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जब करीना को सरोज खान ने इस गलती की वजह से लगाई थी फटकार, डर के मारे पसीने-पसीने हो गई थी बेबो
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सरोज खान के सिखाए डांस के चलते बॉलीवुड में कई एक्ट्रेसेस के करियर बन गए। सरोज खान की पहचान एक बेहद स्ट्रिक्ट कोरियोग्राफर के तौर पर की जाती हैं। कहते हैं कि अगर उनके बताए कोरियोग्राफी को कोई ठीक से बताई गई अदाओं और नजाकत के साथ नहीं करता तो वह सभी के सामने एक्ट्रेसेस को फटकार देती थीं। एक बार मास्टर जी की फटकार करीना कपूर (kareena kapoor) भी खानी पड़ी थी।
करियर की शुरुआत में सही से डांस न कर पाने की वजह से करीना को सरोज खान की डांट सुननी पड़ी थी। करीना ने ये किस्सा खुद शेयर किया था। उन्होंने बताया कि सरोज खान की डांट से बचने के लिए वो बाथरूम में बंद होकर प्रैक्टिस किया करती थीं।
फिल्म रिफ्यूजी का एक किस्सा बताते हुए करीना ने बताया था कि सरोज खान मुझे कहा करती थीं- ऐ लड़की, कमर हिला... रात के एक बज रहे हैं, क्या कर रही है? सरोज खान ने करीना से कहा था डांस में अगर तुम हाथ-पैर नहीं चला सकती हो तो तुम्हें चेहरे से डांस करना होगा। सरोज की फटकार से डर के मारे वे पसीना-पसीना हो गई थी।
सरोज ने 50 के दशक में बतौर बैकग्राउंड डांसर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपनी स्किल को डेवलप करने के लिए बी. सोहनलाल के साथ डांस ट्रेनिंग ली।
1974 में रिलीज हुई फिल्म गीता मेरा नाम से सरोज एक स्वतंत्र कोरियोग्राफर की तरह जुड़ीं। हालांकि उनके काम को काफी समय बाद पहचान मिली।
सरोज जब 13 साल की थी, तब उन्होंने अपने मास्टर बी. सोहनलाल से शादी की थी। दोनों उम्र में करीब 30 साल का फासला था। उन्होंने इस्लाम कबूल कर अपने गुरु से शादी की थी। एक तरफ यह सरोज की पहली शादी थी तो वहीं सोहनलाल की यह दूसरी शादी थी। पहली शादी से उनके चार बच्चे थे।
सरोज खान ने एक इंटरव्यू में बताया था- मैं उन दिनों स्कूल में पढ़ती थी तभी एक दिन मेरे डांस मास्टर सोहनलाल ने गले में काला धागा बांध दिया था और मेरे शादी हो गई थी।
सरोज ने बताया था- मैंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म अपना था। उस वक्त मुझसे कई लोगों ने पूछा कि मुझ पर कोई दबाव तो नहीं है लेकिन ऐसा नहीं था। मुझे इस्लाम धर्म से प्रेरणा मिलती है। सोहनलाल ने जब सरोज से शादी की थी, तब उन्होंने अपनी पहली शादी की बात छुपा रखी थी।
1963 में जब सरोज ने अपने बेटे राजू को जन्म दिया। उस वक्त उन्हें सोहनलाल की शादीशुदा जिंदगी के बारे में पता चला। 1965 में सरोज ने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया, लेकिन 8 महीने बाद ही उसकी मौत हो गई। बच्चों के जन्म के बाद सोहनलाल ने उन्हें अपना नाम देने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों के बीच दूरियां आ गईं। सरोज ने दोनों बच्चों की परवरिश अकेले ही की।
उन्होंने अपने 40 साल से भी ज्यादा के करियर में 2000 से ज्यादा गाने कोरियॉग्राफ किए हैं। सरोज ने फिल्म देवदास के गाने 'डोला रे डोला' और 'जब वी मेट' के गाने 'ये इश्क हाये' के लिए नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किया है। उन्हें फिल्म 'गुरु', 'देवदास', 'हम दिल दे चुके सनम', 'खलनायक', 'बेटा', 'सैलाब', 'चालबाज' और 'तेजाब' के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। यही नहीं 2002 में उन्हें फिल्म लगान के लिए आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट इन फीचर फिल्म का अमेरिकन कोरियॉग्रफी अवॉर्ड भी मिल चुका है। आपको बता दें कि वे अब इस दुनिया में नहीं है।