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युवा IAS अफसर ने अपने दम पर बदल दी लोगों की जिंदगी, पहियों पर चला रहा बच्चों के लिए स्कूल

रांची. इन दिनों झारखंड के एक आईएएस अधिकारी काफी चर्चा में है। बच्चों की शिक्षा हो या महिलाओं के लिए स्वास्थय की सुविधाएं मुहैया करवाना हो सबके लिए उन्होंने जमीं पर उतरकर काम किया है। उनके कामों को न सिर्फ झारखंड की जनता बल्कि देश भर में लोग तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। ये हैं हाल में सुर्खियों में छाए आदित्य रंजन।आदित्य झारखंड में सिहंम में जिला विकास अधिकारी (डीडीसी) के रूप में तैनात हैं। वे जिले की स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए श्रमिकों के साथ काम कर रहे हैं। आदित्य रंजन ने आंगनवाड़ी प्रणाली को एक मॉडल में बदल दिया है, जहां बच्चों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पोषण की सुविधा मिलती है। आइए जानते हैं 2015 बैच के आईएएस अफसर के काम और उनके बारे में कुछ जरूरी बातें.....

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Asianet News Hindi
Published : Mar 01 2020, 04:46 PM IST| Updated : Mar 01 2020, 04:59 PM IST
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आदित्य रंजन एक बिजनेस फैमिली से हैं। उनकी प्राइमरी स्कूलिंग गवर्नमेंट से हुई। वे तीन भाई और एक बहन हैं। सबसे बड़े भाई डॉ राकेश कुमार एक ऑर्थोपेडिशियन हैं। छोटा भाई बिजनेसमैन है और बहन ने MBA किया है। उनके बहनोई रमनद कुमार रिलायंस के साथ सीए हैं। आदित्य ने लोगों की सेवा करने के लिए सिविल सर्विस को चुना। आज वो पूरी लगन से झारखंड में लोगों की जिंदगी संवार रहे हैं।
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आदित्य रंजन एक कंप्यूटर इंजिनियर रहे हैं। वो एक मल्टी नेशनल कंपनी ओरेकल में कार्यरत थे जब उन्होंने IAS परीक्षा 2014 में 99वां रैंक हासिल की। उन्होंने यूपीएससी क्लियर करने के बाद स्टूडेंट्स को खूब टिप्स दिए। उनका मानना है कि पहले पारंपरिक टॉपिक्स पर पकड़ बनाओ, फिर करंट अफेयर्स की तैयारी करें।
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आदित्य ने नौकरी से इस्तीफा देकर सिविल सर्विस की तैयारी की। करीब एक साल तक वो खाली बैठे और सिर्फ पढ़ाई पर फोकस किया। कड़ी मेहनत का फल ये मिला कि उन्होंने साल 2015 99 रैंक के साथ टॉप किया।
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अब आदित्य अपने कामों को लेकर चर्चा में हैं। रंजन ने आंगनवाड़ी प्रणाली को एक मॉडल में बदल दिया है। यह एक गैर सरकारी संगठन, तितली की मदद से हासिल हुआ जिसने इन केंद्रों में महिलाओं को प्रशिक्षित करने में आदित्य की मदद की।
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केंद्र अब नियमित स्वास्थ्य जांच करने के लिए सुसज्जित हैं और मुफ्त दवा भी प्रदान करते हैं। अब आदित्य साल के अंत तक जिले और राज्य भर में लगभग 1,000 ऐसी आंगनवाड़ियों के विकास के लिए तैयार हैं।
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मीडिया से बात करते हुए आदित्य ने कहा, “सरकारी क्षेत्र में काम करने की गति धीमी है। इसलिए, यहां तक कि अगर आप किसी भी नई पहल को लागू करना चाहते हैं और इसके परिणामों का विश्लेषण करना चाहते हैं, तो इसमें लंबा समय लगेगा। अब तक हमें जिले के लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रियाएं मिली हैं, और यह मुझे रोजाना एक्साइटेड करता है।
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जब आप अपने काम के साथ सकारात्मक रूप से जीवन को प्रभावित कर सकते हैं, तो इससे अपार संतुष्टि मिलती है। हमें नए आंगनवाड़ी केंद्र खोलने के लिए पैसों कमी का सामना करना पड़ सकता है, इसके लिए भारी वित्तीय निवेश की आवश्यकता होगी। मुझे उम्मीद है कि राज्य इस तरह की सफल परियोजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित करेगा।”
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शिक्षा के संदर्भ में इस आईएएस अधिकारी ने जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम (डीजीएस) शुरू किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर छात्र को कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त हो। इस कार्यक्रम में दो महीने का लंबा पाठ्यक्रम शामिल है जिसमें 32 मॉड्यूल शामिल हैं जो कंप्यूटर के सभी मूल सिद्धांतों को कवर करते हैं और लगभग 1,700 छात्र इससे पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं।
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उन्होंने ‘वंडर ऑन व्हील्स’ कार्यक्रम भी पेश किया है, जिसका उद्देश्य उनकी शिक्षा को जारी रखते हुए, उन्हें गणित और विज्ञान में रुचि पैदा करना है, ताकि वे आगे के लिए साइंस स्ट्रीम का चयन कर सकें। वह कहते हैं, “एक आम आदमी होने के नाते मैंने हमेशा छोटी-छोटी समस्याओं के बारे में सोचा, जिन्हें आसानी से लोग सत्ता के जरिये हल कर सकते हैं, फिर भी वे अधूरी रह जाती हैं। इसलिए, मैंने इस उद्देश्य के साथ बदलाव का निर्णय लिया और मैंने इस चुनौती को उठाया।”
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उन्होंने कहा कि परीक्षार्थी को अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर लगातार नजर बनाए रखनी चाहिए। जब भी आपको लगे की आपका आत्मविश्वास कम हो रहा है, तो और ज्यादा कड़ी मेहनत करें। लगातार कड़ी मेहनत से आप अपना खोया आत्मविश्वास वापस पा सकते हैं।

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