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UPSC Prelims 2021: एक दो नहीं 4 बार UPSC में फेल होकर बने IAS, अब दूसरे कैंडिडेट्स को दिए जबरदस्त Success Tips
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कभी UPSC छोड़ने का बनाया था मन
अक्षत का यूपीएससी का सफर काफी लंबा रहा। उन्हें यहां पांचवें प्रयास में सफलता मिली थी। अक्षत को जब 4 बार असफलता मिली तो वे निराश हो गए। उन्होंने तय कर लिया था कि वह अब यूपीएससी के लिए और प्रयास नहीं करेंगे।
अक्षत ने साल 2012 से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। सबसे पहले साल उन्होंने कोचिंग ली और पहला अटेम्पट दिया लेकिन उनका चयन प्री में भी नहीं हुआ। इसी प्रकार अक्षत साल दर साल अटेम्पट देते रहे लेकिन सफलता उनसे कोसों दूर थी। तभी चौथे अटेम्पट में मिली असफलता ने उन्हें तोड़ दिया। रिजल्ट आने के बाद हताश अक्षत घर से बाहर हवा बदलने गए तो परिवार ने अनहोनी के डर से रोकना चाहा पर वे नहीं मानें।
वो अपने दोस्तों से मिले और UPSC छोड़ने की बात कही। लेकिन उनके कुछ दोस्तों ने उन्हें एक और प्रयास करने की सलाह दी। यह बात अक्षत के दिमाग में बैठ गई और उन्होंने आखिरी प्रयास करने का मन बनाया। इस बार अक्षत ने बहुत कम समय में ज्यादा से ज्यादा तैयारी की। आखिरकार इस बार उनकी किस्मत ने भी साथ दिया और उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली।
सही दिशा में करनी चाहिए मेहनत
अक्षत का मानना है कि UPSC की तैयारी करने से पहले आपको उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। यूपीएससी का सिलेबस और पेपर के बारे में पूरी जानकारी होने पर आप अपनी तैयारी का बेहतर ब्लूप्रिंट बना पाएंगे। एक बार जब आपका पूरा प्लान तैयार हो जाए, उसके बाद उस पर अच्छी तरह अमल करें। यूपीएससी की तैयारी के दौरान कभी भी ओवरकॉन्फिडेंस न रखें. अगर आपको लगता है कि कोई सब्जेक्ट पहले से मजबूत है फिर भी उस पर पूरी तरह फोकस करना चाहिए। यहां छोटी-छोटी गलतियां आपकी असफलता का कारण बन जाती हैं।
अक्षत के जीवन की पांच गलतियां –
अक्षत कहते हैं कि मैं कभी नहीं चाहता की जो गलतियां मैंने करीं वही दूसरे कैंडिडेट्स भी दोहराएं, इसलिए वे अपना अनुभव दूसरों से साझा करना चाहते हैं जिससे शायद दूसरों की मदद हो पाए। अक्षत अपने पांच अटेम्पट में असफल होने पर सीखी पांच बातों को कुछ इस तरह से शेयर करते हैं।
अक्षत अपनी पहली सीख में कहते हैं कि परीक्षा देने के पहले परीक्षा के नेचर को समझें कि आखिर यूपीएससी परीक्षा आपसे चाहती क्या है. प्री में क्या देखा जाता है, मेन्स में क्या देखा जाता है और इंटरव्यू में वे आपको कैसे टेस्ट करना चाहते हैं। इस जरूरत को समझकर इसके अनुसार ही तैयारी करें। अंधेरे में तीर चलाने से कोई फायदा नहीं होगा। अक्षत ने अपने पहले ही साल में कोचिंग से लेकर बिना खाना खाए (ताकि नींद न आए) पूरे-पूरे दिन लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई की पर नतीजा उनके पक्ष में नहीं रहा।
दूसरी सीख – ओवर कांफिडेंट न हों –
अक्षत की दूसरी सीख है कि किसी भी विषय को लेकर ओवर कांफिडेंट न हों। जैसे वे हिंदी को लेकर बड़ा श्योर थे कि इसमें क्या है ये तो पास हो ही जाएगी, जिसका नतीजा यह हुआ कि वे हिंदी के कंपल्सरी पेपर में भी पास नहीं हो पाए और उन्हें अपने बाकी विषयों के अंक तक नहीं पता चले। अक्षत कहते हैं कोई विषय आता है, यह अच्छी बात है पर इसको लेकर इग्नोरेंट रवैया न अपनाएं। यूपीएससी आपकी क्षमताओं को जिस स्तर पर जांचता है आप वहां तक सोच भी नहीं पाते।
तीसरी सलाह – अपने दोस्तों की सलाह मानें –
अक्षत कहते हैं जो लोग आपको जानते हैं उन्हें बहुत बार वे पहलू भी दिख जाते हैं जो कई बार आप नहीं देख पाते। दूसरे अटेम्पट में भी चयन न होने पर अक्षत ने वापस नौकरी पकड़ ली। इस समय उनके एक दोस्त, जो अक्षत के साथ ही यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, ने उनसे कहा कि हम सफलता के बहुत करीब आ गए हैं अब रिस्क नहीं लेते पर अक्षत ने किसी की नहीं सुनी। इस साल उनके दोस्त का चयन हो गया और नौकरी के चक्कर में अक्षत ठीक से तैयारी नहीं कर पाए और जिस सफलता के वे बेहद करीब थे वह उन्हें नहीं मिली।
चौथी सलाह – अपनी स्ट्रेन्थ को लेकर मुगालते में न जिएं –
अक्षत कहते हैं कई बार हमें लगता कि यह एरिया हमारी स्ट्रेन्थ है पर हमारे लगने और यूपीएससी को यही लगने में बहुत फर्क होता है। जैसे अक्षत परीक्षा के समय कुछ अखबारों के लिए लिखा करते थे और उन्हें यह मुगालता हो गया था कि ऐस्से लिखने में क्या है क्योंकि मेरी राइटिंग स्किल्स तो बहुत अच्छी हैं। इस साल अक्षत ने ऐस्से में लोएस्ट मार्क्स 91 पाये थे। क्योंकि जिसको वह अपनी स्ट्रेन्थ मानकर ध्यान नहीं दे रहे थे दरअसल वो यूपीएससी के मापदंडों पर बहुत ही निम्न स्तर की थी।
पांचवीं सलाह – कुछ चीजें डेस्टिनी पर छोड़ देनी चाहिए –
अक्षत आखिरी सलाह देते हैं कि जब अपना सौ प्रतिशत देने के बाद भी रिजल्ट न आए तो कुछ चीजें समय पर छोड़ देनी चाहिए। कुछ घटनाओं का समय शायद तय होता है, वे जब होनी होती हैं, तभी होती हैं. जैसे अपने चौथे प्रयास में अक्षत ने परिवार के दबाव में सर्विस प्रिफरेंस में आईएएस भर दिया था जबकि उनके दिल में हमेशा से आईपीएस सेवा थी। नतीजा यह हुआ की साक्षात्कार देते जाते समय उनके दिमाग में आया कि जब मैं खुद से ईमानदार नहीं हूं तो ईश्वर क्या मेरी मदद करेंगे। अक्षत का इस बार साक्षात्कार तक पहुंचकर भी चयन नहीं हुआ।