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IAS Success Story: फेल होकर भी नहीं ली लाखों की कोचिंग, अपने अकेले के दम पर अफसर बनी बिटिया
भुवनेश्वर. आईएएस बनने के पीछे सबकी अपनी कहानी, अपने संघर्ष होते हैं लेकिन एक बात तो लगभग सबके साथ ही कॉमन होती है कि इस परीक्षा के लिये पुरजोर मेहनत करनी पड़ती है। इसमें सक्सेज होने के लिए कोई शॉर्टकट काम नहीं करता है। हां अनुभव इकट्ठा करके परीक्षा की तैयारी के लिये प्रॉपर स्ट्रेटजी जरूर प्लान की जा सकती है। अपनी स्ट्रेटजी और टाइम टेबल से आप सफलता हासिल कर सकते हैं। ऐसे ही एक लड़की ने कड़ी मेहनत और साधू की तरह तपस्या करके सिविल परीक्षा में सफलता हासिल की। ये हैं भुवनेश्वर की उपासना मोहापात्रा जो बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी से अफसर बनीं। एक बार अफसलता देख चुकी उपासना ने कोचिंग पर भरोसा न करके खुद पर भरोसा किया और अपने सपने को पूरा कर दिखाया।
इस बार की आईएएस सक्सेज स्टोरी में हम आपको खुद के दम पर अफसर बनने वाली उपासना के संघर्ष और सक्सेज मंत्र (IAS Success Story Upasana Mohapatra and Sucess Mantra) बताएंगे-
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उपासना हमेशा से एक ब्रिलियेंट स्टूडेंट रहीं हैं और लगभग हर कक्षा में उनके अंक सबसे अच्छे ही आते थे। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं था कि वे खेलकूद और दूसरी एक्टिविटीज़ में हिस्सा नहीं लेती थीं। वे पढ़ाई के साथ-साथ एक्सट्रा क्यूरिकुलर एक्टिविटीज़ में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। कुल मिलाकर वे काफी बैलेंस्ड थीं। उपासना ने आईसीएसई बोर्ड से कक्षा दस 96 परसेंट अंकों के साथ पास किया। इसके बाद डीएवी स्कूल से क्लास 12 पास किया।
इसके बाद उन्होंने मिरांडा हाउस, दिल्ली का रुख कर लिया जहां से उन्हें सिविल सर्विसेस में जाने की प्रेरणा मिली। उपासना ने फिजिक्स ऑनर्स से पढ़ाई करते समय यहां भी झंडे गाड़े और 91.3 प्रतिशत अंकों के साथ कॉलेज के टॉपर्स में शुमार हो गयीं।
एक इंटरव्यू में उपासना ने बताया कि उनके पिताजी अशोक मोहपात्रा ओडिशा में सीनियर जर्नलिस्ट थे और मां संजुक्ता मोहपात्रा टीचर हैं। इस प्रकार उनके घर में हमेशा से पढ़ाई का माहौल था जिसका प्रभाव उन पर हमेशा रहा है।
मिरांडा हाउस से ग्रेजुएशन करने के तुरंत बाद ही उपासना ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। वैसे तो उपासना काफी आउटगोइंग हैं लेकिन इस परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने खुद को सिर्फ पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया था। फिजिकल एक्सरसाइज़ के अलावा उपासना ने खुद को हर चीज से दूर कर लिया था और केवल तैयारी पर ध्यान दे रही थीं।
पहली बार में उनका प्री में भी नहीं हुआ था पर उन्होंने हार नहीं मानी और पहले साल की गलतियों से सीखते हुये दूसरे साल तैयारी की। नयी स्ट्रेटजी बनायी, सफल लोगों से टिप्स लिये पर किया अपने मन का। दूसरी बार की कोशिश में उपासना ने साल 2017 में 119वीं रैंक पाकर अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा किया। कड़ी मेहनत और सिर्फ अपने दम पर एक पत्रकार की बेटी ने अपने सपने को हकीकत में बदला।
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यहां तक कि वे परीक्षा की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को सलाह भी यही देती हैं कि मोटिवेशन लो, मार्गदर्शन भी मांगो लेकिन अंततः अपनी क्षमताओं के अनुसार अपने लिये जो उचित हो, वह निर्णय लो। कभी किसी को ब्लाइंडली फॉलो न करें।
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करेंट अफेयर्स को मानती हैं बेहद जरूरी
उपासना ने तैयारी के लिये कुछ समय कोचिंग भी ली पर वे कहती हैं कि यह इंडिविजुअल का अपना डिसीजन है कि वह कोचिंग के साथ पढ़ना चाहता है या कोचिंग के बिना। दोनों के ही अपने-अपने फायदे नुकसान होते हैं। उन्होंने जीएस और ऑप्शनल दोनों के लिये एक साल कोचिंग ली थी। वे मानती हैं कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए कम से कम एक साल का समय तो लगता ही है।
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जरूरी है कि कैंडिडेट पहले अच्छे से सिलेबस समझ ले उसके बाद ही आगे की स्ट्रेटजी प्लान करे। शुरुआत हमेशा बेसिक्स से करें और प्री परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स पर अत्यधिक फोकस करें। रीडिंग हैबिट डेवलेप करें और अच्छे उत्तर लिखने का प्रयास करें। इसके साथ ही रोजाना पेपर पढ़ने पर भी वे खासा जोर देती हैं। उपासना कहती हैं कि यूपीएससी आपकी पर्सनैलिटी का टेस्ट होता है और पर्सनैलिटी बनने में सालों लगते हैं। इसलिये अपनी कम्यूनिकेशन स्किल्स सुधारें, खूब पढ़ें और नियमित अखबार देखना न भूलें। लगातार प्रयास करने से सफलता जरूर मिलती है।
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