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काजोल का पहला हीरो बना ये एक्टर, खुशी वाले दिन पापा ने दिया था जिंदगीभर न भूल पाने वाला गम
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कमल की मां सईदा और पिता बृज सदाना के बीच अक्सर झगड़े होते थे। कमल के बर्थडे पर भी कुछ ऐसा ही हुआ। शराब के नशे में गुस्से से भरे बृज सदाना ने अपनी .32 बोर की लाइसेंसी बंदूक से पहले अपनी वाइफ और फिर बेटी को गोली मारी। दोनों की स्पॉट पर ही मौत हो गई।
इसके बाद बृज सदाना अपने बेडरूम में गए और खुद को भी शूट कर लिया था। ये सारा वाकया कमल की आंखों के सामने हुआ था, जिससे उनके दिमाग पर इसका गहरा असर हुआ था। बाद में कमल की काउंसिलिंग करानी पड़ी थी। कमल आज भी उस भयानक इंसीडेंट को याद करते हुए कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि आखिर डैड ने ऐसा क्यों किया।
एक इंटरव्यू में कमल ने बताया था, मुझे याद है जब 'बेखुदी' के एक सीन में काजोल ने मुझे मारा था। दरअसल, सीन यह था कि मैंने काजोल के भाई को मारा था और इस बात से नाराज काजोल को मुझे मारना होता है। अनफॉर्च्युनेटली, डायरेक्टर ने इस सीन के लिए 10 रीटेक्स लिए और काजोल के थप्पड़ खा-खाकर मेरा चेहरा तरबूज की तरह लाल हो गया था।
बेखुदी काजोल की डेब्यू फिल्म थी, ऐसे में कनाडा में शूटिंग के दौरान उनकी मां तनुजा उनके साथ थीं। हालांकि वो कभी भी शूटिंग के दौरान इंटरफेयर नहीं करती थीं। कमल सदाना के मुताबिक, कनाडा शूट के दौरान तनुजा जी का होना काफी मजेदार एक्सपीरियंस था।
कमल के मुताबिक, काजोल की मां ने मुझे रमी (ताश का एक गेम) खेलना सिखाया। हम डॉलर में खेलते थे और इस खेल में मैं उनके साथ काफी पैसा गवां चुका था। इसके बाद मैंने काजोल से कहा- मैं तुम्हारी मम्मी के साथ अब कभी रमी नहीं खेलूंगा।
कमल सदाना ने मेकअप आर्टिस्ट लीसा जॉन से शादी की। उनके दो बच्चे बेटा 14 साल का बेटा अंगद और 12 साल की बेटी लीया हैं। कमल सदाना ने बतौर डायरेक्टर भी काम किया है। उन्होंने कर्कश और 2014 में आई फिल्म 'रोर : टाइगर्स ऑफ द सुंदरबन्स' का डायरेक्शन किया है।
काजोल के पहले हीरो रहे कमल सदाना ने रंग (1993), बाली उमर को सलाम (1994), रॉक डांसर (1995), हम सब चोर हैं (1995), हम हैं प्रेमी (1996), अंगारा (1996), निर्णायक (1997), मोहब्बत और जंग (1998), कर्कश (2005) और विक्टोरिया नंबर 203 (2007) जैसी फिल्मों में काम किया है। हालांकि 'रंग' को छोड़ दें तो उनकी कोई भी फिल्म सफल नहीं रही।
2006 में कमल सदाना टीवी सीरियल 'कसम से' में काम कर चुके हैं। इसके बाद उन्होंने 2007 में अपने पिता की 1972 की हिट फिल्म 'विक्टोरिया नंबर 203' का रिमेक बनाया।