। (रक्तदान करती महिला अधिकारी मंजू)
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जहां जरूरत पड़ी चिकित्सक की भूमिका भी खुद निभाई और स्वास्थ्य कर्मी की भी। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, निगरानी और देखभाल का कैलेंडर तैयार किया। आदिवासियों में शराब की लत छुड़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया।
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आपको बता दें कि डॉ. मंजू रामू को उनकी समाज सेवा के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। सीधे आईएएस व राजस्थान कैडर मिलने वाली जिले की महिला आईएएस अधिकारी डॉ. मंजू श्योराण जाखड़ को मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री प्रशिक्षण अकादमी में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गोल्ड मेडल प्रदान कर सम्मानित किया था।