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पार्क की बेंच पर रातें गुजारने वाला हिमाचल का ये लड़का बना न्यूजीलैंड का सांसद, कुछ ऐसी है संघर्ष की दास्तान
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पिता 20 साल पहल गए थे न्यूजीलैंड गौरव शर्मा के पिता 20 साल पहले न्यूजीलैंड गए थे। उस समय गौरव कक्षा नौ में थे। उनके पिता सरकारी नौकरी छोड़कर न्यूजीलैंड शिफ्ट हुए थे। न्यूजीलैंड जाने के बाजद 5-6 साल तक परिवार को वहां काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, इस दौरान ऐसे मौके भी आए जब उनके पास घर तक नहीं था और उन्हें पार्क में रहना पड़ा।
गौरव शर्मा ने पढ़ाई करने के बाद वो न्यूजीलैंड में प्रैक्टिस कर रहे थे। 33 साल के गौरव को राजनीती का शौक पहले से ही था। न्यूजीलैंड में इससे पहले भी उन्होंने चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए थे। इस चुनाव में गौरव शर्मा को हेमिल्टन सीट पर 15873 मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 11487 मत प्राप्त हुए।
सामाजिक कामों से भी जुड़े हैं गौरव
लेबर पार्टी की ओर से कहा गया है कि गौरव शर्मा पब्लिक हेल्थ, पॉलिसी और सलाहकार के तौर पर कई देशों के लिए काम करते रहे हैँ। 2015 में नेपाल में भूंकप आने के बाद भी उन्होंने वहां काम किया था।
शनिवार को नतीजों के ऐलान के बाद हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ट्विटर पर लिखा कि डॉ गौरव शर्मा ने अपने नाम को सार्थक करते हुए विदेश में हिमाचल प्रदेश का नाम भी गौरवान्वित किया है।
लेबर पार्टी ने भी बनाया इतिहास न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंदा आरड्रेन की लेफ्ट लेबर पार्टी को प्रचंड जीत हासिल कर इतिहास बनाया है।आरड्रेन साल 2018 में न्यूजीलैंड की दूसरी महिला प्रधानमंत्री बनी थीं। शनिवार आए चुनाव परिणामों में आरड्रेन की लेफ्ट लेबर पार्टी ने जीत हासिल की है। साल 1996 में जब से न्यूजीलैंड में अनुपातिक वोटिंग सिस्टम की शुरुआत हुई है और 24 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी राजनीतिक दल को इतना बड़ा बहुमत मिला है।