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इमरजेंसी 1975 ने देश को दिए कई दिग्गज नेता, 12 ऐसे जो आगे चलकर बड़े मुकाम पर पहुंचे
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नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
आपातकाल के आंदोलनों में बड़े मुकाम पर पहुंचने वाले नेताओं में सबसे बड़ा नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का है। आपातकाल के दौरान जिस वक्त इंदिरा गांधी सरकार संघ और विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल रही थी, उस दौरान नरेंद्र मोदी पुलिस से बचते हुए अंडरग्राउंड रह कर ही इंदिरा सरकार के खिलाफ मोर्चा छेड़े हुए थे। पुलिस से बचने के लिए मोदी ने तीन अलग-अलग रूप रखे। एक कॉलेज स्टूडेंट का, दूसरा स्वामी का और तीसरा सरदार का।
अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री
आपातकाल के वक्त सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) भी उन्हीं में से एक थे। अटल जी आपातकाल में 18 महीने जेल में कैदी बने रहे और अपनी बेहद खूबसूरत कविताओं के जरिए से लोगों के दिल में जगह बनाई। अटल जी की कविताएं सबको प्रेरणा देती थी। नए आंदोलन कारियों को बल देती थी। आपातकाल के एक वर्ष पूरे होने पर भी अटल बिहारी जेल में थे।
लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व उप प्रधानमंत्री
भाजपा के वरिष्ठ नेता और संस्थापक सदस्य रहे लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में रहे। वह देश के उप-प्रधानमंत्री भी बने। आडवाणी आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े और गुजरात में काम किया। गुजरात जून 1975 में बड़े बदलाव का गवाह बना और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का अभेद्य किला गुजरात ढह गया। इसके बाद जो हुआ उससे आडवाणी और अटल ही जोड़ी पूरे देश में काफी पॉपुलर हो गई।
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) इमरजेंसी के दौरान 9-10 जून, 1976 की रात में गिरफ्तार हुए। भोजपुर जिले के संदेश थाना के दुबौली गांव से उनकी गिरफ्तारी हुई। उन्हें गिरफ्तार करने पर 15 पुलिसकर्मियों को 2750 रुपए का इनाम मिला था। जिस समय पुलिस ने उन्हें पकड़ा था, वे कुछ आंदोलनकारियों के साथ एक बैठक करने जा रहे हैं। नीतीश कुमार सहित छह शीर्ष नेताओं को मीसा के तहत नजरबंद कर दिया गया था।
लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम, बिहार
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान राजनीति में एंट्री ली। जेपी आंदोलन से जुड़े और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव बनाए गए। 1975 में आपातकाल के दौरान लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया गया और 77 तक वे जेल में बंद रहे। लालू यादव की बेटी का नाम मीसा भारती इसलिए पड़ा क्योंकि आपातकाल के दौरान लालू यादव को मीसा कानून के तहत जेल में डाला गया था।
मुलायम सिंह यादव, पूर्व सीएम, यूपी
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (Mulayam Singh Yadav) ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। आपातकाल लगा तो बाकी विपक्षी नेताओं की तरह ही मुलायम सिंह भी जेल गए। आपातकाल के बाद जनता पार्टी बनी तो मुलायम सिंह यूपी में उसके सबसे सक्रिय सदस्यों में से एक थे। इसी दौरान यूपी में जब राम नरेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया तो मुलायम सिंह ने भी पहली बार मंत्री पद की शपथ ली। उन्हें सहकारिता और पशुपालन विभाग मिले। बाद में मुलायम ने अपनी पार्टी बनाई और मुख्यमंत्री भी बने।
सुब्रमण्यम स्वामी, पूर्व केंद्रीय मंत्री
