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भारतीय मूल की महिला के हाथों हुई नासा के मिशन मार्स की सेफ लैंडिंग, जानिए कौन हैं डॉक्टर स्वाति मोहन
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भारतीय समय के अनुसार रात 2 बजकर 25 मिनट पर इस मार्स रोवर ने लाल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड किया। इसकी लैंडिंग के साथ ही नासा के वैज्ञानिकों व कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। सांसें रोक देने वाला पल तब आया जब नासा (NASA) का पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) मार्स की सतह पर उतरने वाला था। आखिरी सात मिनट में रफ्तार 0 पर लानी थी, फिर सेफ लैंडिंग जरूरी थी और डॉक्टर स्वाति मोहन ने इसे मुमकिन कर दिया।
नासा के इस मिशन में डॉ स्वाति के कांधों पर अहम जिम्मेदारी थी। इस मिशन की सेफ लैंडिंग के कारण वो दुनियाभर में चर्चा में आ गई हैं। माथे पर बिंदी लगाए स्वाति का चेहरा दुनियाभर में छाया है। वो इस मिशन में लैंडिंग को सफल बनाकर लोगों की तरीफें बटोर रही हैं।
‘द साइंस’ के मुताबिक, मार्स के करीब पहुंचना शायद कुछ आसान हो, लेकिन सबसे मुश्किल होता है यहां रोवर को लैंड कराना। ज्यादातर मिशन इसी स्टेज पर दम तोड़ देते हैं। पर्सीवरेंस रोवर आखिरी 7 मिनट में 12 हजार मील प्रतिघंटे की रफ्तार से 0 की गति तक पहुंचा। इसके बाद लैंडिंग की। इस ऊंचाई, इस रफ्तार को शून्य पर लाना और फिर हौले से लैंड कराना किसी चमत्कार से कम नहीं था। डॉक्टर स्वाति मोहन और उनकी टीम ने यह कर दिखाया और दुनिया आज उन पर गर्व कर रही है।
स्वाति इंजीनियर हैं। जैसे ही पर्सीवरेंस रोवर की लैंडिंग हुई, इसके कॉप्टर ने विंग्स खोले। स्वाति और नासा की टीम खुशी से झूम उठी। दुनिया को एक मैसेज मिला- Touchdown confirmed, यानी लैंडिंग कामयाब रही। दुनिया इन्ही शब्दों को सुनने के लिए बेसब्र थी।
कौन हैं डॉक्टर स्वाति मोहन
स्वाति जब सिर्फ एक साल की थीं तब पेरेंट्स के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गईं। उनके जीवन का ज्यादातर हिस्सा नॉदर्न वर्जीनिया में बीता है। 9 साल की थीं तब पहली स्टार ट्रैक सीरीज देखी। तभी तय कर लिया कि सितारों की दुनिया में कुछ नया करेंगी। इस जहां से दूर किसी नए आसमानी ठिकाने की खोज करेंगी। हालांकि, 16 साल की उम्र तक एक ख्वाब बच्चों के डॉक्टर बनने का भी था।
फिर गुजरते वक्त के साथ तय कर लिया कि इंजीनियरिंग और स्पेस एक्सप्लोरेशन में ही कॅरियर बनाना है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल और एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग की और फिर PhD।
नासा में लंबे वक्त से काम कर रही हैं
मिशन मार्स और खास तौर पर पर्सीवरेंस रोवर से स्वाति शुरू से ही जुड़ी रहीं। पासाडेना में नासा की जेट प्रॉपल्शन यूनिट में उन्होंने काफी वक्त बिताया। इस दौरान कई स्पेस मिशन और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी पर रिसर्च किया। शनि यानी सैटर्न से जुड़े मिशन में भी उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई है।