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फेल होने के दर्द को बनाया ताकत...कॉलेज में जीते गोल्ड मेडल फिर कड़ी मेहनत से IAS बनी ये लड़की
जयपुर. स्कूल में बच्चों पर 90 फीसदी मार्क्स लाने का एक बड़ा प्रेशर है। आज के समय में मां-बाप बच्चों को मार्क्स की रेस में लगाए हुए हैं। इस प्रेशर को कई बार बच्चे हैंडल नहीं कर पाते और अवसाद में चले जाते हैं। ऐसे ही एक स्कूल की लड़की 12वीं में फेल हो गई थी। उस लड़की ने रिश्तेदारों और परिवार से मिले तानों को झेला। गहरे दुख को उसने अपनी ताकत बना लिया और अगली बार उसी सब्जेक्ट में टॉप करके मानी। इतनी ही नहीं उसने गोल्ड मेडल भी जीते। हम बात कर रहे हैं गुजरात कैडर की IAS अंजू शर्मा के बारे में। IAS सक्सेज स्टोरी में हम आपको फेलियर को मुंह चिढ़ा अफसर बनने अंजू शर्मा की प्रेरणात्मक कहानी सुना रहे हैं।
| Published : Mar 24 2020, 12:56 PM IST / Updated: Mar 24 2020, 12:58 PM IST
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राजस्थान में जन्मी अंजू के पिता का उनके जीवन पर काफी प्रभाव था। यही वह थीं जिन्होंने उन्हें IAS अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया। उसने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया और अपने पहले प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की और 1991 में सहायक कलेक्टर, राजकोट के रूप में अपना करियर शुरू किया।
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अंजू बताती हैं कि आज जब मैं स्कूल के दिनों को याद करती हूं तो हैरानी होती है। एक वो समय था जब मैं खुद को कोसती थी। मैं कक्षा 12 में अर्थशास्त्र के पेपर में फेल हो गई थी। मुझे काफी शर्मिंदगी और ताने झेलने पड़े। अपने आप को नासमझ रिश्तेदारों और पड़ोसियों की शर्मिंदगी से बचाने के लिए मैंने अपने अगले पेपर के लिए कड़ी मेहनत की और टॉप किया।
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वर्तमान में प्रमुख सचिव, उच्च और तकनीकी शिक्षा गुजरात के पद पर तैनात मंजू शर्मा का संघर्ष और करियर लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा है।
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ऐसे बहुत से लोग दुनिया में रहे हैं जिन्होंने फेल होने को अपनी ताकत बना लिया था। जयपुर से आईएएस अधिकारी अंजू शर्मा उनमें से एक हैं। वो कहती हैं अगर वह दसवीं प्री-बोर्ड परीक्षा में फेल नहीं होती तो अपने जीवन का कोई लक्ष्य तय नहीं कर पातीं। उन्होंने जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी और एमबीए पूरा किया, जहां दोनों में ही वो गोल्ड मेडल विजेता थीं।
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यूपीएससी क्लियर करने का अंजू का फार्मूला शानदार था। वो हमेशा पहले से पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से पूरा करने की कोशिश करती और किसी भी एग्जाम से पहले पढ़ाई नहीं करती बल्कि रेस्ट करती और घूमती थीं। वो कहती हैं कि इस एग्जाम की तैयारी ने उनकी पूरी जिंदगी बदलकर रख दी थी।
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उन्होंने यूपीएससी के लिए कड़ी मेहनत की और साल 1991 में इसे पहले ही प्रयास में पास कर लिया था। आस-पड़ोस के लोगों को जब उनके एग्जाम क्लियर करने के बारे में पता चला तो वो कहने लगे ये तो हमेशा घूमती रहती थी इसने कैसे क्लियर कर लिया? इस सेवा में लगभग तीन दशकों तक उन्होंने कई परियोजनाओं और पदों पर अच्छा काम किया। वो गुजरात काडर की अधिकारी और गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (जीएसडीएमए) की सीईओ रही हैं।
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अंजू शर्मा ने कई बेहतरीन किताबें जैसे (आई ऑफ द स्टॉर्म – डिस्कवर यॉर ट्रू सेल्फ), कॉ़रपोरेट मॉन्क आदि लिखी हैं। वो अपने कामकाज को लेकर खास पहचान रखती हैं और शुरू से ही अंजू की लेखन और अध्ययन में गहरी रुचि रही है। मूलत: उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाली अंजू ने आर.ए. पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से वित्त में एमबीए करने के अलावा अमेरिका से स्नात्कोत्तर डिग्री भी ली।
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प्रशासनिक सेवाओं में 1991 में चयनित होने के बाद गुजरात काडर में कई महत्त्वपूर्ण पदों पर सेवाओं का अनुभव ले चुकी अंजू फिलहाल प्रमुख शासन सचिव स्तर की अधिकारी हैं और काडर में बेहद सक्रिय अधिकारियों में शुमार हैं। अंजू के संघर्ष की कहानी बेमिसाल है और यूपीएससी की तैयारी करने वाले हर छात्र को रास्ता दिखाएगी। स्कूल में फेल होना कोई कमजोरी नहीं है आप आगे अपना भविष्य बदल सकते हैं।