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जब बेसुध होकर सोनाक्षी सिन्हा के पापा को अमिताभ बच्चन ने पीटा था, एक बात को लेकर निकाला था गुस्सा
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आपको बता दें कि यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित थी। दरअसल, 1975 में चासनाला (झारखंड) खदान में भयानक हादसा हुआ था और कुछ ही मिनटों में 375 से ज्यादा लोगों की कोयले की खान में जल समाधि बन गई थी। इस हादसे को यश चोपड़ा ने काला पत्थर फिल्म के माध्यम से सबके सामने रखा।
फिल्म काला पत्थर से पहले अमिताभ और शत्रुघ्न सिन्हा फिल्म परवाना में काम कर चुके थे लेकिन फिल्म कुछ खास नहीं चली थी। बता दें कि 70 का दशक वो दौर था जब बॉक्स ऑफिस पर अमिताभ बच्चन का जादू चलता था। इसी बीच शत्रुघ्न सिन्हा भी तब तक कालीचरण, विश्वनाथ, जानी दुश्मन और हीरा मोती जैसी फिल्मों से सुपरस्टार बन चुके थे।
शत्रुघ्न सिन्हा की बायोग्राफी एनीथिंग बट खामोश में उन दिनों के किस्सों का जिक्र भी किया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमिताभ बच्चन उन दिनों शत्रुघ्न सिन्हा से काफी असुरक्षित महसूस करते थे और मन ही मन उनसे जलते भी थे, इसका एक किस्सा किताब में पढ़ने को मिलता है।
शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी किताब में एक फिल्म काला पत्थर से जुड़ा किस्सा शेयर किया है। उन्होंने बताया कि फिल्म के एक फाइट सीक्वेंस में अमिताभ बच्चन ने मेरी बुरी तरह पिटाई की थी। वह मुझे तब तक मारते रहे जब तक शशि कपूर ने बीच में आकर हमें अलग नहीं किया। मुझे इस सीन के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया था। और मैं हैरान रह गया था।
रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म के सेट पर अमिताभ के बगल वाली चेयर कभी शत्रुघ्न सिन्हा को ऑफर नहीं होती थी। दोनों एक साथ सेट के लिए निकलते थे लेकिन अमिताभ ने कभी शत्रुघ्न को अपने साथ गाड़ी में नहीं बिठाया। फिल्म की शूटिंग के दौरान जो लोग वहां आते थे, वे सब शत्रुघ्न सिन्हा को देखने के लिए काफी क्रेजी रहते थे, इस बात से भी बाकी लोगों को दिक्कत होती थी।
शत्रुघ्न की बायोग्राफी में उनके और बिग बी के बीच मनमुटाव और के बारे में कई बातें लिखी गई हैं। जब कुछ साल पहले एक इवेंट में शत्रुघ्न से इस बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था- ये बातें सब कल की हैं। अगर नहीं लिखता तो यह ऑनेस्ट बायोग्राफी नहीं होती। इसका मतलब ये नहीं कि आज मेरे दिल में कुछ खटास है। वो जवानी का जोश और स्टारडम की चाहती थी। अगर आज आप मुझसे पूछें तो मैं कहूंगा कि मेरे दिल में अमित के लिए बहुत ज्यादा आदर है।
शत्रुघ्न सिन्हा मानते हैं कि 70 के दशक में बॉलीवुड में उनका कद अमिताभ बच्चन से बड़ा था। इस कारण दोस्ती में दरार आ गई थी। अपनी किताब में शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा है- तब लोग कहते थे कि अमिताभ और मेरी ऑनस्क्रीन जोड़ी सुपरहिट है, पर वो मेरे साथ काम नहीं करना चाहते थे। उनको लगता था कि नसीब, काला पत्थर, शान और दोस्ताना जैसी फिल्मों में मैं उनपर भारी पड़ गया, लेकिन इससे मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा।
फिल्म काला पत्थर भले बॉक्स ऑफिस पर एक सुपरहिट साबित न हो पाई लेकिन इसका संगीत फिल्म की रिलीज से पहले ही हिट हो गया था। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि एक वक्त ऐसा भी आया था जब फिल्म के संगीतकार राजेश रोशन को बदलने की बात होने लगी थी। ये तो लता मंगेशकर थी जो राजेश रोशन के पक्ष में खड़ी हो गई थी। लता ने तब कह दिया था कि फिल्म से राजेश रोशन को निकाला तो वे गाने नहीं गाएंगी।