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गरीब भतीजे को चाची ने पढ़ाकर बनाया IAS अफसर, देश सेवा के लिए छोड़ी 22 लाख की भी नौकरी
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मिडिल क्लास परिवार से आने वाले हिमांशु हरियाणा के जींद के रहने वाले हैं। उनके पिता पवन जैन एक दुकान चलाते हैंं। उनकी प्रारम्भिक परीक्षा जींद से ही हुई है।
हिमांशु के परिवार के लोग बताते हैं बचपन में एक बार उनके स्कूल में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर चेकिंग करने आए। उनके आने के पहले स्कूल में साफ-सफाई के साथ ही तमाम चीजें सही की जाने लगी। उस समय हिमांशु ने अपने टीचर से पूंछा कि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर कौन होता है और कैसे बनते हैं?
उसी दिन के बाद हिमांशु ने भी कलेक्टर बनने का जो सपना देखा उसे पूरा कर ही माने। उनके दिलों-दिमाग में एक अफसर का रूतबा और पावर घर कर गई थी।
UPSC की तैयारी में हिमांशु की गुरू बनी उनकी चाची। चाची ने उनकी काफी मदद की यहां तक न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि पढ़ाया भी। वह पेशे से डॉक्टर थीं हिमांशु को अपने हॉस्पिटल में ही बुला लेती थीं और खाली टाइम में पढ़ाती थीं। हिमांशु बताते हैं कि चाची ने उनका खूब हौसला बढ़ाया। वह कहती थीं कि तुम जरूर इसे अचीव कर सकते हो।
पढ़ाई के दौरान हिमांशु एक NGO से भी जुड़े रहे। वह हॉस्टल में अपना सामान छोड़ कर चले जाने वाले स्टूडेंट्स के सामान को इस NGO के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंचाते थे। उनका कहना है कि इससे उन्हें काफी सुकून मिलता था कि उनके प्रयास से किसी असहाय की जरूरत पूरी हो जाती थी।
2015 में हिमांशु ने UPSC की परीक्षा दी। उन्हें खुद पर पूरी भरोसा था। वह कहते थे कि मुझे यकीन है मेरा सिलेक्शन जरूर होगा। 2016 में रिजल्ट आया तो हिमांशु ने पूरे देश में 44 वीं रैंक पायी थी। उन्होंने एक गांव में छोटे से परिवार से होकर कम संसाधनों के बावजूद यूपीएससी में टॉप किया था।
हिमांशु के अफसर बनने के बाद पूरे गांव में उनका धूमधाम से स्वागत किया गया था।
हिमांशु से पूछा गया कि वे अब जब IAS बन गए हैं तो अपने सिविल सर्विस और लाइफ के बीच संतुलन कैसे बनाते हैं? जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि वे बचपन से ही खेल और पढ़ाई के बीच बैलेंस बनाकर चलते आ रहे थे। जिसका फायदा वे अब सर्विस में भी उठा रहे हैं। आज भी उनकी सफलता की कहानी यूपीएससी की तैयारी कर रहे लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा हैं।