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सबकी आंखो का तारा है ये IAS अफसर ....फोन पर सीधे अपनी समस्या बताते हैं लोग और तुरंत होता है समाधान
नई दिल्ली. आईएएस अफसर की जिंदगी में सबसे मुश्किल होता है अपने कर्तव्य को निभाते हुए लोगों के लिए एक मिसाल पेश करना। इसलिए कुए जाता है कि नौकरशाही जब जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाह करती है तो जनता का विश्वास बढ़ने लगता है। विकास के कार्यों में प्रसाशन और जनता की संयुक्त भागीदारी देखने को मिलती है। कुछ इस तरह ही मेघालय के आईएएस अरुण कुमार कम्भावी ने पदभार ग्रहण करके उम्मीद जगाई थी। उनके कामों से समाज में बदलाव आया, आईएस मोटिवेशनल स्टोरी में हम आपको आज आईएएस अरुण कुमार के बेहतरीन कदमों की कहानी सुना रहे हैं।
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आईएएस अरुण कुमार अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ बेहतर कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते है। पहले पश्चिम जयंती हिल्स जिला (डब्ल्यूजेएच) फिर पश्चिम खासी हिल्स जिला (डब्ल्यूकेएच) और अब शिलांग के निवासियों के निवासियों को शानदार, मेहनती और विनम्र आईएएस अधिकारी अरुण कुमार केम्भावी के आने से विकास की उम्मीद जागी थी।
अरुण कुमार असम-मेघालय कैडर के 2011 बैच आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वे सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार और शिलांग के ग्रामीण और सामुदायिक विकास निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। अरुण का जन्म कर्नाटक के बीजापुर में हुआ था उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी कर्नाटक में ही पूरी हुई बचपन से ही समाज में बदलाव लाने की इच्छा रखने वाले अरुण कुमार ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इसके लिए अरुण ने कड़ी मेहनत की और चयनित हुए एक साल का अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्होंने मेघालय का अपने कार्य क्षेत्र के रूप में चयन किया।
अरुण कुमार नस अफसर कस तौर पर अपना काम पूरा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। वो सोशल मीडिया का उपयोग करना बख़ूबी जानते हैं जब उन्होंने आईएएस अधिकारी के रूप में जुलाई 2015 में डब्ल्यूजेएच जिले के जोवाई मुख्यालय का प्रभार संभाला तो उन्होंने लोक प्रशासन के मामलों में सीधे जनता को शामिल करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ई-गवर्नेंस की अवधारणा से लोगो को रूबरू करवाया। अरुण कुमार की यह पहल उत्तर पूर्वी क्षेत्र में पहली शुरुआत थी।
यही क्रम आगे बढ़ता रहा और आज लोग बीएसएनएल नंबर पर व्हाट्सएप के माध्यम से अपनी शिकायतें भेज सकते हैं। समस्याओं के निवारण के लिए एक हेल्पलाइन नम्बर पर व्यक्तिगत रूप से आईएएस अरुण कुमार हमेशा हाजिर रहते हैं। वह सभी लोगों की शिकायतों को पढ़ते हैं और व्हाट्सअप बने ग्रुप्स के माध्यम से सम्बंधित विभाग के अधिकारीयों को निवारण के लिए प्रेषित करते हैं। उन्होंने शिकायतों का समाधान करने के लिए सामान्य एसएमएस के साथ टेलीग्राम, फेसबुक, हाइक मैसेंजर जैसे अन्य प्लेटफार्मों का भी उपयोग किया। (Demo Pic)
अरुण कुमार ने ना केवल सरकारी कार्यालयों के बाहर शिकायत के हल के लिए लगने वाली लंबी लम्बी लाइनों को कम किया बल्कि अपने नए विचारों के प्रयोग से कागज का उपयोग भी कम कर दिया। अरुण कुमार ने अपने कार्यालय में आपने वाले लोगों द्वारा दी जाने वाली आगंतुक स्लिप्स और अपॉइंटमेंट की अवधारणा को खत्म कर दिया दिया। उनका कहना है कि "जब तक अधिकारी कार्यालय में होता है तब तक उसका काम सामान रूप से लोगों की सेवा करना होता है लोग वास्तव में उसके साथ जुड़ सकते हैं और उससे मिल सकते हैं।" (Demo Pic)
अरुण कुमार काम की रिपोर्ट लेने के लिए महीने के हर दूसरे मंगलवार को सभी विभागों की मासिक बैठकें भी आयोजित करते है और वह व्यक्तिगत रूप से किए जा रहे कार्यों की जांच करते हैं। साथ ही जनता के अफसर कहे जाने वाले अरुण कुमार ने जैविक चाय की खेती, एपिकल्चर, बागवानी, मत्स्य पालन, कुक्कुट, सुअर, वर्षा जल संचयन, बर्तन आदि सहित आजीविका गतिविधियों पर लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये इतना ही नहीं उन्होंने जिले में पर्यटन उद्योग बनाने के लिए आवश्यक कार्य शुरू किया। (Demo Pic)
साथ ही क्षेत्र में 4 जी कनेक्टिविटी की सुविधा भी उपलब्ध करवाई तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि निवासियों ने प्यार से उन्हें "पीपुल्स डीसी" नाम दिया।
वाक़ई अगर इस तरह की कार्यप्रणाली वाले प्रसाशनिक अधिकारी भारत के हर राज्य के हर जिलें में हो तो अव्यवस्था का जन्म होना ही नामुमकिन है। (Demo Pic)