- Home
- Career
- Education
- जिस लड़के को अछूत कह समाज ने दुत्कारा, UPSC में टॉप करके बना IAS, कर दिया पूरे समाज का सिर ऊंचा
जिस लड़के को अछूत कह समाज ने दुत्कारा, UPSC में टॉप करके बना IAS, कर दिया पूरे समाज का सिर ऊंचा
- FB
- TW
- Linkdin
आजादी के बाद जब नौकरशाही के लिए परीक्षाएं हुईं तो दलित समुदाय से भी लोगों ने नौकरी पाने और बड़े पद पर बैठ देश सेवा के लिए आवेदन किए। ये वो लोग थे जिन्हें स्कूल में अंदर घुसने तक की मनाही थी। पर अकेले के दम पर इस शख्स ने देश के पहले दलित समुदाय वाला अफसर बनकर इतिहास रच दिया था।
आज के दौर में UPSC की परीक्षा पास करना बड़ी सफलता माना जाता है माता पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर आईएएस ऑफिसर बने। लेकिन इस सपने को साकार करने के लिए छात्रों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इस परीक्षा के लिए हर साल करीब 10 लाख आवेदन प्राप्त होते हैं, जिनमें से मात्र 1 हजार छात्रों का सलेक्शन होता है।
(Demo Pic)
छात्रों को अपनी मेहनत और लगन से दिन रात एक करना पड़ता है तब जाकर सफलता हासिल हो पाती है। हालांकि जब संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विस के एग्जाम की शुरुआत की थी, तब इस परीक्षा के लिए न तो इतने आवेदन प्राप्त होते थे और न इतनी मुश्किल परीक्षा होती थी। उस समय शिक्षा को लेकर लोग अधिकतर जागरूक भी नहीं थे।
(Demo Pic)
देश को आजादी मिलने के बाद जब 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। इसी साल संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विस की पहली परीक्षा शुरु की। पहली बार इस परीक्षा में 3,647 छात्रों ने हिस्सा लिया था। उस वक्त UPSC की रिपोर्ट में SC-ST कैंडीडेट्स की संख्या का खुलासा नहीं किया जाता था लेकिन परिणाम आने के बाद देश के पहले SC आईएएस के बारे में जरूर बताया गया था। उनकी सफलता और जज्बे को देख लोग हैरान रह गए थे। साथ ही उनके समुदाय के लोगों में जश्न मनाया गया था।
(Demo Pic)
दलित समुदाय से अफसर बनने वाले इस शख्स का नाम अचूतानंद दास था। ये देश के पहले SC आईएएस ऑफिसर बने थे। उन्होंने लिखित परीक्षा में टॉप किया था। कहते हैं अचूतानंद दास को SC होने की वजह से इंटरव्यू में सबसे कम नंबर मिले थे। अगर ऐसा न होता तो भारत का पहला IAS टॉपर बनने का तमगा भी उन्हीं के नाम होता।
(Demo Pic)
वेस्ट बंगाल से आने वाले अचूतानंद दास ने सिविल सर्विस की लिखित परीक्षा में 1050 में से 609 नंबर यानि 58% अंक हासिल किए। जबकि मद्रास के एन कृष्नन को 602 नंबर यानि 57.33% अंक मिले। कृष्नन को इंटरव्यू में इन्हें 300 में से 260 नंबर मिले जबकि अचूतानंद को इसके आधे नंबर ही हासिल हो पाए।
वहीं वेस्ट बंगाल के एक और कैंडीडेट अनिरुद्ध दासगुप्ता ने इंटरव्यू में शानदार प्रदर्शन किया था। तीनों कैंडीडेट्स में से कृष्नन ने टॉप किया था। अनिरूद्ध दासगुप्ता को 22 वीं और अचूतानंद को 48 वीं रैंक हासिल हुई थी। सिविल सर्विस की पहली परीक्षा के इन परिणामों ने सभी को चौंका दिया था।
(Demo Pic)
पहली यूपीएससी परीक्षा में 3,647 छात्रों ने हिस्सा लिया था जिसमें अचूतानंद को लिखित में सबसे ज्यादा अंक हासिल हुए थे, लेकिन उन्हें इंटरव्यू में अच्छे नंबर नहीं मिल सके और मद्रास के एन कृष्नन देश के पहले IAS टॉपर बने।
अचूतानंद ने अपनी काबिलियत और सफलता से समाज में, स्कूल और यहां तक की हर स्टेज पर नीची जाति से होने के कारण दुत्कारे जाने को तमाचा मारा था। अपने समुदाय का सिर ऊंचा करने पर उनका नाम इतिहास में दर्ज है। इतिहास में उनका नाम जरूर दर्ज है लेकिन कोई तस्वीर नहीं।
(Demo Pic)