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स्टेशन पर चाय बेचने वाला लड़का कड़ी मेहनत से बना CA, 6 बार फेल होकर भी नहीं मानी हार
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मध्य प्रदेश भोपाल (Bhopal M.P.) के मुकेश राजपूत (CA Mukesh Rajput) का बचपन तंगहाली और दु:ख में बीता है। बचपन में पिता की मार से इतना आहत हुए कि घर छोड़ दिया था। मुकेश की जिंदगी के शुरुआती दशक होटल पर चाय के कप धोते हुए निकाल दिए। लोगों की मार खाई और गालियां सुनीं। लेकिन मन में कुछ अलग कर गुजरने की चाह थी, इसलिए किताबों को अपना दोस्त बना लिया।
दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि मुकेश रेगुलर छात्र के रूप में स्कूल नहीं जा सकें। पर बे किताबें पढ़ते थे। किताबों की दोस्ती और ज्ञान को बटोरने की चाह के कारण आज वे चार्टर्ड एकाउंटेंट (Chartered Accountant) हैं। अपने संघर्ष को उन्होंने दूसरों की जिंदगी संवारने का पेशा भी बना दिया। वे आज एक मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक भी हैं।
अपने संघर्ष को उन्होंने दूसरों की जिंदगी संवारने का पेशा भी बना दिया। वे आज एक मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक भी हैं।
एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में मुकेश ने बताया कि, वो एक CA से मिले थे। तब उनसे मिलने के बाद उनके मन में यह जिज्ञासा जागी सीए कौन होते हैं और ये क्या काम है। इसके बारे में जानकर उन्होंने सीए बनने का संकल्प लिया।
मुकेश आज हर छात्र से यही कहते हैं कि वे मन में सदैव कुछ नया जानने की इच्छा रखें, ताकि वे ज्ञान हासिल कर सकें। एक दिन हमें पता चलता है कि यही ज्ञान हमारी सफलता की पहली सीढ़ी है।
फोटो सोर्स: मुकेश राजपूत ट्विटर अकाउंट
यही कारण है कि आज मुकेश पूरे देश में मोटिवेशनल सेमिनार लेते हैं। छात्रों को अवसाद से निकालना और उन्हें सही मार्ग पर प्रेरित करना उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य है। साथ ही उन्होंने एक किताब "सीए पास द रियल स्टोरी" भी लिखी है। इस किताब में उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष और लगातार प्रयत्न करते रहने की बात पर विशेष बल दिया है।
इस किताब के लिए मुकेश ने एक खास उपलब्धि हासिल की है। इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में अपने स्वयं के जीवन पर एक किताब लिखने के लिए उन्हें सराहना मिली।
5वीं के बाद दी सीधे 10वीं की
पांचवी कक्षा की बाद मुकेश की पढ़ाई छूट गई थी, लेकिन सीए बनने के संकल्प ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसलिए मप्र ओपन स्कूल से पांचवीं के बाद सीधे 10वीं की परीक्षा दी। इसमें वे तीन बार असफल रहे, लेकिन चौथी बार उन्होंने 10वीं कक्षा को पास कर लिया। 10वीं पास करने के बाद उनका संकल्प और ज्यादा मजबूत हो गया।
सीए का एग्जाम क्लियर करने में मुकेश को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। मुकेश बताते हैं कि सीए की तैयारी करने के दौरान भी उन्हें लगातार असफलता मिल रही थी। लगातार 6 बार असफल होने के दौरान एक बार वे गहरे अवसाद में चले गए। इसी दौरान उन्होंने एक दिन सोचा की न तो मुझे मेरे माता पिता चाहते हैं। न ही दुनिया से कोई मान-सम्मान ही मुझे मिला।
इसी गहरे अवसाद में उन्होंने सुसाइड करने की कोशिश की लेकिन अंतरआत्मा की आवाज ने उन्हें रोक लिया। बस यहीं से उन्होंने ज्यादा मेहनत करना शुरू कर दी। इसके बाद सातवीं बार में उन्होंने सीए का एग्जाम क्लियर कर दिया। मुकेश बताते हैं कि 20 जुलाई 2010 को उनके एक दोस्त ने फोन पर सीए रिजल्ट की जानकारी दी।
ऑफिस में उनकी एक सहकर्मी ने उनका रोल नंबर सर्च किया तो वो परीक्षा पास कर चुके थे। जिसके उनके दुख के आंसू खुशी के आंसुओं में बदल गए। इस तरह एक चाय के ढाबे पर काम करने वाला ये शख्स आज बैंक में सीए बन गया। उनकी लाइफ का संघर्ष और लगन और जज्बा लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।