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पोती को पढ़ाने के लिए बूढ़े दादा ने बेच दिया आशियाना, अब ऑटो रिक्शा में होता है खाना और सोना
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ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे पेज देसराज की कहानी सामने लेकर आया है। फेसबुक पेज पर लोगों ने बुजुर्ग के कदम और साहस की जमकर सराहना की। लोगों ने दिल खोलकर इन पर प्यार लुटाया। प्रोफाइल के अनुसार, देसराज अपने दो बेटों की मौत के बाद से अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ इंसान हैं। वो अपनी पत्नी, बहू, और अपने चार पोते का पेट पालने हर दिन ऑटोरिक्शा चलाते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने अपनी पोती को पढ़ाने के लिए अपना घर बेच दिया है और अब उनके पास रहने, सोने और खाने-पीने तक के लिए रिक्शा ही एकमात्र आशियाना है।
(Photo Source: humans of bombay)
देसराज के ऊपर कई बार दुखों का पहाड़ टूटा है। करीब छह साल पहले उन्होंने अपने बड़े बेटे को एक दुर्घटना में खो दिया था। एक हफ्ते तक उसका शव भी नहीं मिला था लेकिन देसराज को बेटे की मौत का शोक मनाने के लिए दो पल भी नहीं मिले क्योंकि उन्हें अब दोगुनीमेहनत से दो पैसे कमाने थे। उनपर घर के खर्च का बोझ रात भर दोगुना हो गया था।
इसलिए, अगले दिन, वह काम करने के लिए निकल पड़े। फिर कुछ समय बाद किस्मत ने एक और चोट दी। उनके छोटे बेटे ने बुरी स्तिथियों के चलते आत्महत्या कर ली।देसराज ने बताया, "ड्राइविंग करते समय, मुझे एक कॉल मिला-'आपके बेटे का शव प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर मिला है, सुसाइड कर लिया है। मैंने दो बेटों के अंतिम संस्कार की चिता जलाई है, एक बाप के लिए इससे ज्यादा बुरी बात क्या हो सकती है? (Demo Pic)
दोनों बेटों को खोने के बाद देसराज टूटे नहीं बल्कि और मजबूती से परिवार के लिए खड़े हो गए। उन्होंने अपने चार पोते की स्कूली पढ़ाई जारी रखने के लिए संघर्ष किया। साथ ही हर महीने परिवार के पास खाने के लिए भोजन की व्यवस्था की।
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में वो बताते हैं कि, "अधिकांश दिनों में, हम मुश्किल से ही कुछ खा पाते हैं। परिवार में दो दुखद मौतों का शोक है। खर्च और पैसों के लिए लगातार संघर्षों बना हुआ है। इस बीच देसराज को सबसे ज्यादा खुशी तब मिली जब उनकी पोती ने 12वीं बोर्ड परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक हासिल किए। वह पोती के फर्स्ट क्लास पास होने पर बहुत खुश हुए कि जश्न मनाने के लिए अपने ऑटो में लोगों को मुफ्त सवारी दी। (Demo Pic)
बारहवीं पास होने के बाद, जब उनकी पोती ने बी.एड करने के लिए दिल्ली जाने की बात कही तो देसराज ने कोई आनाकानी नहीं की। बल्कि पास में कोई सेविंग या पैसा न होते हुए भी उन्होंने पोती को हायर एजुकेशन के लिए प्रोत्साहित किया। अपनी पोती की बी.एड फीस भरने के लिए बुजुर्ग दादा ने अपना मुंबई वाला घर बेच दिया और अपने परिवार को अपने रिश्तेदारों के साथ अपने गांव में रहने के लिए भेज दिया। उनकी पोती फिलहाल अपना बी.एड कोर्स कर रही है।
(Demo Pic)
इंटरव्यू में देसराज पोती के पढ़ने पर खुशी जाहिर करते हैं। वो कहते हैं, "मैं उसके (पोती) शिक्षक बनने का इंतज़ार नहीं कर प रहा हूं, मैं सोचता हूं कब मैं उसे गले लगा सकूं और कह सकूं 'तुमने मुझे इतना गौरवान्वित किया है।" वह हमारे परिवार में पहली ग्रेजुएट बनने जा रही है। ”
घर बेचने के बाद देसराज मुंबई में खार डंडा नाका पर सवारी लेते हैं। अब उनका ऑटोरिक्शा ही उनका घर है। वह रोजाना ऑटो नंबर 160 में खाना खाते हैं और इसी में सो जाते हैं। सोशल मीडिया पर न सिर्फ आम लोगों ने बल्कि कांग्रेस की अर्चना डालमिया और पूर्व केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री और शिपिंग मिलिंद देवड़ा ने भी देशराज की इस संघर्ष भरी कहानी परी अपनी प्रतिक्रिया दी। लोगों ने उन्हें आर्थिक मदद देने का आश्वासन भी दिया। (Demo Pic)