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मशीन गन-राइफल से लेकर मोर्टार-ग्रेनेड तक चलाना सिखाया जाता है...जानें कितनी टफ होती है एक IPS की ट्रेनिंग
नई दिल्ली. Indian Police Service यानी IPS की परीक्षा देश की कठिन परीक्षाओं में से एक है। UPSC सिविल सर्विसेज क्लियर करने के बाद कोई भी आईपीएस में शामिल हो सकता है। पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले टफ ट्रेनिंग दी जाती है। आज उसी ट्रेनिंग के बारे में बताते हैं और कुछ तस्वीरों के जरिए बताते हैं कि ट्रेनिंग को टफ क्यों कहा जाता है। देखें कैसे होती है टफ ट्रेनिंग...
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किसी भी IPS के लिए 4 भाग में ट्रेनिंग दी जाती है। पहला मसूरी में 3 महीने का फाउंडेशन कोर्स करना होता है। LBSNAA में 3 महीने की ट्रेनिंग के दौरान बेसिक जानकारी दी जाती है। इसके बाद हैदराबाद जाना होता है। यहां सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) में 11 महीने की ट्रेनिंग होती है।
IPS अधिकारी को 6 महीने के लिए डिस्ट्रिक्ट प्रेक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है। IPS अधिकारी की ट्रेनिंग में पहले अकादमी, फिर फील्ड में और फिर अकादमी में ट्रेनिंग होती है।
IPS के लिए Compulsory Indoor Subjects में फिजिकल फिटनेस जिसमें पीटी, एथलेटिक्स, जिम, खेल, क्रॉस कंट्री दौड़ 20 किमी तक होता है। ये सबकुछ एक IPS की ट्रेनिंग का हिस्सा होता है।
ट्रेनिंग अधिकारियों को ट्रेनिंग के दौरान ड्रिल, योग, निहत्थे मुकाबला, तैराकी भी सिखाई जाती है। ये ट्रेनिंग किसी भी IPS को इसलिए दी जाती है, जिससे वे किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हों।
इसके अलावा IPS अधिकारी को फील्ड क्राफ्ट, मैप रीडिंग, एंबुश सीटिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग में ये भी सिखाया जाता है कि दुश्मन के किसी भी चाल को आसानी से कैसे फेल किया जा सकता है। दुश्मन किन किन चालों से फंसाने की कोशिश करता है।
रॉक क्लाइम्बिंग, असॉल्ट ट्रेनिंग और हथियार की ट्रेनिंग जिसमें असेम्बलिंग/डिसेंबलिंग, रिवॉल्वर, पिस्टल, मशीन गन, राइफल, मोर्टार, ग्रेनेड की फायरिंग सिखाई जाती है। यानी आसान भाषा में कहें तो एक IPS को लगभग सभी हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है।