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10 अखबार पढ़ नोट्स बनाकर मोबाइल पर भेजती थी मां, IAS अफसर बन बेटे ने कर दिया गर्व से सिर ऊंचा
लुधियाना. कहते हैं हर शख्स की सफलता के पीछे एक औरत का हाथ होता है। वो या तो उसके घर को संभालती है उसे परिवार की मुश्किलों से निश्चिंत कर देती है। या बहुत बार वो उसकी प्रेरणा बन जाती है। पर कुछ लोगों की जिंदगी में ऐसा भी होता है जब उनके परिवार की कोई महिला उनकी सफलता और कामयाबी के लिए कदम से कदम मिलाकर साथ मेहनत भी करती हैं। ऐसे ही एक आईएएस अफसर बेटे ने अपने मां के संघर्ष और कड़ी मेहनत की कहानी सुनाई। उन्होंने अपनी हर सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया।
| Published : Feb 23 2020, 10:45 AM IST / Updated: Feb 24 2020, 02:41 PM IST
10 अखबार पढ़ नोट्स बनाकर मोबाइल पर भेजती थी मां, IAS अफसर बन बेटे ने कर दिया गर्व से सिर ऊंचा
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उन्होंने बताया कि कैसे उसको अफसर बनाने के लिए मां रोजाना 10 अखबर पढ़कर उनको नोट्स बनाकर मोबाइल से भेजती थी और आज वो देश के सबसे बड़े आधिकारी बन चुके हैं।
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ये कहानी है लुधियाना में पले-बढ़े अमित पाल शर्मा की। वो एक आईएएस अफसर हैं। उनके पिता अमरजीत पाल की इच्छा थी कि फैमिली में एक आईएएस भी हो, क्योंकि बड़ा बेटा डॉ. अजय शर्मा यूपी के जिला हाथरस का एसएसपी (SSP) है। ऐसे में वो छोटे बेटे अमित को लेकर आईएएस बनाने का सपना देखने लगे।
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दरअसल अमित के बड़े भाई अजय पाल शर्मा काफी सुर्खियों में रहते हैं। आईपीएस 2011 बैच के अजय सरकारी महकमे में काफी दंबग अफसर हैं। अजय पाल शर्मा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी हैं। खबरों में उन्हें यूपी का “एनकाउंटर स्पेशलिस्ट” और “सिंघम” कहा जाता है। (अजय पाल)
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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ शर्मा ने एनकाउंटर के माध्यम से 11-12 अपराधियों-आरोपियों को मार गिराया था जबकि 190 से ज्यादा आरोपी उनकी गोलियों से घायल हो चुके हैं। जबकि दो हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां उनके खाते में हैं। (अमित पाल)
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ऐसे में छोटे भाई अमित को भी इससे प्रेरणा मिली। वो भाई को आदर्श मानते हैं। अमित पढ़ाई में भाई की तरह अच्छे थे तो उन्होंने भी सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान सिविल सर्विस का एग्जाम दिया और 17वां रैंक हासिल कर लिया। अमित के आईएएस क्लियर करने की खबर मिलते ही पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई थी।
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अमित के अनुसार साल 2014 में उनका 139वां रैंक था तो आईपीएस की ट्रेनिंग ज्वाइन कर ली। फिर भी सिविल सर्विस की तरफ ध्यान रहता था। सुबह 4.30 से लेकर शाम 7.30 बजे का टाइम तो ट्रेनिंग में निकल जाता था। अमित भी पुलिस में थे लेकिन उन्हें लोगों की सेवा के लिए सिविल सर्विस में जाना था।
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अमित बताते है कि वे रात को 8 घंटे सिविल सर्विस की तैयारी करते। इसमें मां प्रेम शर्मा और पिता अमरजीत शर्मा का विशेष सहयोग रहा। यहां न्यूज पेपर पढ़ने का टाइम नहीं रहता था इसलिए मां और पिता जी ने लुधियाना में 10 न्यूज पेपर लगवा रखे थे। वो दिन भर इन न्यूज पेपर्स को पढ़ते फिर अलग-अलग नोट्स तैयार कर वाट्सएप पर भेजते रहते थे। उनकी मेहनत का नतीजा था कि 2016 के सिविल सर्विस में उन्होंने 17वां रैंक हासिल की।
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अमित अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को देते हैं जिन्होंने बेटे को अफसर बनाने के लिए खुद भी जी-जान से मेहनत की। वो अखबारों में अच्छी और जरूरी चीजों को छांटकर बेटे को भेज दिया करती थीं। आखिरकार परिवार में एक आईएएस अफसर होने के सपने को अमित ने पूरा कर दिखाया। (अजय और अमित पाल दोनों भाई एक साथ)
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आज डॉ. अमित पाल शर्मा इस समय कैराना में एसडीएम (SDM) के पद पर कार्यरत हैं। अमित पाल जनता के अधिकारी कहे जाते हैं वो लोगों की सेवा और कामों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।