MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • Career
  • Education
  • कमर में रॉड, ब्रेन में प्रॉब्लम, लॉकडाउन में छूटी नौकरी, एक आइडिया ने बदल दी लाइफ

कमर में रॉड, ब्रेन में प्रॉब्लम, लॉकडाउन में छूटी नौकरी, एक आइडिया ने बदल दी लाइफ

जब इंसान के सिर पर संकट आता है, तभी उसके दिमाग में कोई आइडिया जन्मता है। लॉकडाउन में बहुत सारे लोगों का काम-धंधा छूटा। लेकिन इनमें से कइयों ने अपने लिए रास्ता खोजा। आत्मनिर्भर होने की दिशा में कदम बढ़ाया। आज वे नौकरी से ज्यादा कमा रहे हैं। ऐसी ही कहानी है दिल्ली के रहने वाले दीपक छाबड़ा की। पिछले 9 साल से नौकरी करते आ रहे दीपक कुछ अपना करना चाहते थे। लॉकडाउन के 5 महीने पहले उन्होंने अपनी सारी जमांपूजी लगाकर रेस्टारेंट खोला। लेकिन लॉकडाउन लगते ही सबकुछ ठप हो गया। उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि आगे क्या करें? इतना पैसा भी नहीं था कि घर में आराम से बैठकर काम चला सकें। फिर उन्होंने झिझक छोड़ी और हिम्मत करके अपनी बाइक को ही चलता-फिरता रेस्टोरेंट बना लिया। वे उस पर छोले-कुलचे बेचने लगे। आज दीपक हर दिन 2000 रुपए कमा रहे हैं। वे खुश हैं कि उनका काम अच्छा चल रहा है।

3 Min read
Asianet News Hindi
Published : Jan 25 2021, 10:17 AM IST| Updated : Jan 25 2021, 06:16 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
15

दीपक शारीरिक रूप से फिट नहीं हैं। बचपन में बुखार आने पर डॉक्टर ने गलत इलाज किया। इंजेक्शन के इंफेक्शन से उनके ब्रेन में दिक्कत आ गई। मां-बाप ने जगह-जगह मन्नतें मांगी। कई डॉक्टरों को दिखाया। दीपक बोलने तो लगे, लेकिन चलने-फिरने में दिक्कत आने लगी। उनकी कमर में रॉड डालनी पड़ी। बावजूद दीपक ने हिम्मत नहीं छोड़ी और ग्रेजुएशन किया। इसके बाद प्रिंटिंग का काम करने लगे। कुछ समय घर से मैस चलाई। फिर एक स्पोर्ट्स कंपनी में 15 हजार रुपए की नौकरी करने लगे। नवंबर, 2009 में दीपक ने यह नौकरी छोड़र अपना रेस्टोरेंट खोला। लेकिन लॉकडाउन में वो भी बंद हो गया।
 

25

दीपक बताते हैं कि लॉकडाउन के पहले सबकुछ बढ़िया होने लगा था। लॉकडाउन लगने पर कर्मचारियों को एक महीने की सैलरी देकर विदा किया। इसके बाद उनके पास कुछ नहीं बचा था। कुछ समय एक कंपनी के लिए सर्वे किया। फिर बाइक पर छोले-कुलचे बेचने का आइडिया आया। दीपक रोज सुबह 6 बजे उठकर 10 बजे तक सामान रेडी करके बाइक पर निकल जाते हैं। उनका सामान शाम तक बिक जाता है। उनके छोले-कुलचे लोगों को इतने पसंद आते हैं कि 50-60 रेग्युलर कस्टमर बन गए हैं। आगे पढ़ें- राजमा-चावल ने बदल दी जिंदगी

35

कभी एक सासंद के यहां मामूली सैलरी पर ड्राइवर की नौकरी करने वाला यह शख्स आज महीने में लाख रुपए तक कमा रहा है। ये हैं 35 साल के करण कुमार, जो अपनी पत्नी अमृता के साथ दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम के पास कार में फूड स्टाल लगाते हैं। पति का आइडिया और पत्नी के बने राजमा-चावल काम कर आए। दूर-दूर से लोग यहां खाने आते हैं। करण और अमृता रोज सुबह फरीदाबाद से तालकटोरा स्टेडियम आते हैं। इन्होंने एक पोस्टर बनवा रखा है। साइड में गाड़ी खड़ी करके पोस्टर कार पर टांगते हैं और गाड़ी की डिग्गी में अपना रेस्त्रा ओपन कर लेते हैं।  करण कहते हैं कि नौकरी जाने के बाद बेहद तनाव में था। लेकिन अब सब ठीक हो गया। वे कहते हैं कि अब किसी की नौकरी नहीं करना। संभव हुआ, तो आगे चलकर अपना बड़ा-सा रेस्त्रां खोलेंगे। आगे पढ़ें यह कहानी...
 

45

करण जिस सांसद की गाड़ी चलाते थे, उन्होंने सरकारी बंगले के सर्वेंट क्वार्टर में इनके रहने का इंतजाम किया था। चूंकि यह जॉब प्राइवेट थी, इसलिए लॉकडाउन में उन्हें निकाल दिया गया। इस बीच उन्हें अपना सामान किसी की मदद से एक गैरेज में रखना पड़ा और रात यहां-वहां गुजारनी पड़ीं। करीब दो महीने इसी कार में सोए। कभी गुरुद्वारों में लंगर खाया, तो कभी किसी से मदद ली। करण बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने दूसरी नौकरी पाने खूब हाथ-पैर मारे, लेकिन कहीं बात नहीं बनी। फिर घर-गृहस्थी का सामान बेचकर यह काम शुरू किया। पहले दिन अमृता ने तीन किलो चावल, आधा किलो राजमा और आधा किलो छोले बनाया था। रास्ते में कई जगह रुक-रुककर खाना बेचने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। बाद में सारा खाना भिखारियों को खिला दिया। आगे पढ़ें इन्हीं की कहानी...

55

आज अमृता रोज 8 किलो चावल, ढाई किलो राजमा, 2 किलो छोले, 3 किलो कढ़ी और 5 किलो रायता बनाकर बेचती हैं। इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि ये सुबह 11 बजे गाड़ी लेकर दुकान खोलते हैं और दोपहर 2 बजे तक सारा खाना खत्म हो जाता है। आज इनकी दुकान पर रोज 100 लोग आते हैं। ये हाफ प्लेट 30 रुपए, जबकि फुल 50 रुपए में बेचते हैं। इस तरह महीने में ये लाख रुपए तक का सामान बेच देते हैं। इसमें से 60-70 प्रतिशत तक इनका मुनाफ होता है। अमृता को इसके लिए तड़के 3 बजे उठना पड़ता है।

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved