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प्री-स्कूल बंद होने से पेरेंट्स चिंतित, ऑनलाइन क्लास से नहीं हो रहा शारीरिक विकास
करियर डेस्क. कोरोना संक्रमण (Covid-19) के कारण देशभर में स्कूल बंद हैं। प्री-स्कूलों ( pre-school) के बंद होने से पेरेंट्स चिंतित हैं। क्योंकि प्री स्कूल के माध्यम से ही बच्चे एजुकेशन (introduction to education) की शुरुआत करते हैं। एक सर्वे के अनुसार, पेरेंट्स इस बात से चिंतित हैं कि स्कूल बंद होने के कारण कहीं उनके बच्चों की सीखने की आदत नहीं छूट जाए। भारत में प्री-स्कूल बच्चों के लिए सीखने और उनके विकास में मिल का पत्थर साबित होती हैं। छात्रों का एजुकेशन से परिचय प्री-स्कूल के जरिए ही होता है। यहां बच्चों को समाज, भाषा और कुछ जीवन कौशल सिखाया जाता है।
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किसने किया सर्वे
यूरो किड्स (EuroKids International) द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, बच्चों की शिक्षा के प्रति माता-पिता चिंतित हैं। क्योंकि 95% माता-पिता ने अपने बच्चे को सीखने की आदत ना छूटे इसके लिए ऑनलाइन या होमस्कूलिंग में शामिल किया है।
कितना सीखते हैं बच्चे
सर्वे में पूछा गया कि बच्चे एक सप्ताह के दौरान कितना समय सीखने पर देते हैं। सर्वे के अनुसार, 43 फीसदी लोगों ने कहा कि बच्चे सप्ताह में एक से तीन घंटे के बीच का समय देते हैं जबकि 37% ने कहा कि बच्चे तीन घंटे से अधिक समय सीखने में खर्च करते हैं।
कोरोना की वजह से दुनिया में ज्यादातर स्कूल बंद कर दिए गए। ऐसे में बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास का विकल्प दिया गया। मां-बाप इन क्लासेस के लिए बच्चों को स्मार्टफोन खरीद कर दे रहे हैं।
मार्च से बंद हैं स्कूलें
कोरोना संक्रमण के कारण मार्च 2020 से प्री-स्कूल बंद कर दिए गए हैं। इस दौरान पैरेंट्स ने बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू किए। लेकिन उन्होंने पाया कि महामारी के कारण स्कूल बंद होने से उनके बच्चों का सामाजिक विकास नहीं हो रहा है।
मानसिक विकास नहीं
अपने बच्चों के सीखने के परिणामों की उपलब्धि के बारे में पूछे जाने पर, माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे किसी भी अन्य कौशल जैसे कि रंग, नाम, वर्णमाला के अक्षर, संख्या आदि को पहचानने में पूर्व-शैक्षणिक कौशल अधिक नहीं समझ सकते हैं।
क्या है रिजल्ट
सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि कई अभिभावकों अपने बच्चे के सामाजिक और शारीरिक विकास के लिए चिंतित हैं। स्कूल बंद होने के कारण महामारी की दूसरी लहर के साथ, माता-पिता अपने बच्चे के विकास के सीखने पर प्रतिकूल प्रभाव से चिंतित हैं। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, 80% माता-पिता जिन्होंने Home Buddy में दाखिला लिया था। यूरो किड्स इंटरनेशनल के बारे में भारत की प्रमुख प्री-शिक्षा और कंपनी के रूप में कार्य कर रही है।