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चपरासी की बेटी बनीं IAS अफसर; पिता ने कर्ज लेकर भरी थी फीस, दो बार फेल हुई लेकिन नहीं मानी हार
नई दिल्ली. मां-बाप चाहे अमीर हो या गरीब अपने बच्चों के लिए जान हाजिर करने कौ तैयार रहते हैं। बच्चे ने अगर कुछ मांगा तो वो चाहेंगे कि उसको जरूर लाकर दें। खाने पीने, कपड़े पहनने से लेकर पढ़ने तक का वो सारा खर्च उठाते हैं। अब तो शिक्षा इतनी महंगी हो चली है कि मां-बाप को बच्चों को पढ़ाने के लिए कर्ज तक लेना पड़ जाता है। ऐसे ही एक बेटी ने अपने संघर्ष की कहानी सुनाई है। उसने बताया कि कैसे पिता ने कर्ज लेकर उसे पढ़ाया और उसने आईएएस बनकर उनका नाम रोशन कर दिया।
| Published : Jan 31 2020, 06:58 PM IST / Updated: Jan 31 2020, 06:59 PM IST
चपरासी की बेटी बनीं IAS अफसर; पिता ने कर्ज लेकर भरी थी फीस, दो बार फेल हुई लेकिन नहीं मानी हार
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ये कहानी है पंजाब के एक छोटे से गांव की रहने वाली एक होनहार लड़की की। नाम है संदीप कौर जिसने साल 2010 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर कीर्तिमान रच दिया था। संदीप ने 138वां स्थान हासिल किया था। संदीप को आईएएस बनने की प्रेरणा एक टीवी सीरियल से मिली जिसमें बच्ची अफसर बनना चाहती थी।
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संदीप एक गरीब बेटी है उसके पिताजी मोरिंडा के राजस्व विभाग में चपरासी की नौकरी करते थे। संदीप कौर ने एक इंटरव्यू में कहा था- मैं उड़ान सीरियल देखा करती थीं। इस सीरियल में एक मिडिल क्लास लड़की की आईपीएस बनने की कहानी दिखाई गई थी। इस कहानी ने मुझे काफी प्रेरणा दी थी। मेरा हमेशा से ही लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बनना था।
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संदीप ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। हालांकि, पढ़ाई के बाद और आईएएस की कोचिंग शुरू होने से पहले वह आत्मनिर्भर होना चाहती थीं। संदीप को दो साल तक नौकरी नहीं मिली थीं।
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संदीप के मुताबिक हमारे पास कोचिंग इंस्टीट्यूट की फीस भरने के लिए पैसा नहीं था। ऐसे में मेरे पिता ने कोचिंग के लिए बैंक सा लोन लिया था। इसके बाद उन्होंने पटियाला और दिल्ली से कोचिंग ली थी।
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संदीप के मुताबिक वह अपने पिता को प्रेरणा स्त्रोत मानती हैं। अपने पिता के प्रोफेशन पर वह कहती हैं कि- मुझे एक चपरासी की बेटी होने पर गर्व है। मेरे माता-पिता ने कई अभावों के बावजूद सभी अच्छी सुविधाएं दी थीं। (फाइल फोटो)
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संदीप यूपीएससी के दो अटेंप्ट में असफल हो गई थीं। संदीप के मुताबिक कोचिंग न मिलने के कारण वह असफल रही थी। वह कहती हैं कि- मुझे गाइड करने के लिए कोई नहीं था और कोचिंग की फीस के लिए पैसा नहीं था। (फाइल फोटो)
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साल 2007 में उनके 933 मार्क्स थे। वहीं, कटऑफ 936 थी। अपनी तैयारी के बारे में संदीप ने बताया कि उनकी असफलताओं ने उन्हें आगे के अटेंप्ट के लिए मजबूत बनाया था। ऐसे में वह पूरी तरह से इस परीक्षा की तैयारी के लिए समर्पित थीं। (फाइल फोटो)
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आज संदीप आईएएस अधिकारी बन न सिर्फ अपने पिता का बल्कि गांव का नाम रोशन कर चुकी हैं। संदीप का कहना है कि मां-बाप आपके लिए जो करें उसके लौटाना बच्चों को फर्ज बनता है। (फाइल फोटो)