- Home
- Career
- Education
- Success Story: उधारी की किताबें पढ़कर IAS बना अखबार बेचने वाला लड़का, रोगंटे खड़े कर देगी संघर्ष की कहानी
Success Story: उधारी की किताबें पढ़कर IAS बना अखबार बेचने वाला लड़का, रोगंटे खड़े कर देगी संघर्ष की कहानी
- FB
- TW
- Linkdin
आज, हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बेहद ही मुश्किलों भरे हालातों में UPSC परीक्षा में सफलता पाई! नीरीश राजपूत ने एक इंटरव्यू के दौरान कई बाते बताई जो लोगों के होश उड़ा सकती हैं। उन्होंने बताया कि एक वक्त ऐसा भी था कि जब नीरीश के पास पढ़ने के लिए पैसे तक नहीं थे। वह अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए अखबार बेचा करते थे।
नीरीश राजपूत बताते हैं कि उनके पिता एक दर्जी थे, जिनके साथ वो सिलाई के काम में हाथ बंटाया करते थे। ऐसे हालातों में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, लेकिन वो फिर भी डटे रहे। इसका नतीजा ये रहा कि आज वे एक सफल IAS Officer हैं।
नीरीश राजपूत मध्य प्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता कपड़ों की सिलाई का काम किया करते थे। नीरीश राजपूत बताते हैं कि महज 15 बाई 40 फीट के छोटे से मकान में नीरीश अपने 3 भाई-बहनों और माता-पिता के साथ रहते थे। वो बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे। नीरीश की पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई थी।
फीस जुटाने के लिए बेचा अखबार
नीरीश राजपूत के बारे में बताया जात है कि वो बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे, लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वो अच्छे स्कूल में शिक्षा ले सकतें।
इसलिए उनका अपनी पढ़ाई के दौरान कई बार फीस भरने के संकट से जुझना पड़ता था। नीरीश राजपूत बताते हैं कि इसलिए पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए नीरीश ने अखबार बांटने का काम किया। वो पिता के साथ सिलाई के काम में भी हाथ बंटाते थे।
पढ़ाई और जॉब साथ-साथ
नीरीश ने 10वीं में 72 प्रतिशत अंक हासिल किए ! इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए नीरीश राजपूत ग्वालियर चले गए, जहां उन्होंने सरकारी कॉलेज से BSc और MSc किया, जिसमें उन्होंने पहला स्थान हासिल किया। नीरीश राजपूत बताते हैं कि यहां वो पढ़ाई के साथ-साथ part time jobs भी किया करते थे।
UPSC तैयारी के दौरान मिला धोखा
नीरीश राजपूत बताते हैं कि उन्होंने पार्ट टाइम जॉब के साथ UPSC Exam की तैयारी शुरू कर दी थी ! वो आगे बताते हैं कि उनके एक दोस्त ने उत्तराखंड में नया Coaching Institute खोला और नीरीश को यहां पढ़ाने का ऑफर इस वादे के साथ किया कि इंस्टीट्यूट की अच्छी शुरुआत हो जाने पर वह नीरीश को सिविल सरविसेज (Civil services) की तैयारी के लिए स्टडी मैटेरियल उपलब्ध करा देगा।
नीरीश राजपूत बताते हैं कि 2 सालों तक उनकी इतनी कड़ी मेहनत के चलते जब वह इंस्टीट्यूट फेमस हो गया और काफी इनकम होने लगी तो उस दोस्त ने नीरीश को नौकरी से निकाल दिया। ये वो समय था जब ने बेहद टूट गए थे।
दोस्त के नोट्स से करते थे पढ़ाई
दोस्त से दोखा खाने के बाद नीरीश दिल्ली चले चाए। दिल्ली में उनका एक दोस्त बना जो खुद भी IAS की की तैयारी कर रहा था। नीरीश राजपूत बताते हैं कि वो उसके साथ रहकर पढ़ाई करने लगे। वो दिनभर में लगभग 18 घंटे पढ़ाई किया करते थे। जॉब छूटने के बाद उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए वो दोस्त से नोट्स उधार मांग कर पढ़ाई करते थे।
तीसरे प्रयास में बिना कोचिंग के मिली सफलता
नीरीश ने इंटरव्यू में बताया कि मैंने किसी Coaching Institute का सहारा नहीं लिया, बल्कि दोस्त के ही नोट्स और किताबों से तैयारी जारी रखी। उधार किताबें लेकर पढ़ता रहा और आखिरकार मेरी मेहनत रंग लाई। नीरिश ने UPSC सिविल सेवा 2013 में 370वीं रैंक हासिल की और आज IAS Officer के पद पर तैनात हैं और देश को अपनी सेवा दे रहे हैं।