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नीम के पेड़ पर चढ़ गया टीचर चला दी Online Class, फिर बच्चों से बोला- पढ़ाई से कैसे भागोगे?

पश्चिम बंगाल. पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है जिसकी वजह से लोग अपने घरों में कैद हैं, लेकिन एक ऐसा टीचर भी सामने आया है जो जो अपने स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए रोजाना पेड़ पर चढ़ जाता है। इस टीचर का नाम सुब्रत पाती है। 35 वर्षीय सुब्रत पाती ने एक नीम के पेड़ को अपना क्लासरूम बना लिया है। टीचर का जुगाड़ देख उनके सारे स्टूडेंट्स भी हैरान हैं। पर खुश भी हैं कि वो उनकी पढ़ाई के लिए इतना कुछ कर रहे हैं। इस टीचर के जज्बे और जुनून की चर्चा अब पूरे देश में हो रही है। उनकी कहानी सोशल मीडिया पर छाई है। लोग अपने फर्ज के प्रति टीचर का जुनून और जुगाड़ देख उनकी तारीफें कर रहे हैं। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं ये महान गुरू....

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Asianet News Hindi
Published : May 02 2020, 03:05 PM IST| Updated : May 02 2020, 03:19 PM IST
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुब्रत कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के दो शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाते हैं। वह 'इतिहास' विषय के शिक्षक हैं। कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में सुब्रत पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में अपने गांव अहांदा चले गए।

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गांव से चलती है ऑनलाइन क्लास

 

गांव से सुब्रत को ऑनलाइन क्लास लेनी थी। लेकिन गांव में नेटवर्क की काफी दिक्कत है। इससे बच्चे भी पढ़ाई से जी चुरा रहे थे। लॉकडाउन में सुस्ती और छुट्टियों का मजा लेने के लिए सुब्रत चाहते तो इस समस्या के सामने घुटने टेक देते और क्लास लेने से मना कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बल्कि समस्या का हल निकाला। जब सुब्रत ने पेड़ पर चढ़कर देखा तो फोन में नेटवर्क सही आ रहा था। 

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घंटों वहां बैठकर क्लास लेनी पड़ती है

 

फिर उन्होंने DIY (Do it Yourself) टेक्नीक अपनाई। अपने दोस्तों की मदद से सुब्रत ने बांस की खपच्चियों और पुआल को रस्सी से बांधकर एक प्लेटफॉर्म बनाया और उसे घर के पास के एक नीम के पेड़ पर उसकी शाखाओं के बीच फंसाकर रख दिया।

 

अब सुब्रत रोज पेड़ की शाखाओं के बीच फंसे लकड़ी के उसी प्लेटफॉर्म पर चढ़कर बैठते हैं और स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लास लेते हैं। उन्हें घंटों वहां बैठकर क्लास लेनी होती है। इसिलए सुब्रत खाना-पानी भी अपने साथ पेड़ पर ही ले जाते हैं।

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पेड़ पर ही बनाया बैठने के लिए स्टैड

 

अडामास यूनिवर्सिटी और आरआईसीई एजुकेशन से जुड़े सुब्रत रोजाना पेड़ पर चढ़ कर अपनी इतिहास की क्लास ले रहे हैं। उन्हें रोज दो से तीन क्लासेस लेनी होती है, इसलिए उन्होंने पेड़ की डालियों के बीच ही एक स्टैंड बना लिया और अब वहीं खाना और पानी साथ लेकर जाते हैं।

 

सुब्रत बताते हैं कि वह लॉकडाउन के कारण परिवार के साथ रहने के लिए गांव आ गए हैं, लेकिन टीचर के रूप में अपनी जिम्मेदारी छोड़ी नहीं है। बच्चों को भी बोल दिया पढ़ाई का कोई नुकसान नहीं होगा और बच्चे चाहकर भी नहीं भाग सकते। 

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स्टूडेंट्स का मिल रहा पूरा सहयोग

 

सुब्रत कहते हैं कि 'बढ़ती गर्मी से परेशानी होती है, तो कभी बारिश भी परेशान करती है। कई बार शौचालय भी नहीं जा पाता। पानी, धूप से बांस का बना प्लेटफॉर्म भी खराब हो जाता है, लेकिन मैं उसे फिर से ठीक कर एडजस्ट करने की कोशिश करता हूं।

 

वह कहते हैं कि उनकी कक्षाओं में आम तौर पर छात्रों की उपस्थिति अधिक होती है। वह चाहते थे कि उनके छात्रों को नुकसान नहीं हो। स्टूडेंट्स मेरा आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और हमेशा बहुत सहयोग करते रहे हैं।

 

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