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पत्रकार बनने की ख्वाहिश थी, लेकिन माता-पिता चाहते थे बेटा अफसर बने...और IPS बन गया किसान का 'लाल'
लखनऊ( Uttar Pradesh ). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2005 बैच के IPS और यूपी पुलिस में बतौर DIG कार्यरत दीपक कुमार की कहानी बताने जा रहे हैं।
| Published : Feb 11 2020, 12:43 PM IST / Updated: Feb 11 2020, 12:59 PM IST
पत्रकार बनने की ख्वाहिश थी, लेकिन माता-पिता चाहते थे बेटा अफसर बने...और IPS बन गया किसान का 'लाल'
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दीपक कुमार का जन्म बिहार के बेगूसराय जिले के रामदीरी गांव के एक किसान परिवार में हुआ। दीपक दो भाई और एक बहन हैं। वह अपने परिवार से पहले अफसर हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बेगूसराय और नेतरहाट से पूरी की। इसके बाद दीपक कुमार ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में बीए किया। दीपक ने दिल्ली के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी भी की है।
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IPS दीपक कुमार को बचपन से ही पत्रकारिता का शौक था। लेकिन किसान परिवार के होने के कारण शुरू से ही उन पर सरकारी नौकरी का दबाव था।परिवार और उनके मित्रों का झुकाव सिविल सर्विसेज की तरफ होने के कारण उन्होंने तैयारी करनी शुरू की। उन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में सिविल की परीक्षा पास कर ली।
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दीपक कुमार सबसे पहले 2003 में दानिक्स कैडर में सिलेक्ट हुए थे। उनको दिल्ली पुलिस में एएसपी बनाया गया था। वहां एएसपी पद पर कार्य करते हुए दीपक कुमार ने सिविल सर्विस का एग्जाम दिया और 2005 में IPS में सेलेक्ट हुए।
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दीपक कुमार की कार्यशैली लोगों को खूब पसंद आई। वह जिस भी जिले में तैनात रहे वहां अपराधियों पर अंकुश लगाने के साथ ही वह सामाजिक कार्यों में भी शामिल रहे। गरीबों की मदद करना उनकी आदत में शुमार रहा। जिससे वह आम पब्लिक के चहेते रहे।
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साल 2007 में दीपक कुमार को गाजियाबाद का एएसपी बनाया गया। उन्होंने वहां तकरीबन 6 महीने तक काम किया। जब उनका वहां से तबादला हुआ तो हजारों लोगों की भारी भरकम भीड़ उन्हें स्टेशन तक छोड़ने आई थी। उस समय दीपक कुमार खूब चर्चित हुए थे।