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जिस 30 साल बड़े शख्स से कोरियोग्राफर ने की थी शादी, उसी ने बच्चों को अपना नाम देने से किया था मना
मुंबई. सरोज खान बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर्स में से एक हैं। उन्होंने 70 के दशक में अपने डांस मूव्ज पर माधुरी समेत कई एक्ट्रसेस को नचवाया। सरोज 2000 से ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ कर चुकी हैं। सरोज ने महज 3 साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उनकी पहली फिल्म नजराना थी जिसमें उन्होंने श्यामा नाम की बच्ची का किरदार निभाया था।
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सरोज खान का शुक्रवार को 71वां जन्मदिन है। उनका जन्म 22 नवंबर 1948 को मुंबई में हुआ था। उनके जन्मदिन के मौके पर कोरियोग्राफर की लाइफ से जुड़ी बातें बता रहे हैं। सरोज खान ने अपने पहले डांस मास्टर बी. सोहनलाल से शादी की थी। दोनों की उम्र में 30 साल का फासला था।
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जब सरोज ने अपने पहले मास्टर से शादी की थी तो उस वक्त उनकी उम्र महज 13 साल थी। इस्लाम धर्म कबूल कर उन्होंने 43 साल के बी. सोहनलाल से शादी की थी। सोहनलाल की ये दूसरी शादी थी। पहली शादी से उनके चार बच्चे थे।
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सरोज खान ने अपनी शादी के बारे में एक इंटरव्यू में बताया था कि वो उन दिनों स्कूल में पढ़ती थीं, तभी एक दिन उनके डांस मास्टर सोहनलाल ने उनके गले में काला धागा बांध दिया था और इससे उनकी शादी हो गई थी।
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बता दें, सरोज खान का असली नाम बहुत ही कम लोग जानते होंगे। वैसे उनका असली नाम निर्मला नागपाल है। सरोज के पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नाम नोनी सद्धू सिंह है। विभाजन के बाद सरोज खान का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था।
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सरोज खान ने 50 के दशक में सरोज ने बतौर बैकग्राउंड डांसर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने कोरियोग्राफर बी.सोहनलाल के साथ ट्रेनिंग ली। 1974 में रिलीज हुई फिल्म 'गीता मेरा नाम' से सरोज एक स्वतंत्र कोरियोग्राफर की तरह जुड़ीं हालांकि उनके काम को काफी समय बाद पहचान मिली। सरोज खान की मुख्य फिल्मों में 'मिस्टर इंडिया', 'नगीना', 'चांदनी', 'तेजाब', 'थानेदार' और 'बेटा' है।
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एक इंटरव्यू में सरोज ने धर्म परिवर्तन को लेकर कहा था कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म को ग्रहण किया था। उस वक्त उनसे कई लोगों ने पूछा कि धर्म परिवर्तन को लेकर कोई दबाव तो नहीं है। तो उन्होंने इस पर दवाब दिया था कि उन्हें इस्लाम धर्म से प्रेरणा मिलती है।
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सरोज खान ने जब अपने पहले बच्चे राजू खान को जन्म दिया तो उन्हें सोहनलाल की शादीशुदा जिंदगी के बारे में बता चला। इसके जब सरोज दूसरे बच्चे की मां बनीं तो सोहनलाल ने उन्हें अपना नाम देने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों के बीच दूरियां आ गईं। सरोज ने दोनों बच्चों की परवरिश अकेले ही की।
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