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मानसिक बीमारी से ग्रस्त थे दुनिया के ये टॉप क्रिकेटर, जानें भारत से है किसका नाम

भोपाल डेस्क. ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड ने गुरुवार को स्टार ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल के ब्रेक की घोषणा की है। बताया गया है कि ग्लेन मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं इसलिए उन्होंने मनोवैज्ञानिक से इलाज के लिए ब्रेक लिया है। मैक्सवेल, जिन्हें आमतौर पर मैदान पर एक जोशीले और जांबाज क्रिकेटर माना जाता है वह इस समय डिप्रेशन और गंभीर मानसिक बीारियों से परेशान हैं हालांकि पहले नहीं है जिन्हें मानसिक बीमारी का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले बहुत से क्रिकेट खिलाड़ी अपनी डिप्रेशन और तनाव के खुलकर बता चुके हैं। डिप्रेशन की वजह से अपने करियर को छोड़ने वाले खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त है आइए कुछ के विषय में जानते हैं........ 

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Asianet News Hindi
Published : Nov 02 2019, 04:09 PM IST| Updated : Nov 02 2019, 04:44 PM IST
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ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ने क्रिकेट से कुछ समय के लिए ब्रेक लिया है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए यह फैसला किया। मैक्सवेल ने श्रीलंका के खिलाफ जारी तीन टी-20 के पहले मुकाबले में 28 गेंद पर 62 रन बनाए थे। क्रिकेट डॉट कॉम डॉट एयू ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साइकोलॉजिस्ट डॉ माइकल लॉयड के हवाले से लिखा, "मैक्सवेल मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कुछ कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। इस कारण वे क्रिकेट से कुछ दिन दूर रहेंगे।’
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इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मार्कस ट्रेस्कोथिक को भी डिप्रेशन का सामना करना पड़ा। फरवरी 2006 में इंग्लैंड के भारत दौरे से पहले उन्होंने बताया कि वह एक वायरस से पीड़ित थे। फिर उसी साल वह ऑस्ट्रेलिया में दो मैचों में खेलने के बाद तुरंत गेम से बाहर हो गए। तनाव-संबंधी बीमारी की वजह से उन्होंने खेलना छोड़ दिया। 2008 में, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य की वजह से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट की घोषणा की थी।
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साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी जोनाथन ट्रॉट भी डिप्रेशन और मानसिक तनाव संबंधी बीमारी के कारण क्रिकेट से दूर हो गए। 2013 में उन्होंने कहा कि वह डिप्रेशन से पीड़ित हैं। उन्होंने अपनी किताब में बताया, "मैंने अपनी कार को टेम्स में या एक पेड़ में चला दिया और हरकत के कारण मैं गेम से बाहर हो गया। ” ट्रॉट ने कहा कि खेल के दौरान वह इस हद डिप्रेशन में चले गए कि जिस मैदान में जाकर उन्हें खुशी मिलती थी वहीं उनके जी का जंजाल बन गया। लगभग 18 महीने खेल से ब्रेक लेने के बाद ट्रॉट ने वापसी की और वेस्टइंडीज के खिलाफ इंग्लैंड की तरफ से खेलते हुए अपनी 50 वीं टेस्ट कैप जीत ली। वह मानसिक तनाव से उबरने वाले बहादुर खिलाड़ी हैं।
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पूर्व भारतीय स्पिनर और कमेंटेटर मनिंदर सिंह उन कुछ भारतीय क्रिकेटरों में से हैं जिन्होंने डिप्रेशन के बारे में खुलकर बताया। सिंह 1982 में 17 साल की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट खिलाड़ी बनने वाले थे लेकिन उन्हें शराब की लत लग गई थी। 30 साल की उम्र में ही उनका बनता करियर बिगड़ गया और उन्हें खराब हेल्थ के कारण रिटायर होना पड़ा। रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें एक बार कोकीन रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
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इंग्लैंड की सारा टेलर क्रिकेट क्रश रही हैं। इतिहास में सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपरों में उनका नाम रहा है। टेलर ने अचानक डिप्रेशन के कारण अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। उन्होंने कहा- "... मुझे अपने पूरे करियर में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों और लोगों के साथ खेलने का मौका मिला लेकिन मेरे और मेरे स्वास्थ्य के लिए यह सही समय है कि मैं अपने अभी रिटायर हो जाऊं और आगे बढ़ूं।" लंदन में जन्मी 30 वर्षीय टेलर के असमय सन्यास ने महिला क्रिकेट टीम को बहुत प्रभावित किया था। वह एकदिवसीय मैचों में इंग्लैंड के तीसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में रिटायर हुई थीं।
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ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज शॉन टैट ने 2008 में 24 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें 'खुले दिमाग और शांति' की जरूरत है। खेल के मैदान में लगी चोटों के कारण भी टैट का करियर काफी प्रभावित हुआ। फिर टैट ने वापसी की और ऑस्ट्रेलिया की टीम के लिए छोटे-छोटे मैचों में अपना यौगदान दिया। फिर 2011 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया टीम में बॉलर्स के रूप में खेले लेकिन उतना अच्छा प्रदर्शन और नाम नहीं कमा पाए जिसकी उनसे उम्मीद थी।
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इंग्लैंड के एक अन्य क्रिकेटर स्टीव हार्मिसन को भी डिप्रेशन का शिकार होना पड़ा। अंतर्राष्ट्रीय करियर के दौरान डिप्रेशन से परेशान स्टीव ने खुलकर इस पर बात की। एक इंटरव्यू में हार्मिसन ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि 2004-05 में इंग्लैंड के दक्षिण अफ्रीका दौरे के उनका मानसिक स्वास्थ्य काफी खराब रहा। दुनिया में नंबर 1 रैंक के गेंदबाज हर्मिसन मेंटल हेल्थ खराब होने के कारण खराब फॉर्म में चले गए। उन्होंने कहा- “ये कितना बुरा है कि मैं एक क्रिकेटर के रूप में जाना जाता हूं लेकिन कभी-भी मैं चाहता हूं कि मैं नौ-पांच की नौकरी में एक अॉफिस में काम करूं। खिलाड़ी होने के नाते कई हफ्तों तक अपने बच्चों से दूर रहना अपने आप में बहुत बुरा है। "

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