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पिता ने कर्ज लेकर पढ़ाया...बेटे ने जी जान से की मेहनत और बन गया IAS, खुशी से रो पड़ा पूरा परिवार
बुलंदशहर. गांव में गरीब मां-बाप शिक्षा के महत्व को बखूबी समझते हैं। इसलिए पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए दिन-रात मेहनत कर पढ़ाते हैं। कई बार फीस देने पैसे न होने पर कर्ज भी लेते हैं। बच्चे की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए किसी के आगे हाथ फैलाने से भी गुरेज नहीं करते। ऐसे एक उत्तर प्रदेश में एक किसान पिता ने तंगहाली देख बेटे को पढ़ाने के लिए कर्ज लिया। बेटे के लिए पिता का दूसरों के आगे फैलाना एक काला दिन बन गया। बाप को अपने लिए कर्ज में डूबा देख बेटे ने बड़ा आदमी बनने की ठान ली। उसने दिन-रात मेहनत से पढ़ाई की और अफसर बन उनका नाम रोशन कर दिया।
हम बात कर रहे हैं यूपीएससी की सिविल सर्विसेज 2018 की परीक्षा में सफल हुए वीर प्रताप सिंह राघव की। आईएएस सक्सेज स्टोरी (IAS Success Story)में आज हम आपको राघव के संघर्ष और सफलता की कहानी सुनाएंगे।
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राघव ने साल 2018 में सोशल मीडिया पर अपनी संघर्ष भरी कहानी पर एक पोस्ट लिखकर साझा की थी। इसके बाद उनको काफी सुर्खियां मिलीं। एक वो समय था जब वो खराब माली हालत के चलते संसाधनों के अभाव में कई बार हताश हो जाते हैं। इस पोस्ट पर तमाम लोगों ने उनके हौसले की दाद दी। वीर प्रताप सिंह ने कहा कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता है आपको हर हाल में मेहनत करनी ही होती है।
राघव एक ऐसे शख्स रहे हैं, जिनके पिता के पास भले ही आईएएस जैसी परीक्षा की तैयारी कराने के लिए पैसे नहीं थे लेकिन उनके हौसलो में कहीं कोई कमी नहीं थी। बुलंदशहर के दलपतपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले राघव के घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। फिर भी जैसे-तैसे उन्होंने अपनी पढ़ाई की। स्कूल के दिनों में वीर पुल के अभाव में नदी पार करके स्कूल जाते थे।
राघव को बचपन से संघर्ष करना पड़ा। घर से पांच किमी पैदल दूरी तय कर उन्होंने पांचवीं तक पढ़ाई पूरी की। पुल के अभाव में नदी पार करके स्कूल जाना पड़ा। वीरप्रताप सिंह ने प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज स्कूल करौरा और कक्षा छह से हाईस्कूल तक की शिक्षा सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर शिकारपुर से हासिल की।
राघव ने फेसबुक पर अपने संघर्षों को बयां करते हुए लिखा था, "मैंने सफलता की ढेर सारी कहानियां पढ़ीं मैं भी आज अपनी स्टोरी शेयर करता हूं। हम जानते हैं कि ज्यादातर सिविल सर्वेंट एलीट क्लास से आते हैं। मगर तमाम ऐसे भी हैं, जो गांवों से निकलते हैं, उनकी जिंदगी बहुत संघर्ष भरी होती है।
राघव ने प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज स्कूल करौरा और कक्षा छह से हाईस्कूल तक की शिक्षा सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर शिकारपुर से हासिल की। इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 2015 में बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) किया। इंजीनियरिंग के बाद वे यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना चाहते थे लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। एक इंटरव्यू में वीर ने बताया कि उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे उन्हें पढ़ा सके, लेकिन वे बेटे की ख्वाहिश को हर हाल में पूरा करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने एक व्यक्ति से तीन प्रतिशत महीने के ब्याज पर पैसे लेकर मेरी तैयारी शुरू करवाई।
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कर्ज पर पैसे लेने के बाद वीर ने भी पढ़ाई में अपनी जी-जान लगा दी। वे हर दिन घंटों-घंटों पढ़ाई किया करते थे। हालांकि शुरुआत दो प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली। इस दौरान वे हताश भी हुए लेकिन फिर भी डटे रहे। उन्होंने परिवार की आर्थिक हालत ठीक करने के लिए कॉन्सटेबल की नौकरी भी की।
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वीर प्रताप ने आज तक को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने तीसरे प्रयास में सफलता पाई थी। इसके पहले साल 2016 और 2017 में भी उन्होंने परीक्षा दी थी लेकिन वे असफल रहे, लेकिन मेहनत रंग लाई और 2018 में उन्हें 92वीं रैंक हासिल हुई थी। 'किसान पुत्र' ने बहुत संघर्षों के बाद सफलता हासिल की थी जिसके बाद उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई थी। यहां तक की खुशी से परिवार के सदस्य रो पड़े थे।
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