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पढ़ाई के बाद अपनी किताबें फाड़ देता था ये IPS, प्रतियोगी छात्रों के लिए दिए ये सक्सेज टिप्स
| Published : Feb 06 2020, 12:23 PM IST / Updated: Feb 06 2020, 12:27 PM IST
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देवरंजन वर्मा मूलतः लखनऊ के रहने वाले हैं। लखनऊ के चौक इलाके में उनका पुश्तैनी घर है। उनके पिता लखनऊ में स्वास्थ्य विभाग में जिला सहायक प्रतिरक्षण अधिकारी थे। साल 2013 में उनकी मौत हो चुकी है।
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देवरंजन वर्मा की शुरुआती पढ़ाई सिटी मांटेसरी स्कूल लखनऊ से हुई। उसके बाद उन्होंने क्रिश्चन कालेज से इंटरमीडिएट करने के बाद लखनऊ विश्विद्यालय से बीएससी और एमएससी किया उन्होंने एमएससी मैथमेटिक्स से किया और उसमे उन्हें गोल्डमेडल मिला। उसके बाद वह सिविल सर्विस की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए।
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देवरंजन वर्मा की शुरुआती पढ़ाई सिटी मांटेसरी स्कूल लखनऊ से हुई। उसके बाद उन्होंने क्रिश्चन कालेज से इंटरमीडिएट करने के बाद लखनऊ विश्विद्यालय से बीएससी और एमएससी किया उन्होंने एमएससी मैथमेटिक्स से किया और उसमे उन्हें गोल्डमेडल मिला। उसके बाद वह सिविल सर्विस की तैयार के लिए दिल्ली चले गए।
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दिल्ली में रहकर देवरंजन वर्मा ने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू किया। उन्हें लगातार तीन अटेम्प्ट में सफलता नहीं मिली। प्री में तो उन्हें सफलता मिल जाती थी लेकिन मेंस में वह हर बार फेल हो जाते थे। उन्होंने देखा कि मैथमेटिक्स में उनके नंबर नहीं आ रहे थे। जिसके बाद उन्होंने अपना सब्जेक्ट चेंज कर दिया। जिसके बाद उन्हें सफलता मिली और वो 2011 में सफल हुए। उन्हें 2011 में यूपी कैडर IPS में सिलेक्शन मिल गया।
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पुलिसिंग में भी IPS देवरंजन वर्मा का काम करने का तरीका बिलकुल अलग है। वह नए नए तरीके ईजाद करते रहते हैं। प्रतापगढ़ SP रहने के दौरान उन्होंने गरुण वाहिनी बनाई थी। जिसमे बाइक पर सादे कपड़ों में पुलिस वालों की टीम पूरे जिले भर में भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर तैनात रहेगी। जिससे चैन स्नेचर व शोहदों पर काबू पाया जा सके। इसके अलावा प्रयागराज,कानपुर,मैनपुरी आदि जिलों में भी तैनाती के दौरान उन्होंने नए हाईटेक तरीके की पुलिसिंग के गुर पुलिसकर्मियों को सिखाए। वर्तमान में बलरामपुर में उन्होंने कानून व्यवस्था कायम की हुई है। उनकी सूझ-बूझ से CAA प्रदर्शन के दौरान बलरामपुर में कहीं भी हिंसात्मक घटना नहीं हुई।
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उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान हम लगातार एक्सपेरीमेंट्स करते रहते थे। उन्होंने बताया कि हम 15 दिन एक तरह से पढ़ाई करके देखते थे अगर हमे रिजल्ट ठीक मिलता था तो ठीक अन्यथा हम पढ़ाई का तरीका चेंज कर देते थे। इस तरह एक्सपेरीमेंट करते सही तरीका हमें मिल ही जाता था।
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ज्यादातर दिन की पढ़ाई की आदत डालनी चाहिए। हमने देखा है कि कुछ बच्चे पूरी रात पढ़ते हैं और अगले दिन दोपहर 12 बजे तक सोते हैं। हमारे हिसाब से ये तरीका सही नहीं है। क्योंकि एग्जाम हमेशा दिन में ही होते हैं ज्यादातार सुबह के समय। ऐसे में जब आप पूरे साल रात भर पढ़ते हैं और अगले दिन दोपहर तक सोने की आदत आपकी है तो आप सुबह होने वाले एग्जाम अचानक से उठकर एडजस्ट नहीं कर पाते हैं। जिससे आपका पेपर खराब होने का चांस रहता है।
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"मैंने पढ़ाई के दौरान कभी नोट्स नहीं बनाया। ये सबसे बकवास काम है। आखिर नोट्स भी तो आपको उसी गाइड या किसी किताब,मैगजीन से बनवाई जाएगी। हम पढ़ाई के दौरान फोल्डर बनाते थे। हमें जहां भी हमारे मतलब की चीज दिखती थी हम उसे पढ़ने के लिए काट कर फोल्डर में रख लेता था। बस ये ध्यान रहे एक फोल्डर में एक ही टॉपिक की चीजें रहें। जिससे हमें कोई चीज ढूंढने में मुश्किल न हो। इससे हमें जबी जो भी चीज पढ़नी होती उस फोल्डर को निकला कर रिवाइज कर लेते थे।"
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"तैयारी के दौरान एक चीज सबसे जरूरी है कि हर सब्जेक्ट रोज पढ़ा जाए। कुछ लोग करते ये हैं कि जिस सब्जेक्ट को पढ़ना शुरू करते हैं लगातार उसी सब्जेक्ट पर ध्यान देते हैं। इसके बाद जब 10-15 दिन के बाद दूसरा सब्जेक्ट पढ़ना शुरू करते हैं तो वो बिलकुल नया सा लगता है। ऐसे में तैयारी में मन नहीं लग पाता। इसलिए हर सब्जेक्ट का रोजाना पढ़ने का टाइम टेबल बना होना चाहिए।"
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"इंटरटेनमेंट के लिए भी समय निकालना चाहिए। मेरा पढ़ाई के दौरान रूटीन अलग था। मै दिन में सात से आठ घंटे पढ़ाई करता था। उसके बाद रात आठ बजे के बाद मै कतई नहीं पढ़ता था चाहे अगले दिन मेरा एग्जाम ही क्यों हो हो। आठ बजे के बाद मै खाना खाता था फिर मै टीवी पर एक मूवी जरूर देखता था। इससे पढ़ते-पढ़ते उकताहट नहीं आती है। अगले दिन फिर जब आप पढ़ने बैठोगे तो मन तरोताजा रहता है।"