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स्कूल में फिसड्डी समझ जिस बच्चे को नहीं दिया गया एडमिट कार्ड...4 बार फेल होकर वहीं बना IAS अफसर

नई दिल्ली. फेल होना या एक औसत स्टूडेंट होना छात्रों को अवसाद में धकेल देता है। कई बार बच्चे पढ़ाई में भले अच्छे न हो लेकिन उनका दिमाग इतना तेज होता है कि वो यूपीएससी परीक्षा भी पास कर जाएं। पढ़ाई में औसत छात्रों हमेशा इग्नोर किया जाता है। स्कूल में टीचर भी उनपर खास ध्यान नहीं देते। पर कई स्कूलों में ऐसा भी होता है जब टीचर किसी औसत छात्र को एग्जाम में बैठने से मना कर देते हैं। ऐसा एक छात्र के साथ हुआ लेकिन आज वो सिविल सर्विस एग्जाम पास कर आईएएस अफसर बन चुका है। हम बात कर रहे हैं आईएएस अफसर नितिन शाक्य जब वो 12वीं क्लास में थे तो स्कूल ने एडमिट कार्ड देने से भी इंकार कर दिया था। स्कूल में मिला ये सबक उसकी जिंदगी में आगे काम आया। आइए जानते हैं कैसे एक फेल होने वाला छात्र अफसर बन बैठा। आईएएस सक्सेज स्टोरी में (IAS Success Story) में आज हम आपको नितिन के संघर्ष और सफलता की कहानी सुनाएंगे।

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Asianet News Hindi
Published : Apr 26 2020, 11:15 AM IST| Updated : Apr 26 2020, 06:03 PM IST
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मीडिया से बातचीत में नितिन ने बताया कि, "12वीं में स्कूल ने ये कहकर एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया कि मैं एक औसत स्टूडेंट हूं। मेरे फेल होने के कारण स्कूल का नाम खराब हो सकता है। मेरी मां हेडमास्टर से मिली और उनसे कहा कि मेरे बच्चे को साबित करने का मौका दें। इसके बाद मुझे एडमिट कार्ड मिला"

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नितिन के मुताबिक, "जब रिजल्ट आया तो मेरे कई सब्जेक्ट्स में सबसे अच्छे मार्क्स थे। इसके बाद जिन्होंने एडमिट कार्ड देने से मना किया तो उन्होंने ही मेरा स्वागत किया।" इसके बाद उन्होंने देश के सबसे बड़े मौलाना आजाद  मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया। नितिन ने बताया कि "जब मैं इंटर्नशिप कर रहा था तब हमारे पास कई गरीब लोग ट्रीटमेंट के लिए आते थे। 

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हम लोग उनका इलाज तो कर रहे थे, लेकिन उनकी गरीबी दूर करने और उन्हें रोजगार या शिक्षा देने के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे। यही से मेरी सिविल सर्विस की जर्नी शुरू हुई।" यहां से नितिन से सिविल सर्विस में जाने की ठान ली। नितिन से सोचा क्यों न अफसर बनने की सोची जाए लेकिन ये एक मुश्किल सफर था। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई और नौकरी करते हुए ही यूपीएससी की तैयारी की। 

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नितिन ने बताया कि यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा में एक तरह से रिवर्स प्रॉसेस शुरु हो गया। नितिन पहली बार वे इंटरव्यू तक पहुंचे। इस अटेंप्ट में वह 10 मार्क्स से फाइनल लिस्ट में जगह बनाने से चूक गए। नितिन ने बताया कि दूसरे अटेंप्ट में वह मेंस में असफल हुए।

 

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वहीं, तीसरी बार प्रीलिम्स में भी कामयाबी नहीं मिली। बकौल नितिन "मेरे दिमाग में आ गया था कि अब अटेंप्ट नहीं देने हैं। हालांकि, मेरे घरवालों ने मुझे समझाया और मैंने जी-जान लगा दी और आखिर में फाइनल सिलेक्शन हुआ।" 

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यूपीएससी सिविल सर्विस 2019 बैच के अधिकारी नितिन को चार बार कोशिश के बाद सफलता मिली। नितिन ने हार नहीं मानी और जो स्कूल उनके फेल होने पर नाम खराब होने से डर रहा था उसी ने उनके अफसर बनने पर जोर-शोर से अपना नाम रोशन होते देखा। 

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नितिन ने यूपीएससी की तैयारी कर रहे सभी कैंडिडेट्स को टिप्स देते हुए कहा कि "जिंदगी में असफलता आएंगी। आपको उन असफलताओं से घबराना नहीं है बल्कि हमेशा मोटिवेटेड रहना है। आपका लक्ष्य आपको क्लियर होना चाहिए।" 

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