आपातकाल के दौरान ही बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) भी बड़े नेता बनकर उभरे। 25 जून 1975 को जयप्रकाश नारायण एक साथ रात में भोजन कर रहे थे। इसी दौरान स्वामी ने जेपी से कहा कि कुछ बड़ा होने वाला है तो उनकी बात पर जेपी ने विश्वास नहीं किया। अगली सुबह करीब 4.30 बजे उन्हें एक कॉल आया, जिसमें उन्हें पुलिस ने अप्रत्यक्ष रूप से बताया कि वो स्वामी को पकड़ने वाले हैं। पत्रकार कूमी कपूर की किताब के मुताबिक स्वामी सरकार को चकमा देकर सरदार के वेश में भागकर अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। वहां उनकी मुलाकात वर्तमान प्रधानमंत्री और तब 25 साल के नरेंद्र मोदी से हुई, जिन्होंने छद्म वेश में उन्हें सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचाया।
अरुण जेटली, पूर्व केंद्रीय मंत्री
आपातकाल घोषित होने की अगली सुबह 26 जून, 1975 को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) कुछ युवकों के तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी का पुतला फूंका। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1975 से 1977 तक 19 महीने तक वह जेल में रहे और यहीं उनकी मुलाकात जनसंघ के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से हुई। संघ के विचारक नानाजी देशमुख से परिचय हुआ।
जॉर्ज फर्नाडीस, पूर्व केंद्रीय मंत्री
पूर्व केंद्रीय मंत्री और श्रमिक नेता जॉर्ज फर्नांडिस (George Fernandes) आपातकाल के दौरान बड़े नेता बनकर उभरे। आपातकाल के दौर में जॉर्ज फर्नांडिस एक ऐसे चेहरे के रूप में उभरे जो उन लोगों के लिए मसीहा बना, जो आपातकाल से पीड़ित थे। विकिलीक्स ने खुलासा करते हुए पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिज के बारे में बताया था कि आपातकाल के दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और फ्रांस सरकार से आर्थिक मदद मांगी थी। यह वह दौर था जब जॉर्ज फर्नांडिज अंडरग्राउंड हो गए थे और सरकार विरोधी आंदोलन चला रहे थे। जॉर्ज फर्नांडिस ने अंदर ही अंदर 1974 में रेलवे स्ट्राइक करा दी। 1976 में पकड़े गए और हथकड़ियों के साथ उनकी एक फोटो अत्याचार की तस्वीर बन गई।
चंद्रशेखर, पूर्व प्रधानमंत्री
देश के 9वें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (Chandra Shekhar) 1975 में इमरजेंसी के दौरान उन कांग्रेसी नेताओं में से एक थे, जिन्हें विपक्षी दल के नेताओं के साथ जेल में डाल दिया गया था। आपातकाल के बाद वे वापस आए और विपक्षी दलों की बनाई जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। जब जनता दल की सरकारी बनी तो उन्होंने मंत्री बनने से इनकार कर दिया। साल 1990 में उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। उस वक्त वीपी सिंह सरकार बीजेपी के सपोर्ट वापस लेने के चलते अल्पमत में आ गई।
चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री
देश के 5वें प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) आपातकाल के दौरान तिहाड़ जेल में बंद रहे। जेल से बाहर आने के बाद आपातकाल के विरोध में उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ 23 मार्च 1976 को यूपी की विधानसभा में चार घंटे तक ऐतिहासिक भाषण दिया। विपक्षी की एकता कायम बनाए रखने उन्होंने जनसंघ की स्थापना की। चौधरी चरण सिंह जुलाई 1979 में प्रधानमंत्री बने। हालांकि, कुछ दिन बाद ही इंदिरा गांधी ने समर्थन वापस ले लिया और उनकी सरकार गिर गई।
शरद यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री
देश की समाजवादी राजनीति के बड़े स्तंभ के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) भी आपातकाल के दौरान 25 जून 1975 को जेल में डाल दिए गए थे। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी। वो उनकी राजनीतिक पारी के शुरुआती दिन ही थे। इस दौरान ही उनके पैरों में चोट भी लगी थी, जिसका असर आज भी उनके पैरों में है।