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मैकेनिक ने देखा था अपनी बेटी को अफसर बनाने का सपना, बेटी ने की जी-तोड़ मेहनत और बन गई IES

करियर डेस्क . कहते हैं अगर दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो आदमी किसी भी परिस्थिति में मंजिल हांसिल कर लेता है। तमाम परेशानियों से लड़ते हुए गिरते-सम्भलते इंसान अपनी मंजिल पा ही लेता है बस उसमे कुछ कर-गुजरने की तमन्ना हो। ऐसा ही एक कहानी हम आपको बताने का रहे हैं। एक मकैनिक ने अपनी बेटी को अफसर बनाने का सपना देख लिया। केवल सपना ही नहीं देखा बल्कि उसे पूरा करने के लिए बाप-बेटी दोनों ने ही प्रयास शुरू कर दिया। शुरुआत में लोगों ने उनका मजाक बनाया। लेकिन न तो उनके हौसले में कोई कमी आई और न ही मंजिल पाने के लिए की जाने वाली कोशिश के प्रयास में। यह कहानी IES की परीक्षा में 27 वां रैंक हासिल करने वाली दीक्षा सिंह की है।  

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Asianet News Hindi
Published : Mar 23 2020, 02:54 PM IST| Updated : Mar 23 2020, 02:56 PM IST
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दीक्षा यूपी के सुल्तानपुर जिले के बरवारीपुर गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता प्रदीप कुमार सिंह एक मकैनिक हैं जबकि मां कुसुम सिंह साधारण गृहणी हैं। दीक्षा बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं। उनकी इसी प्रतिभा को देखते हुए ग्रामीण परिवेश में रहते हुए भी दीक्षा का उनके घर वालों ने भी खूब सपोर्ट किया।
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दीक्षा नें कादीपुर इलाके के सरस्वती विद्या मंदिर से अपनी शुरुआती पढ़ाई थी। 12 वीं तक की पढाई उन्होंने वही से पूरी की है। दीक्षा 10वीं और 12वीं दोनों बोर्ड एग्जाम में डिस्ट्रिक्ट टॉपर रही हैं। उन्हें दसवीं में 87 प्रतिशत और बारहवीं में 89 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे।
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12वीं पूरी करनें के बाद दीक्षा का मन इंजीनियरिंग करने का था। उन्हें अपने पहले प्रयास में यूपीटीयू में 8000 वां रैंक प्राप्त हुआ, उसके बाद उन्होंने गाज़ियाबाद के एक प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लिया। दीक्षा ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान वह अपने कॉलेज की भी हमेशा टॉपर रही।
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इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद दीक्षा को कोई प्राइवेट जॉब नहीं करनी थी। बल्कि वह किसी प्रतिष्ठित संस्थान के लिए काम करना चाहती थी। उसके बाद दीक्षा नें एक कोचिंग संसथान में एडमिशन लिया और परीक्षा की तैयारी में लग गई। 1 साल की तैयारी के बाद उनका सिलेक्शन भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में हो भी गया था लेकिन दुर्भाग्य से इंटरव्यू में वह छट गयीं।
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पढ़ाई के दौरान भी उन्हें पिता द्वारा उन्हें अफसर बनाने का सपना हमेशा याद आता रहता था। दीक्षा का मन एकदम से बदल गया कर वह UPSC की तैयारी में लग गईं। उन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में UPSC का एग्जाम क्रैक किया। उन्हें 27वीं रैंक मिली।

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