रातभर चिंघाड़ती रही कीचड़ में फंसी बेबस हथिनी, उसका दर्द देखकर भावुक हुए लोग
कोरबा, छत्तीसगढ़. इंसान और जानवरों के बीच हमेशा से भावनात्मक रिश्ता रहा है। दलदल में फंसे मादा हाथी की जिंदगी बचाने वन विभाग के अमले और गांववालों ने दिन-रात एक कर दिया। हालांकि अभी उसे निकाला नहीं जा सका है। मादा हाथी कितने घंटे से दलदल में फंसा हुआ है, इसका कुछ पता नहीं चल सका है। वन विभाग का मानना है कि केंदई वन परिक्षेत्र के अंतर्गत कुल्हारिया के आश्रित मोहल्ला वनखेतापारा में 40-50 हाथियों का का झुंड घूम रहा है। यह मादा हाथी भी इस झुंड का हिस्सा है। गुरुवार को कुछ लोगों की नजर दलदल में फंसी हथिनी पर पड़ी। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया। मौके पर केंदई रेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी अश्विनी चौबे उड़नदस्ता टीम के साथ पहुंचे और रेस्क्यू शुरू किया। हालांकि गुरुवार रात तक हथिनी को दलदल से नहीं निकाला जा सका।
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दलदल में फंसी बेबस हथिनी को देखकर रेस्क्यू में लगे लोग भी भावुक हो उठे। बिना खाये-पीये हथिनी की हालत बेहद दयनीय होते देखकर लोग अपना खाना-पीना भूलकर रेसक्यू में जुटे देखे गए।
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माना जा रहा है हथिनी के फंसे होने की सूचना 24 घंटे बाद वन विभाग को पता चली। इसके बाद लोगों ने हथिनी को निकालने की कोशिश शुरू की।
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कुछ गांववालों का कहना था कि यहां हाथियों के आतंक से लोग इतना परेशान है कि उन्होंने हथिनी को दलदल में फंसा देखकर भी नजरअंदाज कर दिया। लेकिन किसी दरियादिल इंसान से यह नहीं देखा गया और उसने पुलिस को सूचना दी।
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हथिनी की चिंघाड़ सुनकर हाथियों का दल भी वहां पहुंच गया। इसे देखकर वन विभाग को और ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ा। वर्ष, 2002 से अब तक यहां 10 हाथियों की जान जा चुकी है।
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यूं दलदल में बेबस पड़ी रही हथिनी। माना जा रहा है कि अपने झुंड से भटककर यह हथिनी गलती से दलदल में उतर गई होगी।
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हथिनी की जिंदगी बचाने जेसीबी के साथ दर्जनों वनकर्मी और गांववाले जुटे देखे गए।
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